09 June 2022 HINDI Murli Today | Brahma Kumaris

Read and Listen today’s Gyan Murli in Hindi

8 June 2022

Morning Murli. Om Shanti. Madhuban.

Brahma Kumaris

आज की शिव बाबा की साकार मुरली, बापदादा, मधुबन।  Brahma Kumaris (BK) Murli for today in Hindi. SourceOfficial Murli blog to read and listen daily murlis. पढ़े: मुरली का महत्त्व

“मीठे बच्चे - तुम ब्राह्मण कुल श्रेष्ठ, विष्णुकुल का बनने वाले हो, इसलिए तुम्हें पक्का वैष्णव बनना है, कोई भी बेकायदे चीज़ें प्याज़ आदि भी नहीं खाना है''

प्रश्नः-

तुम बच्चों को किस परीक्षा से डरना व मूँझना नहीं है?

उत्तर:-

अगर चलते-चलते इस पुरानी जुत्ती (शरीर) को कोई तकलीफ होती है, बीमारी आदि आती है तो इससे डरना व मूंझना नहीं है और ही खुश होना है, क्योंकि तुम जानते हो – यह कर्म भोग है। पुराना हिसाब-किताब चुक्तू हो रहा है। हम योगबल से हिसाब-किताब नहीं चुक्तू कर सके तो कर्म भोग से चुक्तू हो रहा है। यह जल्दी खत्म हो तो अच्छा है।

♫ मुरली सुने (audio)➤

गीत:-

हमारे तीर्थ न्यारे हैं..

ओम् शान्ति। निराकार भगवानुवाच। उनका तो एक ही नाम है – शिव भगवानुवाच, यह कहना पड़ता है समझाने के लिए, पक्का निश्चय कराने के लिए। बाप को कहना पड़ता है मैं जो हूँ, मेरा नाम कभी नहीं बदलता। सतयुग के जो देवी-देवतायें हैं, वह तो पुनर्जन्म में आते ही हैं। बाप इस तन से बच्चों को समझा रहे हैं। तुम रूहानी यात्रा पर हो, बाप भी गुप्त है, दादा भी गुप्त है। कोई भी नहीं जानते ब्रह्मा तन में परमपिता आते हैं। बच्चे भी गुप्त हैं। सब कहते हैं हम शिवबाबा की सन्तान हैं, तो उनसे वर्सा लेना है। उनकी श्रीमत पर चलना है। यह तो निश्चय है ही कि वह हमारा सुप्रीम बाप, टीचर, सतगुरू है। कितनी मीठी-मीठी बातें हैं। हम निराकार शिवबाबा के स्टूडेन्ट हैं, वह हमको राजयोग सिखलाते हैं। भगवानुवाच हे बच्चे, मैं तुमको राजयोग सिखलाता हूँ। मेयर तो ऐसे नहीं कहेंगे, हे बच्चे। संन्यासी भी ऐसे कह न सकें। बच्चे कहना तो बाप का ही फ़र्ज है। बच्चे भी जानते हैं हम निराकार बाप के बच्चे हैं, उनके सम्मुख बैठे हैं। प्रजापिता ब्रह्माकुमार-कुमारियां हैं। प्रजापिता अक्षर न डालने से मनुष्य मूँझते हैं। समझते हैं ब्रह्मा तो सूक्ष्मवतनवासी देवता है। वह फिर यहाँ कहाँ से आया? कहते हैं ब्रह्मा देवताए नम:, शंकर देवताए नम:, फिर गुरू भी कहते गुरू ब्रह्मा, गुरू विष्णु। अब विष्णु वा शंकर तो गुरू हैं नहीं। समझते हैं शंकर, पार्वती को कथा सुनाते हैं तो गुरू ठहरा। गुरू विष्णु भी नहीं है। सतयुग में लक्ष्मी-नारायण गुरू बनते नहीं हैं। कृष्ण को भी बड़ा गुरू गीता का भगवान बना दिया है। लेकिन भगवान एक है, यह बात तुम बच्चों को सिद्ध करना है।

तुम गुप्त सेना हो। रावण पर जीत पाते हो अर्थात् माया जीते जगतजीत बनते हो। माया धन को नहीं कहा जाता। धन को सम्पत्ति कहा जाता है। तो बाप बच्चों को समझाते हैं बच्चे, अब मौत सामने खड़ा है। यह वही 5 हजार वर्ष पहले वाले अक्षर हैं। सिर्फ निराकार भगवानुवाच के बदले साकार कृष्ण का नाम लिख दिया है। बाप कहते हैं – यह नॉलेज जो तुमको अभी मिलती है, यह है भविष्य प्रालब्ध के लिए। प्रालब्ध मिल गई फिर नॉलेज की दरकार नहीं। यह नॉलेज है ही पतित से पावन बनने की। पावन दुनिया में फिर किसी को गुरू करने की दरकार नहीं। वास्तव में गुरू तो एक ही परमपिता परमात्मा है। पुकारते भी हैं हे पतित-पावन आओ, तो समझाना चाहिए ना। वही सुप्रीम गुरू है। सर्व का सद्गति दाता राम गाया जाता है। तो वह जरूर तब आयेंगे जब सभी दुर्गति में हैं। वहाँ तो है क्षीर सागर, सुख का सागर। विषय वैतरणी नदी वहाँ होती नहीं। विष्णु क्षीरसागर में रहेंगे तो जरूर उनके बच्चे भी साथ रहेंगे। अभी तुम ब्राह्मण कुल के हो फिर विष्णु कुल के बनेंगे। वह कम्पलीट वैष्णव हैं ना। देवताओं के आगे कभी बेकायदे चीज़ प्याज़ आदि नहीं रखेंगे। फिर से ऐसा देवता बनना है तो यह सब छोड़ना पड़ेगा। यह है संगमयुग। समझाया गया है तुम ब्राह्मण ही संगम पर हो, बाकी सब कलियुग में हैं। जब तक ब्राह्मण न बनें तब तक समझ नहीं सकेंगे। बाप कहते हैं मैं कल्प के संगम पर आता हूँ। वह समझते ही नहीं – यह कोई संगम है। दुनिया बदलती है ना। गाते भी हैं परन्तु कैसे बदलती है, यह कोई भी नहीं जानते। ऐसे ही सिर्फ मुख से कह देते हैं। तुम अच्छी रीति समझते हो श्रीमत पर चलने से ही श्रेष्ठ बनेंगे। बाप को याद करना है। देह सहित देह के सभी सम्बन्धों को भूल जाना है। बाबा ने बिगर शरीर भेजा था, फिर वैसे ही जाना है। यहाँ आये हैं पार्ट बजाने। यह है गुप्त मेहनत, बाप और वर्से को याद करना है। तुम घड़ी-घड़ी यह भूल जाते हो। बाबा को भूलने से माया की चमाट लग जाती है। यह भी खेल है, अल्लाह अवलदीन का… दिखाते हैं ना। अल्लाह ने अवल धर्म स्थापन किया। ठका किया और बहिस्त मिला। यह धर्म कौन स्थापन कर रहे हैं? अल्लाह ने पहला नम्बर धर्म स्थापन किया। हातमताई का भी खेल दिखाते हैं। मुख में मुहलरा न डालने से माया आ जाती है। तुम्हारा भी यह हाल है। बाप को भूलकर और सभी को याद करते रहते हो।

अब तुम बच्चे जानते हो हम शान्तिधाम जा रहे हैं, फिर सुखधाम में आयेंगे। दु:खधाम को भूल जाने का पुरूषार्थ करो। यह तो सब खत्म हो जाने का है। हम लखपति हैं, ऐसे हैं… यह बुद्धि में नहीं रखना है। हम तो हैं ही नंगे (अशरीरी) यह तो पुरानी चीज़ है। इस पुरानी जुत्ती ने बड़ा दु:ख दिया है। जितना बीमारी जास्ती हो खुशी होनी चाहिए। नाचना चाहिए। कर्मभोग है, हिसाब-किताब तो चुक्तु करना ही है, इससे डरना नहीं है। समझना चाहिए हम योगबल से विकर्म विनाश नहीं कर सकते हैं तो कर्म भोगना से चुक्तू करना पड़े, इसमें मूँझने की बात ही नहीं है। यह तो शरीर पुराना है। यह जल्दी खत्म हो तो अच्छा है। और फिर तुम्हारी 7 रोज़ की भट्ठी भी मशहूर है। 7 रोज़ अच्छी रीति समझकर बुद्धि में धारण कर फिर भल कहाँ भी चले जाओ। मुरली तो मिलती रहेगी, वही बस है। बाप को याद करते चक्कर फिराते रहो। 7 रोज़ में स्वदर्शन चक्रधारी बनना है। 7 रोज़ का पाठ भी रखते हैं। 7 रोज़ मशहूर हैं। ग्रंथ भी 7 रोज़ रखते हैं। भट्ठी भी 7 दिन की है। ऐसे नहीं जो आवे उनको 7 दिन के लिए कहना है। मनुष्य की रग भी देखनी होती है। पहले ही 7 रोज़ का कोर्स कहने से कोई तो डर जाते हैं। समझते हैं हम रह नहीं सकते तो क्या करेंगे, चले जाते हैं इसलिए मनुष्य को देखना पड़ता है। हर एक की नब्ज देखनी चाहिए। पहले तो जांच करनी चाहिए। कितने दिन के लिए आये हैं। फट से 7 दिन कहने से डर जाते हैं। 7 दिन कोई दे नहीं सकते। सर्जन (वैद्य) कोई ऐसे होते हैं जो नब्ज देखकर झट बताते हैं कि यह – यह तुमको बीमारी है। यह भी तो तुम्हारा अविनाशी ज्ञान सर्जन है। तुम बच्चे भी मास्टर सर्जन हो। यह है रूद्र ज्ञान यज्ञ। तुम कहते हो एक सेकेण्ड में मनुष्य को जीवनमुक्ति मिल सकती है, तो कोई भी कहते हैं जब एक सेकेण्ड में जीवनमुक्ति मिल सकती है, तो 7 रोज़ क्यों कहते हो? सेकेण्ड की बात बताओ। डर जाते हैं। हम तो नहीं रह सकते, इसीलिए पहले नब्ज देखनी चाहिए। सबके लिए एक ही बात नहीं हो सकती। बहुत बच्चे डिससर्विस कर देते हैं। फार्म भराने समय नब्ज देखकर पूछना होता है। कितना दिन ठहर सकेंगे, वह भी पूछना होता है। अच्छा यह तो बताओ सबका भगवान एक है ना। परमपिता से तुम्हारा क्या सम्बन्ध है। पहले तो इस बात पर समझाना होता है कि वह बाप है, हम बच्चे हैं। बाप तो वर्सा देते हैं। स्वर्ग का वर्सा मिलना चाहिए। स्वर्ग का रचयिता है। अभी तो नर्क है। भारत स्वर्ग था, विश्व के मालिक थे। देवी-देवताओं का राज्य था। तो माया ने राज्य छीन लिया है। अब फिर माया पर जीत पाकर राज्य लेना है। पुरानी पतित कलियुगी दुनिया का विनाश सामने खड़ा है तो जरूर पावन दुनिया स्थापन करनी होगी। थोड़ा इशारा देना चाहिए। फिर आगे चलकर उन बातों को समझते जायेंगे। आज नहीं तो कल आ आयेंगे। जायेंगे कहाँ? एक ही हट्टी है, सद्गति मिलने की। परमपिता परमात्मा शिवबाबा की एक ही हट्टी है। एक सेकेण्ड में जीवनमुक्ति मिलनी है। हट्टी देखो कैसी है, जिसके तुम सेल्समैन हो। जो अच्छा सेल्समैन होगा तो पद भी अच्छा पायेगा। सेल करने का भी अक्ल चाहिए। अगर अक्ल नहीं होगा तो वह क्या सर्विस करेगा। पहले तो निश्चय बिठाओ। फिर 7 रोज की बात। अरे बाप तो वर्सा देने आये हैं। भारत सुखधाम था, अभी भारत दु:खधाम है। फिर सुखधाम कैसे बनता है, कौन बनाते हैं? पहले रास्ता बताना है – हम आत्मायें शान्तिधाम की रहवासी हैं फिर आते हैं पार्ट बजाने।

अभी बाप कहते हैं बच्चे वापिस घर आना है। बाप को याद रखने से तुम्हारे विकर्म विनाश होंगे। तुम्हारे उड़ने के पंख जो टूट गये हैं वह मिलते रहेंगे। तुम चले आयेंगे मेरे पास। बाप ही आकर कौड़ी से हीरे जैसा बनाते हैं। यह कमाई बड़ी जबरदस्त है। बाप को याद करने से 21 जन्म के लिए तुम निरोगी बनते हो। चक्र को याद करने से तुम एवरहेल्दी, वेल्दी बनेंगे। अभी तो दोनों नहीं हैं। तुम्हारे में भी नम्बरवार हैं, कच्चों को माया झट खा जायेगी। फिर भी आगे चल स्मृति आयेगी। पिछाड़ी में राजायें भी आते हैं, संन्यासी आदि भी आते हैं। तुम कन्याओं, माताओं ने ही बाण मारे हैं। यहाँ मन्दिर भी एक्यूरेट बने हुए हैं। कुवांरी कन्या का भी मन्दिर है। अधर कुमारी का अर्थ थोड़ेही समझते हैं। जो गृहस्थ व्यवहार में रहते हुए बी.के. बनते हैं, उनको ही अधर कहा जाता है। कुमारी तो कुमारी ही है। तुम्हारे यादगार में पूरा मन्दिर बना हुआ है। कल्प पहले भी तुमने सर्विस की थी। तुमको कितनी खुशी होनी चाहिए। तुम्हारा कितना भारी जबरदस्त इम्तहान है। पढ़ाने वाला है भगवान।

(देहली की पार्टी बाबा से छुट्टी ले अपने स्थान पर जा रही थी) बच्चे अच्छा ही रिफ्रेश होकर जा रहे हो। नम्बरवार तो हैं ही। जो अच्छा समझते हैं वह अच्छा समझाते भी हैं। यह तो बच्चे समझते हैं बाबा भी गुप्त है, दादा भी गुप्त है। हम भी गुप्त हैं। कोई भी जानते नहीं हैं। ब्राह्मण लोग भी नहीं जानेंगे। तुम समझा सकते हो कि तुम हो कुख वंशावली, हम हैं मुख वंशावली। तुम पतित हो हम पावन बन रहे हैं। प्रजापिता ब्रह्मा की सन्तान हैं तो जरूर नई दुनिया के हुए ना। सतयुग के देवतायें नई दुनिया के हैं या ब्राह्मण नई दुनिया के हैं? ब्राह्मणों की चोटी है ना। चोटी (ब्राह्मण कुल) ऊपर या माथा (देवता कुल) ऊपर है? उसमें फिर शिवबाबा को भी गुम कर दिया है। तुम बच्चे जानते हो बाप है फूलों के बगीचे का बागवान। रावण को बागवान थोड़ेही कहेंगे। रावण तो कांटा बनाते हैं, बाबा फूल बनाते हैं। यह सारा कांटों का जंगल है। एक दो को दु:ख दे रहे हैं। बाप समझाते हैं, किसको भी दु:ख नहीं देना है। क्रोध से बोलने से सौ गुणा दण्ड पड़ जाता है। पाप-आत्मा बन जाते हैं। उनके लिए सजायें भी बहुत कड़ी हैं। बाप के साथ मददगार बनने की गैरन्टी कर और फिर डिससर्विस करते हैं तो उनके लिए बहुत कड़ी सजा है। बच्चा बन और फिर विकर्म किया तो सौ गुणा दण्ड मिल पड़ेगा इसलिए अगर हिम्मत हो तो श्रीमत पर चलो। नर से नारायण बनना है। ऐसे नहीं अच्छा, प्रजा तो प्रजा ही सही। नहीं, यह तो बहुत बड़ी माला है। मार्जिन बहुत है। इसमें हार्टफेल नहीं होना है, गिरना है फिर सम्भलना है, हार्टफेल नहीं होना है। शिवबाबा से एक सेकेण्ड में जीवनमुक्ति पाने की यह एक ही हट्टी है। अच्छा!

मीठे-मीठे सिकीलधे बच्चों प्रति मात-पिता बापदादा का याद-प्यार और गुडमार्निंग। रूहानी बाप की रूहानी बच्चों को नमस्ते।

धारणा के लिए मुख्य सार :

1) ऊंच पद पाने के लिए शिवबाबा की हट्टी (दुकान) का अच्छा सेल्समैन बनना है। हर एक की नब्ज देखकर फिर उसे ज्ञान देना है।

2) क्रोध के वश हो मुख से दु:खदाई बोल नहीं बोलने हैं। बाप का मददगार बनने की गैरन्टी कर कोई भी डिससर्विस का काम नहीं करना है।

वरदान:-

विघ्नों का आना – यह भी ड्रामा में आदि से अन्त तक नूंध है लेकिन वह विघ्न असम्भव से सम्भव की अनुभूति कराते हैं। अनुभवी आत्माओं के लिए विघ्न भी खेल लगते हैं। जैसे फुटबाल के खेल में बाल आता है, ठोकर लगाते हैं, खेल खेलने में मजा आता है। ऐसे यह विघ्नों का खेल भी होता रहेगा, नथिंगन्यु। ड्रामा खेल भी दिखाता है और सम्पन्न सफलता भी दिखाता है।

स्लोगन:-

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