19 May 2023 HINDI Murli Today | Brahma Kumaris

Read and Listen today’s Gyan Murli in Hindi

18 May 2023

Morning Murli. Om Shanti. Madhuban.

Brahma Kumaris

आज की शिव बाबा की साकार मुरली, बापदादा, मधुबन।  Brahma Kumaris (BK) Murli for today in Hindi. SourceOfficial Murli blog to read and listen daily murlis. पढ़े: मुरली का महत्त्व

“मीठे बच्चे - तुम्हें अन्त तक यह मीठी नॉलेज सुनते रहना है जब तक जीना है - पढ़ना और योग सीखना है''

प्रश्नः-

बाप के साथ-साथ तुम बच्चे किस सेवा के निमित्त बने हुए हो?

उत्तर:-

जैसे बाप सारे विश्व को लिबरेट करते हैं, सब पर ब्लिस करते हैं, पीस मेकर बन पीस स्थापन करते हैं ऐसे तुम बच्चे भी बाप के साथ इस सेवा के निमित्त हो। तुम हो सैलवेशन आर्मी। तुम्हें भारत के डूबे हुए बेडे को सैलवेज करना है। 21 जन्मों के लिए सबको सम्पत्तिवान बनाना है। ऐसी सेवा तुम बच्चों के सिवाए और कोई कर नहीं सकता।

♫ मुरली सुने (audio)➤

ओम् शान्ति। बच्चे जानते हैं और गाया भी जाता है कि सन शोज़ फादर एण्ड मदर। जबकि बाप बच्चों को रचता है, जब तक रचा नहीं है तो बाप बच्चों को कैसे सिखलाये कि तुम्हारा यह मात-पिता है। बच्चे यह सीखकर फादर का शो करते हैं कि हमारा फादर ऐसा है। वैसे ही फिर गाया जाता है स्टूडेन्ट शोज़ टीचर। जबकि टीचर स्टूडेन्ट को पढ़ाते हैं तब वह शो करते हैं। फलाने बैरिस्टर ने हमको बैरिस्टर बनाया। जब तक बैरिस्टर नहीं तो स्टूडेन्ट शो कैसे करे। वैसे गुरू लोग भी जब फालोअर्स बनायें तब कहें कि गुरू से यह-यह मिला। अब वह बाप, टीचर, गुरू तो अलग-अलग होते हैं। हाँ, कोई फादर बच्चों को पढ़ाते भी हैं, हो सकता है परन्तु उनमें तो सबजेक्ट बहुत हैं। ऐसे तो नहीं एक ही टीचर सब सब्जेक्ट पढ़ाते हैं। हर सब्जेक्ट के अलग-अलग टीचर होते हैं। यह तो एक ही बाप, टीचर, गुरू है। जब तक बच्चों को अपना न बनाये तब तक शो निकाल न सके कि हम फलाने के बच्चे हैं, उनकी मिलकियत के हम हकदार हैं। पहले-पहले तो बाप बच्चों को अपना बनाते हैं। बच्चे भी कहते हैं – हमने अपना बनाया है। बच्चे जानते हैं – फादर का शो कैसे करना है। हम हैं ईश्वर की औलाद प्रैक्टिकल में। यूँ तो ईश्वरीय औलाद हर एक समझते हैं, ओ गॉड फादर कहते हैं। फादर कहा जाता है तो मदर भी याद आती है। कहते भी हैं तुम मात-पिता… फादर ने आकर बच्चों को समझाया है – हम तुम्हारे मात-पिता हैं। तुम भी जान गये हो यह बेहद का मात-पिता है। वही फादर बैठ पढ़ाते हैं, सृष्टि चक्र के आदि-मध्य-अन्त का राज़ बताते हैं। बच्चे जब समझते हैं तो फिर औरों को भी समझाते हैं कि सृष्टि चक्र कैसे फिरता है। गाया भी जाता है – वर्ल्ड की हिस्ट्री-जॉग्राफी रिपीट होती है। परन्तु यह नॉलेज तुमको मिलती है इस समय। जबकि पुरानी दुनिया का विनाश, नई दुनिया की स्थापना होती है। अभी वर्ल्ड का चक्र पूरा होता है। कलियुग अथवा पुराना युग पूरा हो नई दुनिया, नया युग शुरू हो रहा है। यह नॉलेज टीचर तुम स्टूडेन्ट को सुनाते हैं। स्टूडेन्ट फिर औरों को सुनाते हैं। वह टीचर बाप भी है, वह सुप्रीम बाप बैठ समझाते हैं। नई दुनिया, नया युग था तब भारत में बरोबर देवी-देवताओं का राज्य था। दो युग एक ही वर्ल्ड आलमाइटी अथॉरिटी राज्य था। वह विश्व के मालिक थे। कौन? भारतवासी आदि सनातन देवी-देवतायें। भल थे भारत खण्ड के मालिक परन्तु बेहद विश्व के मालिक थे। कोई पार्टीशन नहीं थी। सागर, आकाश, वायु, पृथ्वी सबका एक ही भारत मालिक था। विश्व के रचता की जयन्ती वा बर्थ भी यहाँ ही होता है। बाप कहते हैं मैं तो पुनर्जन्म में आता नहीं हूँ। आत्मा कहती है मैं एक शरीर छोड़ दूसरा लेती हूँ वा पाप आत्मा से पुण्य आत्मा हो रही हूँ। बाप समझाते हैं तुम जानते भी हो मनुष्य पुनर्जन्म लेते हैं। 84 जन्म हैं मैक्सीमम।

इस नॉलेज को दुनिया नहीं समझती। बाप को ही नॉलेजफुल, ब्लिसफुल कहा जाता है। सारे विश्व पर ब्लिस करते हैं, सबको लिबरेट करते हैं। बाप बैठ समझाते हैं – मैं कैसे बच्चों को लिबरेट करता हूँ। मैं गाइड भी हूँ, पीस मेकर भी हूँ। पीस स्थापन करता हूँ। सावरन्टी भी स्थापन करता हूँ। बच्चे जानते हैं – इस समय भारत इनसालवेन्ट है। तो बेहद के बाप का यह बर्थ प्लेस है। परन्तु मनुष्य समझते नहीं। शिव का सोमनाथ मन्दिर भी यहाँ ही है। वहाँ यही शिवलिंग रखा हुआ है। बच्चों को समझाया है – परमात्मा का कोई इतना बड़ा रूप तो नहीं है। स्टार जैसा है। अच्छा, गुरू के फॉलोअर्स बनते हैं, गुरू उनको शास्त्र आदि सुनाते हैं वह फिर औरों को सुनाते हैं। कहेंगे – गुरू ने हमको यह शास्त्र आदि सिखाये। बनारस में जाकर शास्त्र आदि सीखते हैं। विद्युत मण्डली से टाइटल आदि ले आते हैं। जैसे सरस्वती आदि… अब यह सरस्वती नाम तो मम्मा का है क्योंकि उसने बेहद की नॉलेज सुनाई है। वह तो हद के भक्ति मार्ग के शास्त्र सीखते हैं। अब यह तो बच्चे जानते हैं हमारा सुप्रीम गुरू भी वह है। सुप्रीम बाप भी है, सर्वशक्तिमान बाप चाहिए ना क्योंकि माया भी कम नहीं है। वह भी सर्वशक्तिमान है। माया सर्व में व्यापक है। बाप सर्व में व्यापक नहीं है, वह तो पुनर्जन्म रहित है। परमपिता परमात्मा पुनर्जन्म नहीं लेता, मनुष्य लेते हैं। फिर भी परमात्मा को सर्वव्यापी कहना कितनी ग्लानी है। जब-जब ऐसी ग्लानी करते हैं और मनुष्य पतित बन जाते हैं तब फिर मैं आता हूँ। यह कोई शास्त्रों में थोड़ेही है कि बेहद का बाप टीचर भी है, सतगुरू भी है। सबको पतित से पावन बनाने वाला भी है। बाप कहते हैं यह सब वेद-शास्त्र हैं भक्ति मार्ग के। भक्ति मार्ग आधाकल्प चलता है, ज्ञान मार्ग आधाकल्प नहीं चलता। ज्ञान तो एक ही समय बाप आकर समझाते हैं। एक ही बार ज्ञान प्राप्त करने से फिर तुम्हारी 21 जन्म प्रालब्ध चलती है। ऐसे नहीं कि यह नॉलेज अथवा ज्ञान आधाकल्प चलता है। यह तो समझाते हो यह नॉलेज प्राय:लोप हो जाती है। वहाँ हैं ही सब सद्गति वाले, उनको ज्ञान की दरकार है नहीं। इस समय ज्ञान सागर बाप आकर बच्चों को कितना ज्ञान सुनाते हैं। बच्चे जब तक जीते रहेंगे बाप की नॉलेज सुनते रहेंगे। बड़ी मीठी नॉलेज है। योग भी अन्त तक सीखना पड़े क्योंकि सिर पर जन्म-जन्मान्तर के पापों का बोझ बहुत है। एक जन्म की बात नहीं। जन्म-जन्मान्तर से आत्मा पर मैल चढ़ी है, इसलिए बिल्कुल घोर अन्धियारे में आ गई है। आत्मा में पुनर्जन्म की मैल रहते-रहते, खाद पड़ते-पड़ते कितनी पतित तमोप्रधान बन गई है। आत्मा भी मुलम्मे की तो जेवर (शरीर) भी मुलम्मे का। एकदम जड़जड़ीभूत अवस्था को पा लिया है। खास भारतवासी आम सब धर्म नम्बरवार। तो सब बच्चों को फादर और मदर का शो करना है। त्वमेव माताश्च पिता कहते हैं तो फादर के साथ मदर भी चाहिए। मनुष्य समझते हैं – एडम ब्रह्मा, ईव सरस्वती। वास्तव में यह रांग है। निराकार गॉड फादर है तो मदर भी जरूर होगी। परन्तु वो लोग ईव जगत अम्बा को कह देते हैं। वास्तव में यह बहुत मुख्य बात है। निराकार शिवबाबा इस ब्रह्मा मुख से कहते हैं – तुम हमारे बच्चे हो। यह ब्रह्मा माता बन जाती। ब्रह्मा प्रजापिता भी है तो माता भी है। वह है सुप्रीम रूहानी बाप। फिर स्थूल में माता ब्रह्मा की बेटी सरस्वती कहलाती है। जगत अम्बा का कितना भारी मेला लगता है। जगतपिता ब्रह्मा का अजमेर में इतना मेला आदि नहीं लगता है। जगत अम्बा का बहुत मान है क्योंकि माता का प्रभाव बढ़ाना है। वह तो कहते स्त्री का पति गुरू ईश्वर है। परन्तु ऐसे है नहीं। बाप आकर कहते हैं तुम माताओं का मर्तबा ऊंच बनाते हैं। गवर्मेन्ट भी माताओं को आगे रख रही है। वह सब है वायोलेन्स और यह है नानवायोलेन्स गुप्त शक्ति सेना।

वह है विनाश काले विपरीत बुद्धि। यह भी ड्रामा बना हुआ है। ड्रामा को बुद्धि में बहुत अच्छी रीति रखना है। यह बेहद का ड्रामा रिपीट होता है। बच्चों को जिस रीति सिखलाता हूँ फिर कल्प बाद सिखलाऊंगा। सब ड्रामा के बंधन में बंधे हुए हैं। बाप खुद कहते हैं – मैं भी ड्रामा के बंधन में हूँ। दु:ख तो भारतवासियों पर बहुत आते रहते हैं। ऐसे थोड़ेही घड़ी-घड़ी अवतार लेकर छुड़ाऊंगा। मैं तो एक ही बार आता हूँ, आकर सारे विश्व का मालिक बनाता हूँ। परमधाम से कल्प के संगमयुगे युगे आता हूँ। अभी तुम ड्रामा के डायरेक्टर, मुख्य एक्टर को जानते हो। हद की बात सुनाते हैं – फलाना साहूकार था। यहाँ तुम जानते हो – हू इज हू, सृष्टि भर में सबसे साहूकार कौन! सारी सृष्टि में सबसे साहूकार ते साहूकार स्वर्ग के लक्ष्मी-नारायण हैं। ऐसा कौन आकर सुनाते हैं? बाप। बच्चे जानते हैं हमारे जैसा भविष्य 21 जन्मों के लिए सम्पत्तिवान कोई नहीं बनता। तुम बड़ी भारी सेवा करते हो। भारत की खास और विश्व की आम। तुम हो सैलवेशन आर्मी। भारत का अब बेड़ा डूबा हुआ है, यह भी ड्रामा है। समझाया जाता है भारत का बेड़ा सैलवेज कौन करते हैं? शिव शक्तियाँ। शिव शक्तियाँ तुम सब हो। बाप कहते हैं मैंने तुमको स्वर्ग का मालिक बनाया था। माया ने पतित बनाया फिर तुमको महाराजा-महारानी बनाता हूँ। तुम्हारा है प्रवृत्ति मार्ग। संन्यासियों का है निवृति मार्ग। वह है हद का संन्यास, यह है बेहद का संन्यास। आजकल दुनिया में झूठ करप्शन बहुत है। यह है रौरव नर्क। तुम बच्चे अब ईश्वरीय बुद्धि से क्या बनते हो? अब तुम कहते हो हम शिवबाबा के ब्रह्मा द्वारा बच्चे बने हैं। फिर हम देवता बनेंगे फिर क्षत्रिय, वैश्य, शूद्र बनेंगे फिर ईश्वर के बच्चे बनेंगे। कल्प पहले भी ईश्वरीय बच्चे थे। बाप से स्वर्ग का वर्सा मिलता है तो श्रीमत पर चलना है। वह है विनाश काले विपरीत बुद्धि यादव और कौरव। तुम हो विनाश काले प्रीत बुद्धि पाण्डव जिसकी ही जय-जयकार होनी है। तुम हो गुप्त शिव शक्ति भारत माता, इसमें गोप-गोपियाँ दोनों हैं। नाम माताओं का करना है। माताओं को ही बहुत सताया है। द्रोपदी को ही नगन किया है। कहती हैं – भगवान हमें नगन होने से बचाओ। तो बाप आकर बचाते हैं। बहुत प्रापर्टी मिलती है। प्रतिज्ञा करनी चाहिए – शिवबाबा, मीठा बाबा, हम आपसे वर्सा जरूर लेंगे। वर्सा शिवबाबा से लेना है ना। गाते भी हैं ईश्वर की गत मत न्यारी है। वही जाने और न जाने कोई। तुम अब जानते हो ईश्वर की गत-मत बच्चे जानते हैं फिर बच्चों को शो करना है। बच्चों को स्थाई सुख शान्ति का वर्सा बाप ही देते हैं। अल्पकाल की शान्ति कोई काम की नहीं है। माँ बाप कहते हो तो फिर बच्चों को फादर मदर का शो करना पड़े। फादर मदर कौन है? सो बच्चे बैठ बताते हैं। यह मदर फादर सारे वर्ल्ड के हैं। वह बैठ वर्सा देते हैं। बरोबर बाप से वर्सा मिला था। अब कलियुग का अन्त है फिर जरूर बाप से मिलना चाहिए। सन शोज़ फादर, फादर शोज़ सन। बाप सिर्फ कहते हैं मुझे याद करो तो तुम्हारा बोझा उतर जायेगा। याद का चार्ट रखना चाहिए। हम कितना समय बाप को याद करते हैं। ऐसे नहीं, हम तो शिवबाबा की सन्तान हैं ही। परन्तु कहते हैं – उठते, बैठते, चलते कितना याद रखते हैं – चार्ट रखो। मुख्य है याद। विघ्न भी योग में पड़ते हैं। भारत का प्राचीन योग मशहूर है। वह है हठयोग। राजयोग बाप ही सिखलाते हैं। वह तो बहुत किस्म-किस्म के योग सिखलाते हैं। उनका है हद का संन्यास, तुम्हारा है बेहद का संन्यास। प्रवृत्ति में रहते हुए बाप को इतना याद करो जो अन्त समय औरों की याद न आये। आत्मा को एक बाप को याद करना है तब ही विकर्माजीत बन सकेंगे। विकर्माजीत और कोई बना न सके। भल करके भावना का भाड़ा अल्पकाल के लिए मिलता है परन्तु पतित से पावन नहीं बन सकते। भक्त कितना माथा मारते तो भी जा नहीं सकते। भगवान सभी बच्चों का एक ही है। वह एक बार ही आते हैं। कहते हैं हू-ब-हू 5 हज़ार वर्ष पहले मुआफिक आया हूँ, फिर से सिकीलधे बच्चों से आकर मिला हूँ। आत्मा-परमात्मा अलग रहे बहुकाल… कौन सी आत्मायें हैं जो अलग रही हैं? उनको ही पहले आना है। अनेक धर्मों का विनाश, एक धर्म की स्थापना हो जायेगी तो फिर सतयुगी आदि सनातन देवी-देवता धर्म के बनेंगे। दूसरा कोई धर्म होगा नहीं।

अब तुम हो सिकीलधे बच्चे स्वदर्शन चक्रधारी। पहले सिकीलधे फिर स्वदर्शन चक्रधारी कहेंगे। मनुष्य कहेंगे – यह तो देवताओं का टाइटिल है। देवताओं को ही अलंकार हैं। यह सब अपनी कल्पना ले आये हैं, ऐसे भी कहेंगे। तुम जानते हो मीठे झाड़ की सैपलिंग लग रही है। विलायत में भी यही नॉलेज देनी है। तुम्हारा हेविनली गॉड फादर कौन है? जरूर मदर भी होगी। बाप आये हुए हैं सुख-शान्ति का वर्सा देने, उसमें हेल्थ और वेल्थ सब कुछ मिलता है तो फिर कायदे अनुसार बाप को याद करो। कहते हैं – ओ गॉड फादर तो फिर सर्वव्यापी कैसे कहते हैं, यह तो रांग हो जाता है। अच्छा!

मीठे-मीठे सिकीलधे बच्चों प्रति मात-पिता बापदादा का याद, प्यार और गुडमार्निंग। रूहानी बाप की रूहानी बच्चों को नमस्ते।

धारणा के लिए मुख्य सार :

1) विकर्माजीत बनने के लिए चलते फिरते बाप को याद करने का अभ्यास करना है। याद का चार्ट जरूर रखना है।

2) अपनी हर चलन से मात-पिता और टीचर का शो करना है। विनाश काल में प्रीत बुद्धि बनकर रहना है। रूहानी सेवा करनी है।

वरदान:-

आप सब भाग्य की लकीर खींचने वाले ब्रह्मा के बच्चे हो इसलिए सदा गोल्डन गिफ्ट का स्टॉक भरपूर रहे। जब भी किसी से मिलते हो तो हर एक को शुभ भावना और शुभ कामना की गिफ्ट सदा देते रहो। विशेषता दो और विशेषता लो। गुण दो और गुण लो। ऐसी गाडॅली गिफ्ट सभी को देते रहो। चाहे कोई किसी भी भावना वा कामना से आये लेकिन आप यह गिफ्ट अवश्य दो तब कहेंगे मास्टर भाग्य विधाता।

स्लोगन:-

 दैनिक ज्ञान मुरली पढ़े

रोज की मुरली अपने email पर प्राप्त करे Subscribe!

Leave a Comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Scroll to Top
Scroll to Top