18 April 2023 HINDI Murli Today | Brahma Kumaris

Read and Listen today’s Gyan Murli in Hindi

17 April 2023

Morning Murli. Om Shanti. Madhuban.

Brahma Kumaris

आज की शिव बाबा की साकार मुरली, बापदादा, मधुबन।  Brahma Kumaris (BK) Murli for today in Hindi. SourceOfficial Murli blog to read and listen daily murlis. पढ़े: मुरली का महत्त्व

“मीठे बच्चे - आधाकल्प माया ने तुम्हें बहुत हैरान किया है, अब तुम बाप की शरण में आये हो, तुम्हें बाप से सच्ची प्रीत रख माया-जीत, जगत-जीत बनना है।''

प्रश्नः-

संगमयुग पर भगवान को भी कौन सी मेहनत करनी पड़ती है?

उत्तर:-

आत्मा रूपी मैले कपड़ों को साफ करने की। तुम बच्चे बाप के पास आये हो अपने पापों का खाता साफ करने। जितना देही-अभिमानी बन बाप को याद करेंगे उतना विकर्माजीत बनते जायेंगे। अगर बुद्धि का योग बाप के सिवाए और किसी के संग जोड़ा तो भस्मासुर बन जायेंगे इसलिए श्रीमत पर चलते चलो।

♫ मुरली सुने (audio)➤

गीत:-

ओम् नमो शिवाए..

ओम् शान्ति। तुम बच्चों ने सहारा लिया है बाप का अथवा बाप की शरण में आये हो। यह कोई लौकिक बाप नहीं, यह है पारलौकिक बाप। तुमको माया ने आधाकल्प तंग किया है। तुम बच्चे ही जानते हो – यह है दु:खधाम, आसुरी दुनिया। कल्प-कल्प तुम बच्चे बाप के पास आकर शरण लेते हो। तुम शरणागति हो। माया ने महान दु:खी बनाया है। तुम्हारी जो भी इज्जत थी वह माया ने बरबाद कर दी है। यह तुम बच्चे ही जानते हो। जब मनुष्य दु:खी होते हैं तो जाकर दूसरे के पास शरण लेते हैं। यहाँ तुम भी आधाकल्प से माया की शरण में थे। जिसकी शरण में अब तुम आये हो वह बैठ आत्माओं को समझाते हैं। दुनिया वाले नहीं जानते कि हम कब से दु:खी बने हैं। हम स्वर्ग के फूल थे फिर माया कैसे आकर काँटा बनाती है, यह अभी तुम बच्चे समझ सकते हो। फिर भी मनुष्य हो, जानवर तो नहीं हो। बच्चे कहते हैं तुम मात-पिता हम बालक तेरे… हम आपकी शरण में आये हैं। हमारी रक्षा करो इस माया रावण से। बरोबर अब तुम बच्चों को माया से मुक्त कर स्वर्ग का मालिक बना रहे हैं। माया ने तुमको बहुत तंग किया है। भगवान को भक्त याद ही तब करते हैं जबकि तंग हैं। है तो ड्रामा अनुसार। जो स्वर्ग के थे, उन्हों की ही माया दुश्मन बनी है। यह कोई भी नहीं जानते कि आधाकल्प की ही माया दुश्मन है। यह बड़ी गुह्य बातें समझने की हैं। आधाकल्प से तुम बहुत याद करते आये हो कि हम इस आ़फत से कैसे छूटें। बाप आकर हमको अपना बनाए स्वर्ग का वर्सा देते हैं। तुम सब इस समय रिफ्युज़ी हो। आजकल रिफ्युज़ी बहुत होते हैं ना। जाकर एशलम अथवा शरण लेते हैं।

तुम जानते हो माया ने भारत को बहुत दु:खी बना दिया है। भारत में जब स्वर्ग था तो देवी-देवतायें बहुत सुखी थे। यह यूरोपियन लोग भी जानते हैं कि भारत बहुत प्राचीन देश है। जब हम लोग नहीं थे तो सिर्फ भारत ही था। प्राचीन भारत बहुत मालामाल सुखी था जिसको ही स्वर्ग, हेविन कहते हैं। पांच हज़ार वर्ष की बात है। अभी तो वही भारत कंगाल, कौड़ी तुल्य बन गया है। किसने बनाया? माया रावण ने। आधाकल्प से भारत गिरते-गिरते अब कौड़ी तुल्य हो गया है। बाप कहते हैं आधाकल्प से तुमको माया ने हैरान किया है। अब तुम प्रभू का एशलम माँगते हो। भगवान आओ, हम आप पर बलिहार जायें। भारत को फिर से हीरे जैसा परमपिता परमात्मा ही बनाते हैं इसलिए भक्त भगवान को याद करते हैं – हे ईश्वर शरण लो। कहते भी हैं – लाज रखो। आप रहमदिल हो फिर कह देते सर्वव्यापी, इसको धर्म ग्लानि कहा जाता है। तुम जानते हो माया ने आधाकल्प से बिल्कुल ही गिरा दिया है। बाप कहते हैं कल्प-कल्प ऐसे जब भारत धर्म भ्रष्ट, कर्म भ्रष्ट बन जाता है तब मैं आता हूँ। अपने धर्म को भी नहीं जानते। यह है भावी। जब धर्म लोप हो जाए तब तो बाप आकर फिर से स्थापन करे। अब वह धर्म प्राय:लोप है। यह ड्रामा अनुसार होता है, तब ही बाप आकर फिर ब्रह्मा द्वारा स्वर्ग की स्थापना, शंकर द्वारा नर्क का विनाश कराते हैं। अभी विनाश का समय है ना। विनाश काले विपरीत बुद्धि बन पड़े हैं। तुम्हारी प्रीत बुद्धि है। सर्व शक्तिमान् परमपिता परमात्मा की तुमने शरण ली है माया पर जीत पाने। तुमको सहज राजयोग और ज्ञान मिलता है। बाप कहते हैं तुम मुझ बाप को भूल गये हो। माया ने तुमको मुझ बाप से बेमुख कर दिया है। बाप बैठ ब्रह्मा मुख द्वारा शिक्षा देते हैं। माया की प्रवेशता होने के कारण ऐसी ग्लानि की बातें लिख दी हैं। तुम जानते हो राजयोग बाप के सिवाए कोई सिखा न सके। बाप तो है स्वर्ग का रचयिता। यह आत्मा ही बात करती है। तुमको देही-अभिमानी बनाते हैं। आत्मा ही संस्कार ले जाती है। आत्मा ही लेप-छेप में आती है। वह समझते हैं आत्मा निर्लेप है, बाकी शरीर पर कुछ न कुछ दोष लगता है। उसके लिए गंगा स्नान करते हैं। परन्तु गंगा जल से तो पाप कट न सकें इसलिए बाप कहते हैं देह सहित सबको भूलो। अपने को आत्मा निश्चय कर मुझ परमपिता परमात्मा शिव को याद करो। शिव है निराकार। शिव जयन्ती मनाते हैं, परन्तु कोई भी जानते नहीं। सोमनाथ का मन्दिर इतना बड़ा है परन्तु वह कब आये, कैसे आये, क्या आकर किया – कुछ नहीं जानते हैं। जरूर कोई शरीर में आये होंगे। सर्वव्यापी के ज्ञान ने सब बातें भुला दी हैं। अब बाप कहते हैं श्रीमत पर चलो।

शिवबाबा इस शरीर में प्रवेश कर तुमको नॉलेज दे रहे हैं। यह शरीर लोन लिया है। इस रथ में रथी बन तुमको ज्ञान दे रहे हैं। बाकी कोई घोड़े-गाड़ी आदि की बात नहीं है। उनको भागीरथ अथवा नंदीगण भी कहते हैं। कहते हैं भागीरथ ने गंगा लाई। कोई माथे से थोड़ेही निकलती है इसलिए बाप कहते हैं इन वेद शास्त्र आदि के पढ़ने से मेरी प्राप्ति नहीं हो सकती। मेरे को तो आना है। तुमको आकर शरण लेते हैं। तुमको मनुष्य थोड़ेही जानते हैं कि रावण क्या चीज़ है। अब तो रावण राज्य है। रावण की आसुरी मत पर चलने वाले हैं। अभी तुम श्रीमत से 21 जन्म के लिए श्रेष्ठ ते श्रेष्ठ बन रहे हो। आसुरी मत द्वापर से शुरू होती है, जिसको विशस वर्ल्ड कहा जाता है। विशस वर्ल्ड स्थापन करने वाला है रावण। वाइसलेस वर्ल्ड स्थापन करने वाला है राम, शिवबाबा। गीत भी सुना शिवाए नम:। ब्रह्मा, विष्णु, शंकर देवताए नम: कहेंगे। ऐसे नहीं, ब्रह्मा परमात्माए नम: कहेंगे। नहीं, परमात्मा तो एक है। सबका बाप एक है। अब तुमको बाप से वर्सा मिल रहा है। यह पाठशाला है – मनुष्य से देवता बनने की। गॉड फादरली कॉलेज है। भगवानुवाच है ना। नाम ही लिखा हुआ है ईश्वरीय विश्व-विद्यालय। एम ऑबजेक्ट भी लिखी पड़ी है। नर से श्री नारायण, नारी से श्री लक्ष्मी बनना है। तुम फिर से नर से नारायण बन रहे हो। श्रीमत पर चलने से तुम श्रेष्ठ बनेंगे इसलिए बाबा कहते हैं – रात को भी जागकर बाप को याद करो। बाबा हम आपको ही याद करेंगे। आपके पास ही आना है फिर आप हमको स्वर्ग में भेज देंगे। बाप तुम माताओं द्वारा स्वर्ग की स्थापना करते हैं। तुम योग में रहकर भारत को पवित्र बनायेंगे। तुम्हारे योग की शान्ति से फिर 21 जन्म भारत में शान्ति होती है। वहाँ माया होती नहीं है। सदा सुखी रहते हैं। देह-अभिमान के कारण ही मनुष्य दु:खी बनते हैं। अब बाप तुमको देही-अभिमानी बनाते हैं। सतयुग में जो दैवी गुण वाले थे, वह अभी आसुरी गुणों वाले बन पड़े हैं। अब तुम फिर से शिवालय, स्वर्ग का मालिक बनने के लिए बाप से वर्सा ले रहे हो। यह कॉलेज है। जब तक विनाश हो बाप पढ़ाते रहेंगे क्योंकि आधाकल्प का सिर पर बोझा चढ़ा हुआ है, वह मिटा नहीं है। मेहनत लगती है। इस समय सब पाप आत्मायें हैं। पवित्र आत्मा एक भी नहीं है। कहते हैं – हे पतित-पावन आओ, परन्तु यह नहीं समझते कि यह पतित दुनिया है।

अब तुम ब्राह्मण बने हो। ब्रह्मा की औलाद तुम कितने थोड़े हो! फिर ब्राह्मण से देवता, क्षत्रिय बनेंगे। यह है स्वदर्शन चक्र। पुन-र्जन्म लेते-लेते हम 84 जन्म पूरे करते हैं। यह बातें शास्त्रों में नहीं हैं। ब्रह्मा के हाथ में शास्त्र दिये हैं। सूक्ष्मवतन वासी ब्रह्मा हो न सके। नाम है प्रजापिता ब्रह्मा, जिसको एडम, आदम कहते हैं, वही इस सारे जीनालॉजिकल ट्री का हेड है। सो तुम जानते हो। हम रूद्र माला के दाने हैं। हम आत्मायें वहाँ से आती हैं। हमारा निवास स्थान वह परमधाम है। हर एक आत्मा को 84 जन्मों का अविनाशी पार्ट मिला हुआ है। यह सब बातें तो पतित मनुष्य समझा न सकें। पतित से पावन तो बाप ही बनायेंगे। वही सर्व पर दया करने वाला है। और कोई सारी दुनिया पर दया करने का लीडर बन न सके। यह तो बाप ही बनते हैं। बाप को तो तरस पड़ता है। जब बहुत दु:खी बन पड़ते हैं तब मैं आता हूँ। तुम बच्चे तन-मन-धन से भारत की सेवा कर भारत को स्वर्ग बनाते हो। जैसे गाँधी ने फॉरेनर्स से राज्य हाथ में लिया, परन्तु वह तो है मृगतृष्णा के समान। अभी माया भी फॉरेनर है, आधाकल्प से राज्य किया है। बाप आकर इनसे छुड़ाते हैं। माया ने तुम्हें बहुत दु:खी किया है, इसलिए बाप कहते हैं – मैं आता हूँ लिबरेट करने। अब श्रीमत पर चलो। नहीं तो माया एकदम कच्चा खा जायेगी। श्रीमत पर चल श्रेष्ठ बनो। तुम हो शिव शक्ति पाण्डव सेना। तुम्हारा यादगार देलवाड़ा मन्दिर खड़ा है। प्रैक्टिकल में देलवाड़ा मन्दिर है एक्यूरेट। राजयोग से तो स्वर्ग के मालिक बनते हैं। भारत स्वर्ग था ना। अब तुम परमपिता परमात्मा की शरण में आये हो बाप से बेहद का वर्सा लेने। 21 पीढ़ी देवी-देवताओं का राज्य चलता है। तुम आते हो स्वर्ग का मालिक बनने। माया ने भस्मासुर बना दिया है। बाप आकर ज्ञान अमृत की वर्षा करते हैं। बाप की शरण भी लेते हैं, फिर माया ट्रेटर बना देती है। फिर अबलाओं पर कितने अत्याचार होते हैं। अभी कोई सावरन्टी तो है नहीं। बाप आकर डीटी सावरन्टी स्थापन करते हैं। सतयुग आदि में महाराजा-महारानी थे। अभी तो नो सावरन्टी। प्रजा का प्रजा पर राज्य है, इसको कहा जाता है अधर्म। माया अधर्म का राज्य स्थापन करती है। बाप फिर आकर धर्म का राज्य स्थापन करते हैं। अभी तो नो रिलीजन। कहते हैं हम धर्म को नहीं मानते हैं, इसलिए माइट भी नहीं है। यह भी अल्पकाल का स्वराज्य है। आपस में ही लड़-झगड़ खत्म हो जायेंगे। तुमको बाबा आकर अमरपुरी का मालिक बनाते हैं। बाप आत्माओं से बात करते हैं। बच्चे, तुमको देही-अभिमानी बनना है।

जितना बाप के साथ योग लगायेंगे तो विकर्मों का बोझा उतरेगा और तुम विकर्माजीत बनेंगे। जो बाप स्वर्ग का मालिक बनाते हैं उनको फारकती दी, बुद्धि का योग और कोई संग जोड़ा तो भस्मासुर बन पड़ेंगे। अब तुम बैठे हो अपने कर्मों का खाता साफ करने। पापों का बोझा बहुत है। बाप कहते हैं – मैं आकर अजामिल जैसे पापियों का उद्धार करता हूँ। बाप ज्ञान-अमृत से कितना शुद्ध बनाते हैं! फिर भी श्रीमत पर चलते-चलते आश्चर्यवत भागन्ती हो जाते हैं। भगवान आकर मेहनत करते हैं तो जो मैला कपड़ा है वह फट पड़ता है, इसलिए अजामिल नाम रखा है। बाप का बनकर फिर फारकती दे तो वह हुए नम्बरवन अजामिल। उन जैसा पाप आत्मा कोई होता नहीं, इसलिए तुम बच्चों को बहुत अच्छी रीति श्रीमत पर चलना है। अगर श्रीमत को छोड़ा तो माया खा जायेगी, फिर कल्प-कल्पान्तर के लिए वर्सा गँवा देंगे। अच्छा!

मीठे-मीठे सिकीलधे बच्चों प्रति मात-पिता बापदादा का यादप्यार और गुडमार्निंग। रूहानी बाप की रूहानी बच्चों को नमस्ते।

धारणा के लिए मुख्य सार :

1) तन-मन-धन से भारत की सेवा कर इसे स्वर्ग बनाना है। माया दुश्मन से लिबरेट करना है।

2) देही-अभिमानी बनने के लिए देह सहित सब कुछ भूलना है। जो भी पुराने कर्मों का खाता है उसे योगबल से साफ करना है। विकर्माजीत बनना है।

वरदान:-

जिस समय कोई कमजोरी वर्णन करते हो, चाहे संकल्प की, बोल की, चाहे संस्कार-स्वभाव की तो यही कहते हो कि मेरा विचार ऐसे कहता है, मेरा संस्कार ही ऐसा है। लेकिन जो बाप का संस्कार, संकल्प सो मेरा। समर्थ की निशानी ही है बाप समान। तो संकल्प, बोल, हर बात में बाबा शब्द नेचुरल हो और कर्म करते करावनहार की स्मृति हो तो बाबा के आगे माया अर्थात् कमजोरी आ नहीं सकती।

स्लोगन:-

 दैनिक ज्ञान मुरली पढ़े

रोज की मुरली अपने email पर प्राप्त करे Subscribe!

Leave a Comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Scroll to Top
Scroll to Top