27 April 2022 HINDI Murli Today | Brahma Kumaris

Read and Listen today’s Gyan Murli in Hindi

26 April 2022

Morning Murli. Om Shanti. Madhuban.

Brahma Kumaris

आज की शिव बाबा की साकार मुरली, बापदादा, मधुबन।  Brahma Kumaris (BK) Murli for today in Hindi. SourceOfficial Murli blog to read and listen daily murlis. पढ़े: मुरली का महत्त्व

“मीठे बच्चे - श्रीमत पर चलकर अपने कर्मों को सुधारो, विकर्मों को भस्म करो, माला का दाना बनना है तो एक बाप के सिवाए दूसरा कोई याद न आये''

प्रश्नः-

किन बच्चों की रक्षा बाप स्वत: करता है?

उत्तर:-

जो जितना सफाई से चलते हैं, बाप से सदा सच्चे रहते हैं, उनकी रक्षा स्वत: होती रहती है। झूठा चलने वालों की रक्षा हो नहीं सकती। माया उन्हें बहुत खींचती रहती है। उनके लिए फिर सजा कायम हो जाती है।

प्रश्नः-

बच्चे रूहानी सर्जन से अपनी बीमारी छिपाते क्यों हैं?

उत्तर:-

क्योंकि उन्हें अपनी इज्जत का डर रहता है। जानते भी हैं माया ने हमें धोखा दिया है। ऑखे क्रिमिनल हो गई हैं फिर भी बाप से छिपा लेते हैं। बाबा कहते हैं बच्चे जितना तुम छिपायेंगे उतना नीचे गिरते जायेंगे। माया खा लेगी। फिर पढ़ाई छूट जायेगी, इसलिए बहुत खबरदार रहना। मनमत वा आसुरी मत पर नहीं चलना।

♫ मुरली सुने (audio)➤

ओम् शान्ति। रूहानी बाप रूहानी बच्चों को समझाते हैं, बच्चों ने यह निश्चय तो किया है कि रूहानी बाप ही आत्माओं को पढ़ाते हैं इसलिए गायन है कि आत्मा परमात्मा अलग रहे… मूलवतन में तो सभी आत्मायें इकट्ठी रहती हैं। अलग नहीं रहती फिर वहाँ से आत्मायें बिछुड़ती हैं। आकरके अपना-अपना पार्ट बजाती हैं। सतोप्रधान से उतरते-उतरते तमोप्रधान बन जाती हैं। बुलाते भी हैं हे पतित-पावन आओ, आकर पावन बनाओ। बाप बच्चों को समझाते हैं हम हर 5 हजार वर्ष बाद आते हैं। यह सृष्टि चक्र ही 5 हजार वर्ष का है। निराकार शिवबाबा भी जरूर तन द्वारा ही सुनायेंगे। ऊपर से कोई प्रेरणा आदि नहीं करते हैं। जैसे तुम आत्मायें शरीर धारण कर बातचीत करती हो, बाप भी कहते हैं मैं इस तन द्वारा तुमसे बात करता हूँ। तुम बच्चों को डायरेक्शन देता हूँ, जितना जो डायरेक्शन पर चलते हैं वह अपना ही कल्याण करते हैं। बाप तो समझाते हैं फिर कोई श्रीमत पर चले वा न चले। टीचर की सुने वा न सुने। वह तो अपने लिए ही फायदा अथवा नुकसान करते हैं। नहीं सुनेगा तो फेल हो जायेगा। शिवबाबा तो अच्छी रीति समझाते हैं। शिवबाबा से तुम बच्चों को सीखकर फिर सिखाना है। सन शोज़ फादर, इसमें जिस्मानी बाप की बात नहीं है। यह है रूहानी बाप की बात। बच्चे समझते हैं जितना जो श्रीमत पर चलते हैं उतना वर्सा पाते हैं। बाप कहते हैं मुझे याद करो तो तुम्हारे जन्म-जन्मान्तर के पाप कट जायेंगे क्योंकि रावण-राज्य में पाप आत्मायें, पुण्य आत्माओं के आगे माथा टेकती हैं। परन्तु यह नहीं जानती कि यही पुण्य आत्मायें फिर पाप आत्मायें बनती हैं। समझते हैं वह सदैव पुण्य आत्मायें हैं। बाप समझाते हैं पुनर्जन्म लेते-लेते पुण्य आत्मा से पाप आत्मा बनते हैं। 84 जन्म लेते हैं तो सतोप्रधान से तमोप्रधान में आते हैं। पाप आत्मा बनते हैं फिर बाप को याद करते हैं, जब पुण्य आत्मा हैं तो बाप को याद करने की दरकार नहीं। अब यह सब बातें सबको बाप तो नहीं बैठ समझायेंगे। बच्चे सर्विस करते हैं। मनुष्य तो इस समय असुर बनते जाते हैं, इस कारण बुद्धि में बैठता ही नहीं कि परमात्मा सर्वव्यापी नहीं है। सारा मदार इस बात पर है। श्रीकृष्ण तो देहधारी हैं, उनको देवता कहा जाता है। आत्माओं का फादर तो निराकार बाप है, उनको ही याद करना है। भल प्रजापिता भी कहते हैं लेकिन वह तो साकार है। यह सब बातें अच्छी तरह समझाई जाती हैं। परन्तु कई बच्चे न समझकर उल्टा रास्ता ले जंगल में जाकर पड़ते हैं। बाबा रास्ता बताते हैं – शहर का अथवा स्वर्ग में जाने का परन्तु न समझने के कारण जंगल में जाकर पड़ते हैं। जंगल में चले जाते हैं तो कांटे बन जाते हैं। यहाँ रहते भी रास्ता पूरा पकड़ते नहीं हैं। बीच में रह जाते हैं। फिर वहाँ भी पिछाड़ी में आ जाते हैं। तुम यहाँ आये हो स्वर्ग में जाने के लिए। त्रेता को भी वास्तव में स्वर्ग नहीं कहेंगे। 25 प्रतिशत कम हो गया ना। अभी तुम हो संगम पर। बाप कहते हैं पुरानी दुनिया को त्याग नई दुनिया को याद करो। ऐसे तो नहीं कहेंगे पुरानी दुनिया को भूल त्रेता को याद करो। त्रेता को थोड़ेही नई दुनिया कहेंगे। रास्ता ठीक न पकड़ने के कारण नीचे-ऊपर होते रहते हैं। ड्रामा अनुसार कल्प पहले जिन्होंने पूरा इम्तहान पास किया है वही करेंगे। त्रेता में जाने वालों को नापास ही कहेंगे। जो स्वर्गवासी बनते हैं वही पूरे पास होते हैं। कल्प कल्पान्तर, जन्म-जन्मान्तर संगम पर वही इम्तहान पास करते हैं। जैसे अब कर रहे हैं। जो फूल बनने का नहीं होगा, उनको भल कितना भी जोर से खींचेंगे लेकिन वह नहीं बनेंगे। अक तो फिर भी फूल है ना। कांटे तो चुभते रहते हैं। सारा मदार पढ़ाई पर है। माया अच्छे-अच्छे बच्चों को भी कांटा बना देती है। ट्रेटर बन जाते हैं। जो अपने घर को छोड़ दूसरी तरफ जाये उनको ट्रेटर कहा जाता है। बाप तो माया से छुड़ाने आये हैं। कहते हैं बाबा, माया बड़ी दुस्तर है। अपनी तरफ खींचती है। माया कम चुम्बक नहीं है। इस समय देखो खूबसूरती भी कितनी बढ़ गई है, कितने फैशनबुल बनते हैं। बाईसकोप में क्या-क्या दिखाते हैं। आगे यह बाइसकोप नहीं थे। 100 वर्ष के अन्दर ही निकले हैं। इसमें ड्रामा के राज़ को भी समझाना है। 100 वर्ष के अन्दर जैसे बहिश्त बन गया है। वहाँ तो यह साईन्स भी बहुत सुख देने वाली होती है। वहाँ साईन्स का घमन्ड नहीं होता है। कितना सुख देती है। परन्तु वह सुख स्थाई हो जाए इसलिए पुरानी दुनिया का विनाश होता है।

बाप बच्चों को ऊंच चढ़ाने के लिए देखो कितनी मेहनत करते हैं। परन्तु कोई-कोई तो मानते ही नहीं हैं कि बाबा हमको पढ़ाते हैं। अच्छे-अच्छे भी माया के चम्बे में आ जाते हैं। माया पूरा ही वश कर लेती है। परन्तु फिर भी एक बार जो ज्ञान सुना है तो स्वर्ग में जरूर आयेंगे, परन्तु ऊंच पद नहीं पायेंगे। कहते तो सब हैं हम नारायण बनेंगे। तो पुरुषार्थ भी इतना करना है, परन्तु है सारा ड्रामा का खेल। कोई चढ़ते हैं, कोई गिरते हैं। नीचे ऊपर होता ही रहता है। सारा मदार याद की यात्रा पर है। बाप तुमको अखुट खजाना देते हैं। वहाँ कर्मभोग की बात ही नहीं। इस समय यहाँ जो जमा करते हैं वही पूरा वर्सा पाते हैं। यह ख्याल नहीं करना चाहिए कि चढ़ेंगे तो फिर गिरेंगे भी। जास्ती गिरे हैं तो अब तो चढ़ना ही है। ड्रामा अनुसार पुरुषार्थ तो होता ही रहता है। शिव की सबसे जास्ती पूजा होती है। उनको फिर ठिक्कर भित्तर में कह देते हैं। कितना अज्ञान है। भल शिव की पूजा भी करते हैं, बलि भी चढ़ाते हैं, परन्तु फिर भी शिव को कोई जानते नहीं है कि वह ज्ञान का सागर बाप कैसे आकर पढ़ाते हैं। अब पढ़कर पुरुषार्थ कर ऊंच पद पाना है। माया भी किसको छोड़ती नहीं है, एकदम पकड़ लेती है। बाबा कहते हैं बच्चे सच्चा-सच्चा चार्ट लिखो। कई बच्चे सच नहीं बताते हैं तो सजा भी हो जाती है। सजा के समय तोबां-तोबां करते हैं। क्षमा करो फिर ऐसे नहीं करेंगे। छोटा बच्चा कोई बुरा काम करते हैं तो बाप मारते हैं तो तोबां-तोबां करते हैं। यह है बेहद का बाप। इतना बड़ा बाप कितनी नम्रता से चलते हैं। कितना मुलायम है। जैसे छोटे बच्चे मुलायम होते हैं, कोई भी बात होगी कहेंगे अच्छा ठीक है क्योंकि ड्रामा पर चलते हैं, अच्छा भावी ऐसी थी। फिर समझाते हैं – आगे ऐसा न हो। श्रीमत और आसुरी मत। यह ब्रह्मा भी अलौकिक बाप है ना, फिर भी बेहद का बाप है। हद के बाप की भल कोई न माने। बेहद के बाप ने इसे (ब्रह्मा को) निमित्त बनाया है तो इनका जरूर मानना चाहिए ना इसलिए यह बाबा कहते हैं माया कोई कम नहीं है, उल्टा काम करा लेती है। समझना चाहिए – यह है ईश्वरीय मत। बाप कहते हैं इन द्वारा अगर ऐसी कोई मत मिल गई तो भी मैं ठीक कर दूँगा। बाबा ने रथ भी अनुभवी लिया है। कितनी गाली खाई है। बाबा के साथ बहुत सफाई से रहना चाहिए। जितना जो सफाई से चलेगा, उतनी उनकी रक्षा होगी। झूठी चलन चलने वालों की रक्षा नहीं होती है, उनके लिए सजा कायम हो जाती है। माया नाक से पकड़ लेती है। बच्चे जानते हैं – माया खा गई इसलिए हमने पढ़ाई छोड़ दी। बाबा कहते हैं कुछ भी हो परन्तु पढ़ाई कभी भी बन्द नहीं करो। जो जैसा करेगा, वैसा पायेगा। कब पायेगा? भविष्य में, क्योंकि अब दुनिया में चेंज होने वाली है। यह कोई नहीं जानते, सिवाए तुम्हारे। तुम्हारे में भी बहुत बच्चे भूल जाते हैं। अगर याद में रहें तो खुशी भी रहे, परन्तु माया एकदम भुला देती है। यह माया से लड़ाई अन्त तक चलती रहेगी। अच्छे-अच्छे बच्चे भी जानते हैं कि हमारे से यह हो गया फिर सच नहीं बताते, इज्जत का डर रहता है। घुटका खाते रहते हैं। हाँ कोई युगल हैं तो समझते हैं एक ने बताया तो हम भी बता दें। तकदीर में ऊंच पद नहीं है तो सर्जन से छिपाते रहते हैं। जितना छिपायेंगे उतना नीचे गिरते जायेंगे। यह ऑखें ऐसी हैं जो क्रिमिनल-पने को छोड़ती नहीं हैं। कोई तो बहुत अच्छे बच्चे हैं – जो कभी दूसरे कोई को याद भी नहीं करते। जैसे पतिव्रता स्त्री की कब कोई पर-पुरुष में दृष्टि नहीं जाती है। तो बाप समझाते हैं – अगर माला का दाना बनना है तो ऐसी अवस्था चाहिए। विश्व का मालिक बनना कोई कम बात है क्या? बेहद का बाप पढ़ाते हैं बाकी क्या चाहिए। बाबा तुमको प्रैक्टिकल दिखाते हैं कि फलाने-फलाने में यह खूबी है, इनमें यह है – तब नम्बरवार याद-प्यार देते हैं। यहाँ बैठे-बैठे भी बाबा की बुद्धि सर्विसएबुल बच्चों तरफ रहती है। अज्ञान काल में भी आज्ञाकारी बच्चों पर प्यार रहता है। बाबा जानते हैं मेरे कौन से बच्चे अच्छी सर्विस करते हैं। तुम हो ब्रह्माकुमार और ब्रह्माकुमारियाँ, शिवबाबा के पोत्रे और पोत्रियाँ दादे से वर्सा तो जरूर मिलना है। ब्रह्मा के पास वर्सा नहीं है। बाप खुद कहते हैं मैं तुम आत्माओं का बेहद का बाप हूँ। तुमको बेहद का वर्सा देता हूँ, इसलिए अब मेरी श्रीमत पर चलो। मैं आया हूँ तुम बच्चों को आप समान अशरीरी बनाए वापिस ले चलने के लिए। अब तुम्हारी ज्योति जगा रहे हैं – ज्ञान और योग से। अगर ज्ञान और योग में ठीक रीति न रहे तो धर्मराज के मोचरे खाने पड़ेंगे, इसलिए पहले अपने विकर्मों को भस्म करो। इस समय मनुष्य भल अपने को स्वर्ग में समझते हैं परन्तु यह है अल्पकाल का सुख। उन्हों को बेहद का बाप वर्सा भी नहीं देते हैं। बाप कहते हैं मैं गरीब निवाज हूँ। जो बिल्कुल ही गरीब, पतित अहिल्यायें हैं उन्हों को साहूकार बना देता हूँ। अगर कोई पतित से पावन नहीं बनते हैं तो विजय माला में आ नहीं सकेंगे। यह तो बेहद के बाप साथ सौदा करना होता है। बाबा यह तो सब मिट्टी में मिल जाना है, इसलिए हम आपके ऊपर बलिहार जाते हैं। यह सब कुछ आप ले लो, हमें स्वर्ग का मालिक बना दो। बाप कहते हैं मैं तो दाता हूँ। यह राजाई स्थापन करने में अथवा विश्व का मालिक बनने में कोई खर्चा नहीं है। वहाँ देखो लड़ाई के लिए कितना खर्चा होता है। यहाँ तो तुम्हारा क्या खर्चा है? क्योंकि कोई भी हथियार पंवार है नहीं। योगबल से विश्व के मालिक बनते हैं। वो लोग बाहुबल से इतना लड़ते हैं – फिर भी विश्व का मालिक नहीं बन सकते हैं। ड्रामा में उन्हों का पार्ट ही नहीं है। सच्चा-सच्चा राजयोग बेहद का बाप ही सिखलाते हैं। तुम जानते हो राजयोग से परमपिता परमात्मा ने स्वर्ग की स्थापना की थी। अभी तुम संगमयुग पर पढ़ रहे हो और पढ़ाई अनुसार ही नम्बरवार पद मिलेगा। अच्छा!

मीठे-मीठे सिकीलधे बच्चों प्रति मात-पिता बापदादा का याद-प्यार और गुडमार्निंग। रूहानी बाप की रूहानी बच्चों को नमस्ते।

धारणा के लिए मुख्य सार :

1) बाप समान नम्रता का गुण धारण करना है। किसी को भी कांटा नहीं चुभाना है। फूल बन खुशबू देनी है।

2) सच्चाई का गुण धारण कर सर्जन से कोई भी बात छिपानी नहीं है। पढ़ाई किसी भी हालत में नहीं छोड़नी है। आज्ञाकारी बनना है।

वरदान:-

बापदादा द्वारा जो भी वरदान मिलते हैं उन्हें समय पर कार्य में लगाओ तो वरदान कायम रहेंगे। वरदान के बीज को फलदायक बनाने के लिए उसे बार-बार स्मृति का पानी दो, वरदान के स्वरूप में स्थित होने की धूप दो। तो एक वरदान अनेक वरदानों को साथ में लायेगा और फल स्वरूप वरदानी मूर्त बन जायेंगे। जितना वरदानों को समय पर कार्य में लगायेंगे उतना वरदान और श्रेष्ठ स्वरूप दिखाता रहेगा।

स्लोगन:-

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