27 March 2023 HINDI Murli Today | Brahma Kumaris

Read and Listen today’s Gyan Murli in Hindi

26 March 2023

Morning Murli. Om Shanti. Madhuban.

Brahma Kumaris

आज की शिव बाबा की साकार मुरली, बापदादा, मधुबन।  Brahma Kumaris (BK) Murli for today in Hindi. SourceOfficial Murli blog to read and listen daily murlis. पढ़े: मुरली का महत्त्व

“मीठे बच्चे - बाप समान निडर बनो, अपनी अवस्था साक्षी रख सदा हर्षित रहो, याद में रहने से ही अन्त मती सो गति होगी''

प्रश्नः-

खुशनसीब बच्चे सदा फ्रेश और हर्षित रहने के लिए कौन सी विधि अपनाते हैं?

उत्तर:-

दिन में दो बारी ज्ञान स्नान करने की। बड़े आदमी फ्रेश रहने के लिए दो बार स्नान करते हैं। तुम बच्चों को भी ज्ञान स्नान दो बारी करना चाहिए। इससे बहुत फ़ायदे हैं -1. सदा हर्षित रहेंगे, 2. खुशनसीब, तकदीरवान बन जायेंगे, 3. किसी भी प्रकार का संशय निकल जायेगा, 4. मायावी लोगों के संग से बच जायेंगे, 5. बाप और टीचर खुश होंगे, 6. गुल-गुल (फूल) बन जायेंगे। अपार खुशी में रहेंगे।

♫ मुरली सुने (audio)➤

गीत:-

जाग सजनिया जाग.

ओम् शान्ति। शिवबाबा बच्चों को बैठ समझाते हैं ब्रह्मा मुख से। यह है गऊमुख। बैल मुख नंदीगण है ना। गीत भी सुना। साजन कहते हैं सजनियों को, अब सजनियां सिर्फ फीमेल तो नहीं, यह मेल्स भी सजनियां हैं। जो भी भक्ति करते हैं, भगवान को याद करते हैं तो हो गयी सजनियां। साजन तो एक है। साधू भी साधना करते हैं भगवान से मिलने लिए। तो वह भी सजनियां ठहरे। वह एक भगवान कौन? एक तो कहा जायेगा गॉड फादर को। जैसे वर राजा को आना पड़ता है वन्नी (स्त्री) को ले जाने के लिए। यह सब हैं वन्नियां। साजन को याद करती हैं तो जरूर आना पड़ेगा। एक के लिए तो नहीं, सबके लिए आना पड़ेगा और सभी सजनियां दु:खी हैं। कोई न कोई रोग, बीमारी आदि होगी जरूर। तो यह हो गया नर्क। स्वर्ग में है सुख, नर्क में है दु:ख। इस समय हम सब हैं नर्कवासी सजनियां अर्थात् सब माया रावण की कैद में हैं। बेहद का बाप बेहद की बातें ही समझायेंगे। सारी दुनिया कैद में है, इसको दु:खधाम कहा जाता है। धाम अर्थात् रहने की जगह। कलियुग में है दु:ख। सतयुग में है सुख। दैवी सम्प्रदाय, आसुरी सम्प्रदाय – यह है गीता के भगवान शिव के महावाक्य। वह खुद कहते हैं – सजनियां, अब नवयुग आया। यह पुरानी दुनिया है। साजन कहते हैं अब जागो। अब नया युग, सतयुग आता है। गीता से स्वर्ग स्थापन किया था। गीता भारत के देवी-देवता धर्म का शास्त्र है, जो देवता धर्म अब प्राय:लोप हो गया है। प्राय: अर्थात् बाकी आटे में नमक जाकर रहा है। चित्र हैं लेकिन अपने को कोई भी देवता नहीं मानते। यह भूल गये हैं कि सतयुग में देवी-देवता धर्म था, जिसको ही स्वर्ग कहा जाता है। जब लक्ष्मी-नारायण का राज्य होगा तब वह ऐसे नहीं कहेंगे कि अब स्वर्ग है। फिर तो यह भी समझें कि नर्क होना है। यह सब राज़ हम अभी जानते हैं। पांच हजार वर्ष पहले स्वर्ग था, अब नर्क है। देवी-देवता धर्म की टांग टूटी हुई है। यह बातें और कोई गीता सुनाने वाला बता न सके। सर्व शास्त्रमई शिरोमणि गीता है। गीता का भगवान ही गीता द्वारा भारत को स्वर्ग बनाते हैं। फिर आधाकल्प वहाँ गीता की दरकार नहीं। वहाँ तो प्रालब्ध है। बाबा खुद कहते हैं यह ज्ञान प्राय:लोप हो जाता है। अभी लोप है ना। हम रोज़ नई-नई बातें सुनते हैं। वह तो 18 अध्याय सुनते आये हैं। उसको नया कौन कहेंगे? पूरे 18 अध्याय लिख दिये हैं। यहाँ तो हम पढ़ते रहते हैं। योग लगाते रहते हैं। इसमें भी टाइम लगता है।

ज्ञान और योग दोनों भाई-बहन हैं। बाबा कहते हैं ध्यान से ज्ञान श्रेष्ठ है क्योंकि उससे ही तुम जीवनमुक्ति पा सकेंगे। ऐसा कोई कह न सके कि हमको साक्षात्कार हो तो पुरुषार्थ करें। सामने श्रीकृष्ण का चित्र देख रहे हैं ऐसे प्रिन्स-प्रिन्सेज बनेंगे, फिर जो चाहे सो बनो। प्रिन्स-प्रिन्सेज बनते हैं यह तो मानना चाहिए ना। अब नवयुग आ रहा है। जहाँ जीत, वहाँ जाकर प्रिन्सपने का जन्म लेंगे। रत्नजड़ित मुरली भी होगी – यह निशानी है। श्रीकृष्ण को भी मुरली दिखाते हैं क्योंकि शहज़ादा है ना। बाकी वहाँ ज्ञान की कोई बात नहीं। ज्ञान का सागर तो एक शिवबाबा है। वह बाबा कहते हैं बच्चे विनाश सामने खड़ा है। पिछाड़ी में मंत्र देने वाला कोई नहीं रहेगा। अन्त मती सो गति गाई हुई है ना। अन्त में मेरी याद रखेंगे तो गति मिल जायेगी। तुम आजकल करते आये हो। दो चार इत़फाक दिखाऊंगा कि कैसे अचानक मनुष्य मरते हैं। उस समय मंत्र तो याद कर नहीं सकेंगे। समझो अचानक छत गिर पड़ती है, उस समय याद कर सकेंगे? धरती हिलेगी, उस समय तो हाय-हाय करने में लग जायेंगे। बहुत समय से प्रैक्टिस होगी तो फिर उस समय अवस्था हिलेगी नहीं। साक्षी हो, हर्षितमुख बैठे रहेंगे। मनुष्य तो थोड़ा आवाज से डरके मारे भाग जायेंगे। तुम कभी भागेंगे नहीं। डरने की बात नहीं। जैसे बाबा निडर है बच्चों को भी निडर बनना है।

बाबा कहते – बच्चे, अब नवयुग आ रहा है। अब अपने को इन्श्योर कर दो। सारे भारत को तुम इन्श्योर करते हो। बाप से ताकत लेकर भारत को तुम इन्श्योर कर रहे हो। भारत हीरे जैसा बन जायेगा। फिर उसमें भी जितना जो लाइफ को इनश्योर करेगा। तन-मन-धन सब इनश्योर हो जाता है। बाबा कहते हैं यह ज्ञान प्रत्यक्षफल देने वाला है। जैसे सुदामे का मिसाल है झट महल देखे। तो प्रत्यक्षफल हुआ ना। प्रिन्स-प्रिन्सेज का भी साक्षात्कार करते हैं। फिर प्रिन्स-प्रिन्सेज तो सतयुग में भी हैं, त्रेता में भी हैं। यह थोड़ेही समझ सकेंगे कि हम कहाँ के प्रिन्स बनेंगे। सब सूर्यवंशी तो नहीं बन सकेंगे। यह सब है साक्षात्कार। बाकी आत्मा कोई निकलकर जाती नहीं है। यह साक्षात्कार की ड्रामा में नूंध है। सोल को बुलाते हैं तो ऐसे थोड़ेही आत्मा कोई शरीर से निकल जाती है। फिर तो वह शरीर रह न सके। यह सब साक्षात्कार हैं। बाबा भिन्न-भिन्न रूप से साक्षात्कार कराते हैं। नूंध है तब सोल आती है, यह ड्रामा का राज़ समझना है। नई बातें हैं ना। तो क्लास में भी रेगुलर आना पड़े। तुमको मालूम है – बहुत अच्छे-अच्छे आदमी दो बारी स्नान करते हैं फ्रेश रहने के लिए। यह भी ज्ञान स्नान दो बारी करने से फ्रेश होंगे। दो बारी ज्ञान स्नान करने से बहुत-बहुत फ़ायदा है। नहीं तो मुफ्त में अपनी बादशाही गंवा देंगे। बाबा रजिस्टर से भी जांच करते हैं। पूरा खुशनसीब तकदीरवान कौन हैं? अरे बेहद के बाप से अथाह धन लेने जाते हैं, स्वर्ग का मालिक बनते हैं। अगर इतना निश्चय नहीं तो ऊंच पद भी पा नहीं सकेंगे। दो बारी स्नान करने से तुम बहुत-बहुत हर्षित रहेंगे। बाबा कहते हैं मैं गाइड बन तुम बच्चों को ले चलने आया हूँ। कितना घुमाता हूँ! वो लोग एरोप्लेन से ऊपर में जाते हैं, कितनी उन्हों की महिमा होती है। वास्तव में महिमा तो तुम्हारी होनी चाहिए। तुम वैकुण्ठ में जाकर घूम फिर आते हो। मोस्ट वन्डरफुल चीज़ है! बाबा कहते हैं मैं सबसे दूर रहने वाला आया हूँ देश पराये। फिर इसमें सर्वव्यापी की तो बात ही नहीं। तुम पैगम्बर हो, पैगाम देने वाले हो ना। मैं भेज देता हूँ। यह भी ड्रामा में नूंध है। ड्रामा अनुसार हर एक को अपना पार्ट बजाने आना पड़ता है। फिर मैं भी आया हूँ, आकर पढ़ाता हूँ। यह तो गीता पाठशाला है। उन सतसंगों में तो तुम जन्म-जन्मान्तर जाते रहते हो। एक कान से सुना, दूसरे से निकला। एम आबजेक्ट कुछ नहीं। अभी तो अन्दर में खुशी की तालियां बजती रहती हैं। स्टूडेन्ट लाइफ में जो अच्छा पढ़ते हैं उनको तो खुशी रहती है ना। बच्चे के सम्बन्ध की भी खुशी होगी। टीचर को भी खुशी होगी। यह भी माँ बाप है, टीचर है तो खुशी होती है। बच्चों का फ़र्ज है पढ़ना। अब बाप सम्मुख आया हुआ है तो एक बाप से ही सुनो। तुम आधाकल्प बहुत भटके हो। अब भटकना बन्द करो, परन्तु वह भी तब होगा जब पूरा निश्चय हो।

मनुष्य कहते हैं कि कलियुग में इतने वर्ष पड़े हैं। तुम जब उनको बतायेंगे तो वह कहेंगे यह सब कल्पना है। जादू है। बस अबलायें वहाँ ही बैठ जायेंगी। बाबा अपनी तरफ खींचते, मायावी पुरुष फिर अपनी तरफ खींचते। बीच में लटकते रहते हैं। बाबा समझाते हैं – बच्चे, जब तक दो बारी ज्ञान स्नान नहीं किया है तब तक कुछ फ़ायदा नहीं होगा। अरे कोई समय मुरली में ऐसी प्वाइंट्स निकलती हैं जिससे ऐसा तीर लग जायेगा जो तुम्हारा संशय मिट जायेगा, और कोई भी सतसंग में जाने के लिए कभी मना नहीं करते। यहाँ के लिए मना करते हैं क्योंकि यहाँ पवित्र बनने की मुख्य बात है। स्त्री-पति दोनों को पवित्र बनना है। यहाँ तो स्त्री पति के पिछाड़ी सती बनती है कि पति-लोक में जायें। पति नर्क में है तो स्त्री भी नर्क में आ जाती है। अब तुम दोनों स्वर्ग में जाने के लिए पुरुषार्थ करो। अबलाओं पर कितने अत्याचार होते हैं! बच्चियां कहें हम शादी नहीं करेंगी, वह कहे शादी जरूर करनी है। बाबा कहते – बच्चियां, इस अन्तिम जन्म में शादी करने से मोह की जाल बढ़ती जायेगी। पति में मोह, फिर बच्चों में मोह। पियरघर, ससुरघर में मोह.. आज बच्चा जन्मा पार्टियां देंगे, कल बच्चा मर गया तो हायदोष मचा देंगे। सतयुग में तो तुम बहुत खुश रहेंगे।

बाबा समझाते हैं – बच्चे, घर-घर को स्वर्ग बनाओ। चित्र रख दो। जो भी आये, बोलो स्वर्ग के मालिक बनेंगे? आओ, हम समझायें। बाबा बहुत अच्छे-अच्छे स्लोगन्स बताते हैं। दो बारी स्नान करने से तुम बहुत गुल-गुल बन जायेंगे। अपार खुशी रहेगी। कहा जाता है ईश्वर की महिमा अपरमअपार है। तो तुम्हारे खुशी की महिमा भी अपरमअपार हो जायेगी। गीता की महिमा भी अपरमअपार है। तुम कहेंगे गीता से हम स्वर्ग का मालिक बन रहे हैं।

एक परमात्मा के सिवाए कोई ऐसे कहेंगे नहीं कि जाग सजनियां जाग, अब सतयुग आ रहा है..। मैं शमा तुम्हारी ज्योत जगाने आया हूँ। यह दादा भी अभी पुरुषार्थी है। बाबा तुम्हें नये युग के लिए नई कहानी सुनाते हैं। कितना अच्छा गीत है! यह रास्ता ही नया है। वह लोग कहते शास्त्रों से ही भगवान का रास्ता मिलेगा फिर कह देते सब ईश्वर ही ईश्वर हैं, उसकी ही महिमा है। हम तो दुनिया में आये हैं खुशी मनाने, कुछ भी खाओ-पियो-मौज करो, आत्मा पर लेप-छेप नहीं लगता। अपनी गन्दी तृष्णायें पूरी करने के लिए आत्मा निर्लेप कह देते हैं। ऐसे के संग में कभी फंसना मत। तुम हो हंस। बाबा कहते तुमको बिल्कुल प्योर बनना है। विकार में जाना तो क्रिमिनल एसाल्ट है। भल मेरी बात अभी नहीं मानो, अभी स्वच्छ नहीं बनेंगे, मददगार नहीं बनेंगे तो धर्मराज द्वारा बहुत सज़ायें खानी पड़ेंगी। याद रख लेना, भगवान ने नया संसार दिखाया है, तुम नये संसार के मालिक बनने आये हो तो अपनी दिल से पूछो – हम सौतेले हैं या मातेले? शिवबाबा है दादा, ब्रह्मा है बाबा, हम हैं पोत्रे पोत्रियां। यह ईश्वरीय कुटुम्ब है। दादा याद नहीं पड़ेगा तो वर्सा कैसे लेंगे? इसलिए दादे को जरूर याद करना है। बाप के सिवाए दादा कैसे होगा? दादा है, तुम पोत्रे हो। बीच में बाप जरूर है। पोत्रों का हक है दादे पर इसलिए कहते हैं तुम दादे से प्रापर्टी ले ही लेना। खुशी की बात है ना।

हम शिव भगवान की गीता से भारत की तकदीर हीरे जैसी बना रहे हैं। एक गीता ही हीरे जैसा बनाती है। बाकी सब कौड़ी तुल्य बना देते हैं। भारत की तकदीर को एकदम लकीर लग गई है। अब फिर बाप भारत की तकदीर जगाते हैं। मनुष्य गीता का छोटा लॉकेट बनाकर भी पहनते हैं। परन्तु उसके महत्व को कोई नहीं जानते। यहाँ कायदे भी बड़े कड़े हैं। पवित्र ब्राह्मण जरूर बनना पड़े। ठगी से मम्मा-बाबा नहीं कहना है। सच्चा बनेंगे तब ही नशा चढ़ेगा। हाफ कास्ट को नशा नहीं चढ़ेगा। भगवान भारत के पीछे दीवाना बना है कि हम भारत को फिर हीरे जैसा बनाऊंगा तो भारत पर आशिक हुआ है ना। भारत को फिर से ऊंच बनाते हैं। आशिक माशूक के पिछाड़ी दीवाना होता है ना। तो भारतवासियों के पीछे कितना दीवाना है! कितना दूर से भागते हैं और फिर कितना बड़ा निरहंकारी है! अच्छा!

मीठे-मीठे सिकीलधे बच्चों प्रति मात-पिता बापदादा का यादप्यार और गुडमार्निग। रूहानी बाप की रूहानी बच्चों को नमस्ते।

धारणा के लिए मुख्य सार :

1) बेहद के बाप से अथाह ज्ञान धन लेने के लिए दो बारी ज्ञान स्नान करना है। पढ़ाई में रेगुलर जरूर बनना है।

2) फुल कास्ट सच्चा पवित्र ब्राह्मण बनना है। बाप का मददगार बनना है। गंदी तृष्णा रखने वालों के संग में कभी नहीं फंसना है।

वरदान:-

स्वच्छता अर्थात् मन-वचन-कर्म, सम्बन्ध सबमें पवित्रता। पवित्रता की निशानी सफेद रंग दिखाते हैं। आप होलीहंस भी सफेद वस्त्रधारी, साफ दिल अर्थात् स्वच्छता स्वरूप हो। तन, मन और दिल से सदा बेदाग अर्थात् स्वच्छ हो। साफ मन वा साफ दिल पर साहेब राज़ी होता है। उनकी सर्व मुरादें अर्थात् कामनायें पूरी होती हैं। हंस की विशेषता स्वच्छता है इसलिए ब्राह्मण आत्माओं को होलीहंस कहा जाता है।

स्लोगन:-

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