24 Nov 2023 HINDI Murli Today | Brahma Kumaris

Read and Listen today’s Gyan Murli in Hindi

23 November 2023

Morning Murli. Om Shanti. Madhuban.

Brahma Kumaris

आज की शिव बाबा की साकार मुरली, बापदादा, मधुबन।  Brahma Kumaris (BK) Murli for today in Hindi. SourceOfficial Murli blog to read and listen daily murlis. पढ़े: मुरली का महत्त्व

“मीठे बच्चे - देह-अभिमान है रुलाने वाला, देही-अभिमानी बनो तो पुरुषार्थ ठीक होगा, दिल में सच्चाई रहेगी, बाप को पूरा फालो कर सकेंगे''

प्रश्नः-

किसी भी परिस्थिति वा आपदा में स्थिति निर्भय वा एकरस कब रह सकती है?

उत्तर:-

जब ड्रामा के ज्ञान में पूरा-पूरा निश्चय हो। कोई भी आफत सामने आई तो कहेंगे यह ड्रामा में था। कल्प पहले भी इसे पार किया था, इसमें डरने की बात ही नहीं। परन्तु बच्चों को महावीर बनना है। जो बाप के पूरे मददगार सपूत बच्चे हैं, बाप की दिल पर चढ़े हुए हैं, ऐसे बच्चे ही सदा स्थिर रहते, अवस्था एकरस रहती है।

♫ मुरली सुने (audio)➤

गीत:-

ओ दूर के मुसाफिर…

ओम् शान्ति। जब विनाश का समय होता है तो कुछ बच तो जाते ही हैं, राम की सेना या रावण की सेना दोनों से बचते जरूर हैं। तो रावण की सेना चिल्लाती है। एक तो हम साथ नहीं गये और फिर पिछाड़ी में बहुत तकलीफ होती है क्योंकि त्राहि-त्राहि बहुत होती है। तुम बच्चों में भी अनन्य जो हैं वही लायक होंगे विनाश देखने के। वही हिम्मत वाले होंगे। जैसे अंगद के लिए बतलाते हैं कि वह स्थिर रहा ना। विनाश सिवाए तुम बच्चों के और कोई देख न सके। त्राहि-त्राहि ऐसी होती है, जैसे आपरेशन होने के समय कोई खड़े नहीं हो सकते हैं। यह तुम सामने देखते रहेंगे। हाहाकार होता रहेगा। जो अच्छे अनन्य बच्चे, बाबा के मदद-गार सपूत बच्चे हैं, वह दिल पर चढ़े हुए हैं। हनूमान कोई एक नहीं था। सब हनूमान, महावीरों की ही माला है। रुद्राक्ष माला होती है ना। रुद्र भगवान् की भी जो माला है उसका नाम ही है रुद्र माला। रुद्राक्ष एक बहुत कीमती बीज होता है। रुद्राक्ष में भी कोई रीयल, कोई आर्टीफिशल होते हैं, वही माला 100 रूपये की भी मिलेगी, वही माला दो रूपये की भी मिलेगी। हरेक चीज़ ऐसे है। बाप हीरे जैसा बनाते हैं, उसकी भेंट में सब आर्टीफीशल ठहरे। सच परमात्मा के आगे सब झूठे वर्थ नाट ए पेनी हैं। एक कहावत है ना – सूर्य के आगे अन्धेरा कभी छिप नही सकता। अब यह है ज्ञान सूर्य, उनके आगे अज्ञान कभी छिप नहीं सकता। तुमको सच्चे बाप द्वारा सच मिल रहा है। तुम जानते हो सच्चे ईश्वर बाप के लिए मनुष्य जो बोलते हैं वह झूठ बोलते हैं।

अभी तुम समझाते हो गीता का भगवान् शिव है, न कि दैवी गुणों वाला देवता श्रीकृष्ण। अभी है संगमयुग, फिर सतयुग जरूर होगा। श्रीकृष्ण की आत्मा अभी ज्ञान ले रही है। मनुष्य फिर समझते हैं ज्ञान दे रही है। कितना फ़र्क हो गया है। वह बाप, वह बच्चा। बाप को एकदम गुम कर दिया है और बच्चे का नाम डाल दिया है। आगे चलकर आखिर सच निकल पड़ेगा। पहली मुख्य बात है ही इस पर। सर्वव्यापी क्यों समझा है? क्योंकि गीता में श्रीकृष्ण का नाम डाल दिया है। इन बातों को तुम जानते हो। श्रीकृष्ण अथवा देवी-देवताओं की जो आत्मायें हैं उन्होंने 84 जन्म पूरे लिए हैं। गाया भी जाता है आत्मा परमात्मा अलग रहे बहुकाल…….. हम ही सबसे पहले बिछुड़े हैं। बाकी सब आत्मायें तो बाबा के साथ वहाँ रहती हैं। इसका अर्थ कोई नहीं समझते। तुम्हारे में भी कोई बिरले हैं जो यथार्थ रीति समझा सकते हैं। देह-अभिमान ही बहुत रुलाता है। देही-अभिमानी ही ठीक पुरुषार्थ करेंगे तो धारणा भी अच्छी रीति हो सकती है इसलिए कहा जाता है फालो फादर। एक्ट में भी फादर आते हैं। फादर तो दोनों हो जाते हैं। यह कौन-सा फादर कहते हैं, सो तुमको थोड़ेही पता पड़ता है क्योंकि बाप-दादा दोनों इस शरीर में हैं। एक जो एक्ट में आते हैं, उसे फालो किया जाता है। बाप समझाते हैं – बच्चे, देही-अभिमानी बनो। बहुत अच्छे बच्चे भी देह-अभिमानी हैं क्योंकि बाबा को याद नहीं करते। जो योगी नहीं, वह धारणा नहीं कर सकते। यहाँ तो सच्चाई चाहिए। पूरा फालो करना चाहिए। जो सुनते हो वह धारण कर समझाते रहो। निर्भय रहना है। ड्रामा पर खड़े रहना है। कोई भी आफतें आदि आती हैं तो समझते हैं यह ड्रामा में है। तकल़ीफ पास तो की है ना। तुम सब महावीर हो ना। तुम्हारा नाम बाला है। 8 बहुत अच्छे महावीर हैं, 108 उनसे कम हैं, 16 हजार उनसे कम। बनना तो जरूर है। यह बादशाही कल्प पहले भी स्थापन हुई है सो होनी है। बहुत संशय में आकर छोड़ भी देते हैं। निश्चय हो तो ऐसे बाप को फ़ारकती थोड़ेही दे सकते हैं। जोर करके ज्ञान अमृत पिलाया जाता है तो भी पीते नहीं, जैसे छोटा बच्चा होता है ना। बाप ज्ञान दूध पिलाते हैं तो भी पीते नहीं हैं, एकदम मुँह फेर लेते हैं तो बिल्कुल निकम्मे बन जाते हैं। कह देते हैं हमको मात-पिता से कुछ भी नहीं चाहिए, मैं श्रीमत पर नहीं चल सकता हूँ तो श्रेष्ठ फिर कैसे बनेंगे? भगवान् की है श्रीमत। तो यह भी एक स्लोगन लिख देना चाहिए कि निराकार ज्ञान सागर पतित-पावन भगवान् शिवाचार्य वाच – माता स्वर्ग का द्वार है। समझाने के लिए बुद्धि में प्वाइंट्स आनी चाहिए। स्टूडेंट जरूर सब नम्बरवार होंगे। ड्रामा में वही अपना-अपना पार्ट बजा रहे हैं। दु:ख में हम उनको याद करते हैं। दूर देश में बाप रहते हैं, उनको हम आत्मायें याद करती हैं। दु:ख में सिमरण सब करें, सुख में एक भी नहीं करते हैं। अभी तो दु:ख की दुनिया है ना। यह समझाना बहुत सहज है। पहले-पहले तो समझाना है कि बाप है स्वर्ग की स्थापना करने वाला, तो क्यों नहीं हमको स्वर्ग की बादशाही मिलनी चाहिए। यह भी जानते हैं सब तो वर्सा नहीं पायेंगे। सब स्वर्ग में आ जायें तो फिर नर्क हो ही नहीं। वृद्धि कैसे हो?

यह तो गाया हुआ है – भारत अविनाशी खण्ड अर्थात् अविनाशी बाप का बर्थ प्लेस है। भारत ही स्वर्ग था। हम खुशी से बोलते हैं – 5 हजार वर्ष पहले स्वर्ग था। बरोबर स्वर्ग के मालिकों के चित्र तो हैं ना। कहते भी हैं क्राइस्ट से 3 हजार वर्ष पहले भारत हेविन था। जरूर भारत में ही सूर्यवंशी-चन्द्रवंशी थे। चित्र भी उनके हैं। कितना सहज है। बुद्धि में यह नॉलेज चलती है। बाबा की आत्मा में यह नॉलेज थी तो हम आत्माओं को भी धारणा कराई है। वह है ही नॉलेजफुल। फिर कहते भी हैं कि इस प्रजापिता ब्रह्मा द्वारा राजयोग सिखलाता हूँ जिससे वह राजाओं का राजा बन जाते हैं। फिर यह नॉलेज प्राय: लोप हो जायेगी। अब ज्ञान फिर से तुमको मिल रहा है। तो अब तुम बच्चों को चैलेन्ज देनी है। इसमें बड़ी अच्छी फर्स्टक्लास बुद्धि चाहिए। बाबा अपने पास कभी भी ऊंची वस्तु नहीं रखते। कहेंगे इतने मकान आदि बनाये हैं, वह भी बच्चों के रहने के लिए बनाये हैं। नहीं तो बच्चे कहाँ आकर रहेंगे। एक दिन तो सब मकान अपने हाथ आ जायेंगे। भगवान् के दर पर भक्तों की भीड़ तो होनी ही है ना। उन्हों ने तो बहुत भगवान् बना दिये हैं। प्रैक्टिकल में तो यह है ना। तुम समझते हो कितनी भीड़ होगी। दुनिया में तो बहुत अन्धश्रधा है। मेले लगते हैं तो कितनी भीड़ हो जाती है। कभी-कभी तो आपस में लड़ पड़ते हैं। भीड़ में फिर कितने मर पड़ते हैं। बहुत नुकसान हो जाता है। तो यह स्वदर्शन चक्र बहुत अच्छा है। स्लोगन भी जरूर लिख देना चाहिए। पिछाड़ी में माताओं के आगे सभी को झुकना है। शक्तियों के ऐसे चित्र बनाते हैं। बाप बच्चों के लिए ज्ञान बारूद बनवाते हैं। कहते हैं सिद्ध करो। वह तो सहज है। भक्त भगवान् को याद करते हैं, साधू साधना करते हैं – भगवान् से मिलने लिए। गॉड को फादर कहा जाता है। बरोबर हम उनकी सन्तान ठहरे। ब्रदरहुड कहते हैं ना। चीनी-हिन्दू भाई-भाई हैं। तो बाप एक हुआ ना। जिस्मानी रूप में फिर बहन-भाई हो जाते हैं, विकारी दृष्टि हो न सके। यह युक्ति है पवित्र रहने की। बाप भी कहते हैं – काम महाशत्रु है। परन्तु जब कोई समझे। मुख्य एक बात है – भगवान् सबका बाप है। बाप स्वर्ग की स्थापना करने वाला है तो जरूर बाप से वर्सा मिलना चाहिए। वर्सा था, अब गँवाया है। यह सुख-दु:ख का खेल है। यह अच्छी रीति से समझाना चाहिए। अच्छा!

मीठे-मीठे सिकीलधे बच्चों प्रति मात-पिता बापदादा का याद-प्यार और गुडमॉर्निंग। रूहानी बाप की रूहानी बच्चों को नमस्ते।

धारणा के लिए मुख्य सार :

1) दु:ख के समय अपार सुखों की जो लाटरी मिली है, एक बाप से सच्ची प्रीत हुई है, उसका सिमरण कर सदा खुशी में रहना है।

2) बाप-दादा समान निराकारी और निरहंकारी बनना है। हिम्मत रख विकारों पर जीत पानी है। योगबल से बादशाही लेनी है।

वरदान:-

आप बच्चे सिर्फ कर्मकर्ता नहीं हो लेकिन योगयुक्त होकर कर्म करने वाले कर्मयोगी हो। तो आप द्वारा हर एक को यह अनुभव हो कि यह काम तो हाथ से कर रहे हैं लेकिन काम करते भी अपनी शक्तिशाली स्टेज पर स्थित हैं। चाहे साधारण रीति से चल रहे हैं, खड़े हैं लेकिन रूहानी पर्सनैलिटी का दूर से ही अनुभव हो। जैसे दुनियावी पर्सनैलिटी आकर्षित करती है, ऐसे आपकी रूहानी पर्सनैलिटी, प्योरिटी की पर्सनैलिटी, ज्ञानी वा योगी तू आत्मा की पर्सनैलिटी स्वत: आकर्षित करेगी।

स्लोगन:-

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