25 June 2021 HINDI Murli Today | Brahma Kumaris

Read and Listen today’s Gyan Murli in Hindi

June 24, 2021

Morning Murli. Om Shanti. Madhuban.

Brahma Kumaris

आज की शिव बाबा की साकार मुरली, बापदादा, मधुबन।  Brahma Kumaris (BK) Murli for today in Hindi. SourceOfficial Murli blog to read and listen daily murlis. पढ़े: मुरली का महत्त्व

“मीठे बच्चे - इस समय तुम बाप के ऊपर बलिहार जाओ तो 21 जन्मों के लिए तुम सदा सुखी बन जायेंगे''

प्रश्नः-

ज्ञानी बच्चों को अपनी अवस्था ठीक रखने के लिए कौन सी आदत पक्की डालनी चाहिए?

उत्तर:-

सवेरे-सवेरे उठने की। सवेरे-सवेरे उठकर बाबा की याद में बैठना – यह बहुत अच्छी धारणा है। जो बच्चे जल्दी सोते और जल्दी उठ जाते उनकी अवस्था सारा दिन ठीक रहती है। अज्ञानियों की नींद से ज्ञानी बच्चों की नींद आधी होनी चाहिए। 10 बजे सो जाओ 2 बजे उठकर बैठो।

♫ मुरली सुने (audio)➤

गीत:-

मुझको सहारा देने वाले….

ओम् शान्ति। बच्चे सब सम्मुख बैठे हैं तो जानते हैं हम जीव आत्मायें हैं। यहाँ तो जीव आत्मायें होंगी ना। जब आत्मा को शरीर नहीं है तो नंगी है, उसको अशरीरी कहा जाता है। तुम तो शरीर के साथ बैठे हो। आत्मा वा परमात्मा जब तक शरीर में न आये तो बोल न सके। तुम जीव आत्मायें जानती हो, अब बाप के सम्मुख बैठे हैं। हूबहू जैसे 5 हजार वर्ष पहले सम्मुख आये थे। बच्चे जरूर बाप से वर्सा ही लेंगे। जानते हैं हम अपने परमपिता परमात्मा बेहद के बाप के सम्मुख बैठे हैं। क्यों बैठे हैं? बाप से बेहद का वर्सा लेने। जैसे स्कूल में समझते हैं हम टीचर द्वारा इन्जीनियरी, बैरिस्टरी सीखते हैं। यह एम ऑब्जेक्ट रहती है। तुम बच्चे समझते हो परमपिता परमात्मा हमको ब्रह्मा के तन से बैठ राजयोग सिखलाते हैं। भगवानुवाच – यह तो बच्चों को समझाया है कि भगवान निराकार को कहा जाता है। जीव आत्मायें पुनर्जन्म जरूर लेती हैं। कोई भी संन्यासी से तुम पूछो – मनुष्य पुनर्जन्म लेते हैं? तो ऐसे नहीं कहेंगे कि नहीं लेते हैं। नहीं तो 84 लाख जन्म कैसे कहते? पूछो – तुम पुनर्जन्म को मानते हो? यह तो बरोबर है, आत्मा संस्कार अनुसार एक शरीर छोड़ फिर दूसरा लेती है। ऐसे कोई-कोई मनुष्य 84 जन्म लेते हैं। 84 लाख जन्म की तो बात ही नहीं। पहला जन्म जरूर बहुत अच्छा सतोप्रधान होगा। लास्ट छी-छी तमोप्रधान होगा। 16 कला से फिर 14 कला, 12 कला होती जायेंगी, पुनर्जन्म जरूर लेते हैं। पूछना चाहिए अच्छा परमपिता परमात्मा पुनर्जन्म लेते हैं वा पुनर्जन्म रहित हैं? देखो यह प्वाइंट बहुत सूक्ष्म है। अगर कहेंगे जन्म-मरण रहित है तो फिर शिव जयन्ती सिद्ध नहीं होती। कहेंगे शिव जयन्ती तो मनाई जाती है। समझाया जाता है हाँ शिव जयन्ती है परन्तु जन्म के साथ फिर मरना जिसे कहा जाता है वह नहीं है। अगर मरे तो फिर पुनर्जन्म ले। बाप कभी पुनर्जन्म नहीं लेते। वह इस तन में एक ही बार आते हैं, बस फिर पुनर्जन्म में नहीं आते। परमपिता परमात्मा पुनर्जन्म रहित है, वह कभी सतोप्रधान से तमोप्रधान नहीं बनते हैं। आत्मायें तो सब जन्म-मरण में आते-आते पतित बन जाती हैं फिर बाप आते हैं पावन बनाने। इससे सिद्ध होता है आत्मा ही पतित होती है, आत्मा घर से पावन आती है फिर माया पतित बना देती है। बाप तो कभी पतित नहीं बनायेंगे। बाप कभी भी बच्चों को गन्दी मत नहीं दे सकते। इस समय के मनुष्य पतित मत ही देते हैं। अब पावन बाप कहते हैं कि पतित नहीं बनो अर्थात् विकार में नहीं जाओ। रावण की मत से दु:खधाम बन गया। पहले सुखधाम था। ऐसे नहीं बाप ही सुख दु:ख देते हैं। नहीं, बाप कभी बच्चों को दु:ख की मत दे नहीं सकते। माया ही दु:ख देती है। उस माया पर जीत पाने से तुम जगतजीत बनते हो। मनुष्य माया का अर्थ नहीं समझते। वह धन को माया कह देते हैं। कहते हैं ना इनको माया का नशा बहुत है। परन्तु माया का नशा होता नहीं। वहाँ रावण का बुत बनाकर जलाते नहीं। बुत तो दुश्मन का बनाया जाता है। रावणराज्य शुरू होता है आधाकल्प से। देह अहंकार आने से फिर और विकार आ जाते हैं। शास्त्रों में लिखा हुआ है देवतायें वाम मार्ग में अर्थात् विकारों में जाते हैं। माया के वश होने से परवश बन जाते हैं। परमत पर चलते रहते हैं। अभी तुम चलते हो श्रीमत पर। परमत माना माया की मत। श्री अर्थात् श्रेष्ठ मत है बाप की। वह है रावण की मत, परमत इसलिए बाप ने कहा है आसुरी सम्प्रदाय सब रावण की जंजीर में बंधे हुए दु:खी हैं।

मनुष्यों ने सतयुग की आयु लाखों वर्ष समझ ली है। तुम तो हिसाब बताते हो – 5 हजार वर्ष कैसे हैं। क्राइस्ट को 2 हजार वर्ष हुआ, बुद्ध को 2250 वर्ष हुआ फिर इस्लामी को 2500 वर्ष हुआ। सबको मिलाकर आधाकल्प हुआ। उनके पहले तो देवताओं का राज्य था फिर देवताओं को लाखों वर्ष कैसे कह सकते हैं। इतने मनुष्य होते फिर तो मनुष्य बहुत हो जाते। इतने तो हैं नहीं। 5 हजार वर्ष में ही करोड़ों मनुष्य हो जाते हैं। कहते भी हैं क्राइस्ट के 3 हजार वर्ष पहले भारत में आदि सनातन देवी-देवता धर्म था। 5 हजार वर्ष पूरे हो जाते हैं। नाटक पूरा तो होता है ना। इन बातों को कोई जानते नहीं। मैं जो हूँ, जैसा हूँ, यह चक्र फिरता है, कोई जान न सकें। बाप ही समझाते हैं – यह है गीता एपीसोड। बाप ने आकर सहज राजयोग सिखाया था। बाबा बुढ़ियों को भी समझाते हैं कि यह बहुत सहज बात है। सिर्फ बाप और वर्से को याद करना है। बच्चा पैदा हुआ, गोया वारिस पैदा हुआ। तुम समझते हो हम बाबा के वारिस हैं। 5 हजार वर्ष बाद फिर से मिलने आये हैं। यह बड़ी गुप्त बातें हैं। बाबा पूछते हैं आगे कभी मिले हो? कहते हैं हाँ बाबा। आत्मा इस मुख द्वारा कहती है – हम 5 हजार वर्ष पहले आपसे मिले थे। आप इस तन द्वारा शिक्षा देने आये थे। जो पक्के-पक्के बच्चे हैं समझते हैं हम बाबा से बेहद का वर्सा लेने बैठे हैं। हम बेहद के बाप के बने हैं, ब्रह्मा द्वारा। बाप कहते हैं – मुझे पहचानते हो, मैं तुम्हारा बाप हूँ। तुम कहेंगे हाँ बाबा, हम आत्माओं के आप परमपिता परमात्मा बाप हो। बाप भी कहते हैं – तुमको हमने स्वर्ग में भेजा था, वर्सा दिया था फिर माया ने छीन लिया फिर अब मैं देता हूँ। माया वर्सा छीनती है, बाप दिलाते हैं। यह अनेक बार खेल हो चुका है, होता रहेगा। अन्त नहीं है। बाप के बनते हैं फिर कोई सगे, कोई लगे। कोई सौतेले, कोई मातेले बनते हैं। कच्चे-पक्के तो हैं ना। पक्कों को भी कभी माया एकदम जीत लेती है। बच्चे कहते हैं बाबा हम जब तक जियेंगे, आपसे वर्सा लेते रहेंगे। विकर्मो का बोझा सिर पर बहुत है। तो जितना तुम याद में रहेंगे उस योग अग्नि से तुम पाप-आत्मा से पुण्य-आत्मा बनते जायेंगे। आग चीज़ को पवित्र करती है। तुम्हारी है योग अग्नि। यह बेहद का यज्ञ है। बेहद के सेठ ने बेहद का यज्ञ रचा है। इतने वर्ष कोई भी यज्ञ चलता नहीं है। 7-8 रोज़ वा एक मास के लिए यज्ञ रचते हैं। तुम्हारा यह यज्ञ तो कितने वर्षों से चल रहा है। बाप तो सुनाते रहते हैं। कहते हैं भूल मत जाना, सिर्फ मुझे याद करो तो तुम्हारे जन्म-जन्मान्तर के विकर्मो का बोझा कटता जायेगा। भगवानुवाच – मुझ अपने बाप को याद करो। जरूर आया हुआ है तब तो कहते हैं ना।

बाप कहते हैं – अब तुमको वापिस जाना है। तुम्हारी आत्मा इस समय बहुत पतित है। अब तुम जानते हो योग से हम पावन बनते जायेंगे। तुम्हारी तो प्रतिज्ञा है कि आप जब आयेंगे तो और संग तोड़ तुम संग जोड़ेगे। तुम पर वारी जायेंगे। स्त्री, पुरूष पर और पुरूष, स्त्री पर बलिहार होते हैं। यहाँ है बाप पर बलिहार जाना। शादी में एक दूसरे पर बलिहार जाते हैं ना। अब बाप कहते हैं – तुमको कोई मनुष्य पर बलिहार नही जाना है। तुम्हारी प्रतिज्ञा है – आप पर बलिहार जाऊंगी। आप हमारे पर बलिहार जाओ तो 21 जन्म तुमको सदा सुखी बनाऊंगा। कितना भारी वर्सा है। श्रीमत से तुम श्रेष्ठ बनेंगे, यह भूलो मत। लक्ष्मी-नारायण का चित्र भी घर में रख दो। हम बाप से यह वर्सा ले रहे हैं। बाप परमधाम से आये हुए हैं। परन्तु माया चील भी कम नहीं है। सबकी बात नहीं है परन्तु नम्बरवार हैं। कोई तो एकदम भूल जाते हैं कि हम बाप से वर्सा लेते हैं। यहाँ बैठे हैं तो नशा चढ़ता है। यहाँ से बाहर निकला और भूला फिर सुबह को रिफ्रेश होते हैं फिर सारा दिन भूल जाते हैं। 4-5 वर्ष रहकर अच्छी सर्विस करने वाले भी आज देखो नहीं हैं। कुछ अवज्ञा की है तो माया ने जोर से थप्पड़ मारा और चले गये। बाबा कह देते हैं – चढ़े तो चाखे प्रेम रस, गिरे तो चकनाचूर। देखते हो कैसे चकनाचूर हो जाते हैं। बैकुण्ठ में तो जरूर चलेंगे। परन्तु पद तो नम्बरवार है ना। भल वहाँ सब सुखी रहते हैं फिर भी मर्तबे तो हैं ना। स्कूल में मर्तबे पाने के लिए ही तो पुरूषार्थ करते हैं। ऐसे नहीं प्रजा ही सही, जो तकदीर में होगा। नहीं, इसको तमोप्रधान पुरूषार्थ कहा जाता है। सतोप्रधान उनको कहेंगे जो बाप से पूरा वर्सा लेने की प्रतिज्ञा करते हैं। यह घुड़दौड़ है। सभी नम्बरवन तो नहीं जायेंगे। यह ह्यूमन रेस है। तुम चाहते हो हम जल्दी शिवबाबा के गले में पिरो जाएं तो उनको याद करना पड़े। सारा मदार याद पर है। माया विघ्न ऐसा डालती है जो एकदम रेस से निकाल देती है। तुम्हारी ह्युमन रेस है। आत्मा कहती है हम बहुत दु:खी हुए हैं। शरीर लेते-लेते बहुत तंग हुए हैं। कहते हैं अब जायें बाबा के पास। बाबा ने युक्ति तो बतलाई है। कहते हैं बाबा हम आपकी याद में ही रहेंगे। जितना टाइम निकाल सको उतना अच्छा है। गवर्मेन्ट की सर्विस में भी 8 घण्टा देते हो, ऐसे याद में भी 8 घण्टे तो रहो। सृष्टि को स्वर्ग बनाना यह कितनी भारी सर्विस है। सिर्फ बाप को याद करो और सुख-धाम को याद करो। बस, यह 8 घण्टा सर्विस करेंगे तो तुम पूरा वर्सा पायेंगे। ऐसे-ऐसे याद करते-करते तुम्हारे विकर्म विनाश होंगे। 8 घण्टा इस सर्विस में दो बाकी 16 घण्टा तुम फ्री हो। जितना हो सके तुम घड़ी-घड़ी याद करो। याद तो कहाँ भी बैठ कर सकते हो। सबसे अच्छा टाइम तुमको सवेरे मिलेगा। सिन्धी में कहावत भी है सवेरे सोना, सवेरे उठना…वही मनुष्य बड़ा गुणवान है। यह गायन भी अभी का है। बाप कहते हैं रात को जल्दी सो जाओ और फिर सवेरे-सवेरे उठो। अज्ञानी लोग 8 घण्टा नींद करते हैं, तुम्हारी नींद आधी होनी चाहिए। 4-5 घण्टा नींद बस। तुम कर्मयोगी हो ना। रात को 10 बजे सो जाओ 2 बजे उठो। शिवबाबा को याद करने से तुम्हारी कमाई बहुत है। तुमको हेल्थ वेल्थ दोनों ही मिलेगी। अच्छा 2 बजे नहीं तो 3 बजे उठो, 4 बजे उठो। फर्स्टक्लास समय वह है। शान्ति रहती है, सब अशरीरी बन जाते हैं। उस समय सन्नाटा बहुत होता है। अमृतवेले की याद अच्छा असर करती है। बाबा बहुत करके रात को जागते रहते हैं। सूक्ष्म सर्विस में थकावट नहीं होती। कमाई से तो खुशी होगी। तुम बच्चे सवेरे उठ अपनी अविनाशी कमाई करते रहो। अच्छा!

मीठे-मीठे सिकीलधे बच्चों प्रति मात-पिता बापदादा का याद-प्यार और गुडमॉर्निंग। रूहानी बाप की रूहानी बच्चों को नमस्ते।

धारणा के लिए मुख्य सार :

1) 21 जन्म सदा सुखी बनने के लिए एक बाप पर पूरा-पूरा बलिहार जाना है। श्रीमत से श्रेष्ठ बनना है। मनमत वा परमत को त्याग देना है। कोई अवज्ञा नहीं करनी है।

2) सवेरे-सवेरे उठकर याद में बैठ कमाई करनी है। सृष्टि को स्वर्ग बनाने की सर्विस कम से कम 8 घण्टा जरूर करनी है।

वरदान:-

जो देह-अभिमान को अर्पण करता है उनका हर कर्म दर्पण बन जाता है। जैसे कोई चीज़ अर्पण की जाती है तो वह अर्पण की हुई चीज़ अपनी नहीं समझी जाती है। तो देह के भान को भी अर्पण करने से जब अपनापन मिट जाता है तो लगाव भी मिट जाता है। उन्हें ही सम्पूर्ण समर्पण कहा जाता है। ऐसे समर्पण होने वाले सदा योगयुक्त और बन्धनमुक्त होते हैं। उनका हर संकल्प, हर कर्म युक्तियुक्त होता है।

स्लोगन:-

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