09 June 2024 | HINDI Murli Today | Brahma Kumaris
Read and Listen today’s Gyan Murli in Hindi
8 June 2024
Morning Murli. Om Shanti. Madhuban.
Brahma Kumaris
आज की शिव बाबा की साकार मुरली, बापदादा, मधुबन। Brahma Kumaris (BK) Murli for today in Hindi. Source: Official Murli blog to read and listen daily murlis. ➤ पढ़े: मुरली का महत्त्व
“मन को स्वच्छ, बुद्धि को क्लीयर रख डबल लाइट फरिश्ते स्थिति का अनुभव करो''
♫ मुरली सुने (audio)➤
आज बापदादा अपने स्वराज्य अधिकारी बच्चों को देख रहे हैं। स्वराज्य ब्राह्मण जीवन का जन्म सिद्ध अधिकार है। बापदादा ने हर एक ब्राह्मण को स्वराज्य के तख्तनशीन बना दिया है। स्वराज्य का अधिकार जन्मते ही हर एक ब्राह्मण आत्मा को प्राप्त है। जितना स्वराज्य स्थित बनते हो उतना ही अपने में लाइट और माइट का अनुभव करते हो।
बापदादा आज हर एक बच्चे के मस्तक पर लाइट का ताज देख रहे हैं। जितनी अपने में माइट धारण की है उतना ही नम्बरवार लाइट का ताज चमकता है। बापदादा ने सभी बच्चों को सर्व शक्ति अधिकार में दी है। हर एक मास्टर सर्वशक्तिवान है, परन्तु धारण करने में नम्बरवार बन गये हैं। बापदादा ने देखा कि सर्वशक्तियों की नॉलेज भी सबमें है, धारणा भी है लेकिन एक बात का अन्तर पड़ जाता है। कोई भी ब्राह्मण आत्मा से पूछो – हर एक शक्ति का वर्णन भी बहुत अच्छा करेंगे, प्राप्ति का वर्णन भी बहुत अच्छा करेंगे। परन्तु अन्तर यह है कि समय पर जिस शक्ति की आवश्यकता है, उस समय पर वह शक्ति कार्य में नहीं लगा सकते। समय के बाद महसूस करते हैं कि इस शक्ति की आवश्यकता थी। बापदादा बच्चों को कहते हैं – सर्व शक्तियों का वर्सा इतना शक्तिशाली है जो कोई भी समस्या आपके आगे ठहर नहीं सकती है। समस्या-मुक्त बन सकते हो। सिर्फ सर्व शक्तियों को इमर्ज रूप में स्मृति में रखो और समय पर कार्य में लगाओ। इसके लिए अपने बुद्धि की लाइन क्लीयर रखो। जितनी बुद्धि की लाइन क्लीयर और क्लीन होगी उतना निर्णय शक्ति तीव्र होने के कारण जिस समय जो शक्ति की आवश्यकता है वह कार्य में लगा सकेंगे क्योंकि समय के प्रमाण बापदादा हर एक बच्चे को विघ्न-मुक्त, समस्या-मुक्त, मेहनत के पुरुषार्थ-मुक्त देखने चाहते हैं। बनना तो सबको है ही लेकिन बहुतकाल का यह अभ्यास आवश्यक है। ब्रह्मा बाबा का विशेष संस्कार देखा – “तुरत दान महापुण्य”। जीवन के आरम्भ से हर कार्य में तुरत दान भी, तुरत काम भी किया। ब्रह्मा बाप की विशेषता निर्णय शक्ति सदा फास्ट रही। तो बापदादा ने रिजल्ट देखी। सबको साथ तो ले ही जाना है। बापदादा के साथ चलने वाले हो ना! या पीछे-पीछे आने वाले हो? जब साथ चलना ही है तो फॉलो ब्रह्मा बाप। कर्म में फॉलो ब्रह्मा बाप और स्थिति में निराकारी शिव बाप को फॉलो करना है। फॉलो करना आता है ना?
डबल विदेशियों को फॉलो करना आता है? फॉलो करना तो सहज है ना! जब फॉलो ही करना है तो क्यों, क्या, कैसे… यह समाप्त हो जाता है। और सबको अनुभव है कि व्यर्थ संकल्प के निमित्त यह क्यों, क्या, कैसे… ही आधार बनते हैं। फॉलो फादर में यह शब्द समाप्त हो जाता है। कैसे नहीं, ऐसे। बुद्धि फौरन जज करती है ऐसे चलो, ऐसे करो। तो बापदादा आज विशेष सभी बच्चों को चाहे पहले बारी आये हैं, चाहे पुराने हैं, यही इशारा देते हैं कि अपने मन को स्वच्छ रखो। बहुतों के मन में अभी भी व्यर्थ और निगेटिव के दाग छोटे बड़े हैं। इसके कारण पुरुषार्थ की श्रेष्ठ स्पीड, तीव्रगति में रूकावट आती है। बापदादा सदा श्रीमत देते हैं कि मन में सदा हर आत्मा के प्रति शुभ भावना और शुभ कामना रखो – यह है स्वच्छ मन। अपकारी पर भी उपकार की वृत्ति रखना – यह है स्वच्छ मन। स्वयं के प्रति वा अन्य के प्रति व्यर्थ संकल्प आना – यह स्वच्छ मन नहीं है। तो स्वच्छ मन और क्लीन और क्लीयर बुद्धि। जज करो, अपने आपको अटेन्शन से देखो, ऊपर-ऊपर से नहीं, ठीक है, ठीक है। नहीं, सोच के देखो – मन और बुद्धि स्पष्ट है, श्रेष्ठ है? तब डबल लाइट स्थिति बन सकती है। बाप समान स्थिति बनाने का यही सहज साधन है। और यह अभ्यास अन्त में नहीं, बहुतकाल का आवश्यक है। तो चेक करना आता है? अपने को चेक करना, दूसरे को नहीं करना। बापदादा ने पहले भी हँसी की बात बताई थी कि कई बच्चों की दूर की नज़र बहुत तेज है और नजदीक की नज़र कमजोर है इसलिए दूसरे को जज करने में बहुत होशियार हैं। अपने को चेक करने में कमजोर नहीं बनना।
बापदादा ने पहले भी कहा है कि जैसे अभी यह पक्का हो गया है कि मैं ब्रह्माकुमारी/ब्रह्माकुमार हूँ। चलते-फिरते-सोचते – हम ब्रह्माकुमारी हैं, हम ब्रह्माकुमार ब्राह्मण आत्मा हैं। ऐसे अभी यह नेचुरल स्मृति और नेचर बनाओ कि “मैं फरिश्ता हूँ।” अमृतवेले उठते ही यह पक्का करो कि मैं फरिश्ता परमात्म श्रीमत पर नीचे इस साकार तन में आया हूँ, सभी को सन्देश देने के लिए वा श्रेष्ठ कर्म करने के लिए। कार्य पूरा हुआ और अपने शान्ति की स्थिति में स्थित हो जाओ। ऊंची स्थिति में चले जाओ। एक दो को भी फरिश्ते स्वरूप में देखो। आपकी वृत्ति दूसरे को भी धीरे-धीरे फरिश्ता बना देगी। आपकी दृष्टि दूसरे पर भी प्रभाव डालेगी। यह पक्का है कि हम फरिश्ते हैं? फरिश्ता भव का वरदान सभी को मिला हुआ है? एक सेकेण्ड में फरिश्ता अर्थात् डबल लाइट बन सकते हो? एक सेकेण्ड में, मिनट में नहीं, 10 सेकेण्ड में नहीं, एक सेकेण्ड में सोचा और बना, ऐसा अभ्यास है? अच्छा जो एक सेकेण्ड में बन सकते हैं, दो सेकेण्ड नहीं, एक सेकेण्ड में बन सकते हैं, वह एक हाथ की ताली बजाओ। बन सकते हैं? ऐसे ही नहीं हाथ उठाना। डबल फॉरेनर नहीं उठा रहे हैं! टाइम लगता है क्या? अच्छा जो समझते हैं कि थोड़ा टाइम लगता है, एक सेकेण्ड में नहीं, थोड़ा टाइम लगता है, वह हाथ उठाओ। (बहुतों ने हाथ उठाया) अच्छा है, लेकिन लास्ट घड़ी का पेपर एक सेकेण्ड में आना है फिर क्या करेंगे? अचानक आना है और सेकेण्ड का आना है। हाथ उठाया, कोई हर्जा नहीं। महसूस किया, यह भी बहुत अच्छा। परन्तु यह अभ्यास करना ही है। करना ही पड़ेगा नहीं, करना ही है। यह अभ्यास बहुत-बहुत-बहुत आवश्यक है। चलो फिर भी बाप-दादा कुछ टाइम देते हैं। कितना टाइम चाहिए? दो हजार तक चाहिए। 21वीं सदी तो आप लोगों ने चैलेन्ज की है, ढिंढोरा पीटा है, याद है? चैलेन्ज किया है – गोल्डन एजड दुनिया आयेगी या वातावरण बनायेंगे। चैलेन्ज किया है ना! तो इतने तक तो बहुत टाइम है। जितना स्व पर अटेन्शन दे सको, दे सको भी नहीं, देना ही है। जैसे देह-भान में आने में कितना टाइम लगता है! दो सेकेण्ड? जब चाहते भी नहीं हो लेकिन देह भान में आ जाते हो, तो कितना टाइम लगता है? एक सेकेण्ड या उससे भी कम लगता है? पता ही नहीं पड़ता है कि देह-भान में आ भी गये हैं। ऐसे ही यह अभ्यास करो – कुछ भी हो, क्या भी कर रहे हो लेकिन यह भी पता ही नहीं पड़े कि मैं सोल कॉन्सेस, पॉवरफुल स्थिति में नेचुरल हो गया हूँ। फरिश्ता स्थिति भी नेचुरल होनी चाहिए। जितनी अपनी नेचर फरिश्ते-पन की बनायेंगे तो नेचर स्थिति को नेचुरल कर देगी। तो बापदादा कितने समय के बाद पूछे? कितना समय चाहिए? जयन्ती बोलो – कितना समय चाहिए? फारेन की तरफ से आप बोलो – कितना समय फारेन वालों को चाहिए? जनक बोलो। (दादी जी ने कहा आज की आज होगी, कल नहीं) अगर आज की आज है तो अभी सभी फरिश्ते हो गये? हो जायेंगे, नहीं। अगर जायेंगे तो कब तक? बापदादा ने आज ब्रह्मा बाप का कौन-सा संस्कार बताया? तुरत दान महापुण्य।
बापदादा का हर एक बच्चे से प्यार है, तो ऐसे ही समझते हैं कि एक बच्चा भी कम नहीं रहे। नम्बरवार क्यों? सभी नम्बरवन हो जाएं तो कितना अच्छा है। अच्छा।
प्रशासक वर्ग (एडमिनिस्ट्रेशन विंग) के भाई बहिनों से:- आपस में मिलकर क्या प्रोग्राम बनाया? ऐसा तीव्र पुरुषार्थ का प्लैन बनाया कि जल्द से जल्द आप श्रेष्ठ आत्माओं के हाथ में यह कार्य आ जाए। विश्व परिवर्तन करना है तो सारी एडमिनिस्ट्रेशन बदलनी पड़ेगी ना! कैसे यह कार्य सहज बढ़ता जाए, फैलता जाए, ऐसे सोचा? जो भी कम से कम बड़े-बड़े शहरों में निमित्त हैं उन्हों को पर्सनल सन्देश देने का प्लैन बनाया है? कम से कम यह तो समझें कि अब आध्यात्मिकता द्वारा परिवर्तन हो सकता है और होना चाहिए। तो अपने वर्ग को जगाना इसीलिए यह वर्ग बनाये गये हैं। तो बापदादा वर्ग वालों की सेवा देख करके खुश है परन्तु यह रिजल्ट देखनी है कि हर वर्ग वालों ने अपने-अपने वर्ग को कहाँ तक मैसेज दिया है! थोड़ा बहुत जगाया है वा साथी बनाया है? सहयोगी, साथी बनाया है? ब्रह्माकुमार नहीं बनाया लेकिन सहयोगी साथी बनाया?
सभी वर्गों को बापदादा कह रहे हैं कि जैसे अभी धर्म नेतायें आये, नम्बरवन वाले नहीं थे फिर भी एक स्टेज पर सब इकट्ठे हुए और सभी के मुख से यह निकला कि हम सबको मिलकर आध्यात्मिक शक्ति को फैलाना चाहिए। ऐसे हर वर्ग वाले जो भी आये हो, उस हर वर्ग वाले को यह रिजल्ट निकालनी है कि हमारे वर्ग वालों में मैसेज कहाँ तक पहुँचा है? दूसरा – आध्यात्मिकता की आवश्यकता है और हम भी सहयोगी बनें यह रिजल्ट हो। रेग्युलर स्टूडेन्ट नहीं बनते लेकिन सहयोगी बन सकते हैं। तो अभी तक हर वर्ग वालों की जो भी सेवा की है, जैसे अभी धर्म नेताओं को बुलाया, ऐसे हर देश से हर विंग वालों का करो। पहले इन्डिया में ही करो, पीछे इन्टरनेशनल करना, हर वर्ग के ऐसे भिन्न-भिन्न स्टेज वाले इकट्ठे हो और यह अनुभव करें कि हम लोगों को सहयोगी बनना है। यह हर वर्ग की रिजल्ट अब तक कितनी निकली है? और आगे का क्या प्लैन है? क्योंकि एक वर्ग, एक-एक को अगर लक्ष्य रखकर समीप लायेंगे तो फिर सब वर्ग के जो समीप सहयोगी हैं ना, उन्हों का संगठन करके बड़ा संगठन बनायेंगे। और एक दो को देख करके उमंग-उत्साह भी आता है। अभी बंटे हुए हैं, कोई शहर में कितने हैं, कोई शहर में कितने हैं। अच्छे-अच्छे हैं भी परन्तु सबका पहले संगठन इकट्ठा करो और फिर सबका मिलकर संगठन मधुबन में करेंगे। तो ऐसे प्लैन कुछ बनाया? बना होगा जरूर। फॉरेन वालों को भी सन्देश भेजा था कि बिखरे हुए बहुत हैं। अगर भारत में भी देखो तो अच्छी-अच्छी सहयोगी आत्मायें जगह-जगह पर निकली हैं परन्तु गुप्त रह जाती हैं। उन्हों को मिलाकर कोई विशेष प्रोग्राम रखकर अनुभव की लेन-देन करें उससे अन्तर पड़ जाता है, समीप आ जाते हैं। किस वर्ग के 5 होंगे, किसके 8 होंगे, किसके 25-30 भी होंगे। संगठन में आने से आगे बढ़ जाते हैं। उमंग-उल्लास बढ़ता है। तो अभी तक जो सभी वर्गों की सेवा हुई है, उसकी रिजल्ट निकालनी चाहिए। सुना, सभी वर्ग वाले सुन रहे हैं ना! सभी वर्ग वाले जो आज विशेष आये हैं वह हाथ उठाओ। बहुत हैं। तो अभी रिजल्ट देना – कितने-कितने, कौन-कौन और कितनी परसेन्ट में समीप सहयोगी हैं? फिर उन्हों के लिए रमणीक प्रोग्राम बनायेंगे। ठीक है ना!
मधुबन वालों को खाली नहीं रहना है। खाली रहने चाहते हैं? बिजी रहने चाहते हैं ना! या थक जाते हैं? बीच-बीच में 15 दिन छुट्टी भी होती है और होनी भी चाहिए। परन्तु प्रोग्राम के पीछे प्रोग्राम लिस्ट में होना चाहिए तो उमंग-उत्साह रहता है, नहीं तो जब सेवा नहीं होती है तो दादी एक कम्पलेन करती है। कम्पलेन बतायें? कहती है सभी कहते हैं – अपने-अपने गांव में जायें। चक्कर लगाने जायें, सेवा के लिए भी चक्कर लगाने जायें इसीलिए बिजी रखना अच्छा है। बिजी होंगे तो खिट-खिट भी नहीं होगी। और देखो मधुबन वालों की एक विशेषता पर बापदादा पदमगुणा मुबारक देते हैं। 100 गुणा भी नहीं, पदम-गुणा। किस बात पर? जब भी कोई आते हैं तो मधुबन वालों में ऐसी सेवा की लगन लग जाती है जो कुछ भी अन्दर हो, छिप जाता है। अव्यक्ति दिखाई देते हैं। अथक दिखाई देते हैं और रिमार्क लिखकर जाते हैं कि यहाँ तो हर एक फरिश्ता लग रहा है। तो यह विशेषता बहुत अच्छी है जो उस समय विशेष विल पावर आ जाती है। सेवा की चमक आ जाती है। तो यह सर्टीफिकेट तो बापदादा देता है। मुबारक है ना? तो ताली तो बजाओ मधुबन वाले। बहुत अच्छा। बापदादा भी उस समय चक्कर लगाने आता है, आप लोगों को पता नहीं पड़ता है लेकिन बापदादा चक्कर लगाने आता है। तो यह विशेषता मधुबन की और आगे बढ़ती जायेगी। अच्छा।
मीडिया विंग:- फारेन में भी मीडिया का शुरू हुआ है ना! बापदादा ने देखा है कि मीडिया में अभी मेहनत अच्छी की है। अभी अखबारों में निकलने शुरू हुआ है और प्यार से भी देते हैं। तो मेहनत का फल भी मिल रहा है। अभी और भी विशेष अखबारों में, जैसे टी.वी. में किसी ने भी परमानेंट थोड़ा समय भी दे दिया है ना! रोज़ चलता है ना। तो यह प्रोग्रेस अच्छी है। सभी को सुनने में अच्छा अनुभव होता है। ऐसे अखबार में विशेष चाहे सप्ताह में, चाहे रोज, चाहे हर दूसरे दिन एक पीस (एक टुकड़ा) मुकरर हो जाए कि यह आध्यात्म शक्ति बढ़ाने का मौका है। ऐसा पुरुषार्थ करो। वैसे सफलता है, कनेक्शन भी अच्छा बढ़ता जाता है। अभी कुछ कमाल करके दिखाओ अखबार की। कर सकते हैं? ग्रुप कर सकता है? हाथ उठाओ – हाँ करेंगे। उमंग-उल्लास है तो सफलता है ही। क्यों नहीं हो सकता है! आखिर तो समय आयेगा जो सब साधन आपकी तरफ से यूज़ होंगे। ऑफर करेंगे आपको। ऑफर करेंगे कुछ दो, कुछ दो। मदद लो। अभी आप लोगों को कहना पड़ता है – सहयोगी बनो, फिर वह कहेंगे हमारे को सहयोगी बनाओ। सिर्फ यह बात पक्की रखना – फरिश्ता, फरिश्ता, फरिश्ता। फिर देखो आपका काम कितना जल्दी होता है। पीछे पड़ना नहीं पड़ेगा लेकिन परछाई के समान वह आपेही पीछे आयेंगे। बस सिर्फ आपकी अवस्थाओं के रुकने से रूका हुआ है। एवररेडी बन जाओ तो सिर्फ स्विच दबाने की देरी है, बस। अच्छा कर रहे हैं और करेंगे।
चारों ओर के देश विदेश के साकार स्वरूप में या सूक्ष्म स्वरूप में मिलन मनाने वाले सर्व स्वराज्य अधिकारी आत्माओं को, सदा इस श्रेष्ठ अधिकार को अपने चलन और चेहरे से प्रत्यक्ष करने वाले विशेष आत्मायें, सदा बापदादा को हर कदम में फॉलो करने वाले, सदा मन को स्वच्छ और बुद्धि को क्लीयर रखने वाले ऐसे स्वत: तीव्र पुरुषार्थी आत्माओं को, सदा साथ रहने वाले और साथ चलने वाले डबल लाइट बच्चों को बापदादा का यादप्यार और नमस्ते।
वरदान:-
बेहद के वैरागी अर्थात् किसी में भी लगाव नहीं, सदा बाप के प्यारे। यह प्यारापन ही न्यारा बनाता है। बाप का प्यारा नहीं तो न्यारा भी नहीं बन सकते, लगाव में आ जायेंगे। जो बाप का प्यारा है वह सर्व आकर्षणों से परे अर्थात् न्यारा होगा – इसको ही कहते हैं निर्लेप स्थिति। कोई भी हद के आकर्षण की लेप में आने वाले नहीं। रचना वा साधनों को निर्लेप होकर कार्य में लायें – ऐसे बेहद के वैरागी ही राजऋषि हैं।
स्लोगन:-
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