16 Dec 2023 HINDI Murli Today | Brahma Kumaris

Read and Listen today’s Gyan Murli in Hindi

December 15, 2023

Morning Murli. Om Shanti. Madhuban.

Brahma Kumaris

आज की शिव बाबा की साकार मुरली, बापदादा, मधुबन।  Brahma Kumaris (BK) Murli for today in Hindi. SourceOfficial Murli blog to read and listen daily murlis. पढ़े: मुरली का महत्त्व

“मीठे बच्चे - अविनाशी सर्जन से कुछ भी छिपाना नहीं है, अवज्ञा हो तो क्षमा लेनी है, नहीं तो बोझ चढ़ता जायेगा, निंदक बन पड़ेंगे''

प्रश्नः-

सच्ची कमाई का आधार क्या है? उन्नति में विघ्न क्यों पड़ते हैं?

उत्तर:-

सच्ची कमाई का आधार पढ़ाई है। अगर पढ़ाई ठीक नहीं तो सच्ची कमाई कर नहीं सकते। उन्नति में विघ्न तब ही पड़ता जब संग ठीक नहीं। कहा भी जाता है संग तारे कुसंग बोरे। संग खराब होगा तो पढ़ेंगे नहीं, नापास हो जायेंगे। संग ही एक-दो को रसातल में पहुँचा देता है, इसलिए संगदोष से तुम बच्चों को बहुत ही सम्भाल करनी है।

♫ मुरली सुने (audio)➤

गीत:-

तू प्यार का सागर है…

ओम् शान्ति। बेहद के बाप की महिमा बच्चे करते हैं। यह है भक्ति मार्ग की महिमा। तुम सपूत बच्चे अभी सम्मुख में बाप की महिमा करते हो। समझते हो बेहद का बाप आकर हमको ज्ञान दे स्वर्ग का मालिक बना रहे हैं क्योंकि ज्ञान का सागर वही है। गॉड में नॉलेज है। उसको कहते हैं गॉडली नॉलेज। परमपिता परमात्मा नॉलेज देने वाला है। किसको? बच्चों को। जैसे तुम्हारी मम्मा पर गॉडेज आफ नॉलेज नाम रखा हुआ है। तो जब वह जगत अम्बा गॉडेज आफ नॉलेज है तो उनके बच्चों में भी वही नॉलेज होगी। गॉडेज आफ नॉलेज सरस्वती को गॉड नॉलेज देते हैं। परन्तु किस द्वारा देते हैं? यह बड़ी ही समझने की बातें हैं। दुनिया नहीं जानती है कि जगत अम्बा कौन है? यह तो बच्चे जानते हैं जगत अम्बा तो एक ही होगी। नाम बहुत दे दिये हैं। मनुष्य तो यह जानते नहीं कि यह प्रजापिता ब्रह्मा की मुख वंशावली सरस्वती है। उनको नॉलेज देने वाला गॉड फादर है। सृष्टि चक्र कैसे फिरता है – यह नॉलेज गॉड फादर देते हैं। बाप ने नॉलेज दी बच्चों को। सरस्वती को कैसे मिली? जरूर प्रजापिता ब्रह्मा की मुख वंशावली है तो परमपिता परमात्मा जो ज्ञान का सागर है, उसने इस मुख द्वारा सरस्वती को ज्ञान दिया होगा। वही ज्ञान फिर औरों को भी दिया होगा। गॉड फादर पढ़ाते हैं तो जरूर गॉड फादर के बच्चे मास्टर गॉड हुए ना इसलिए नाम रखा हुआ है गॉडेज आफ नॉलेज। बच्चे यह जानते हैं कि हम और हमारी मम्मा नॉलेज ले रही है ज्ञान सागर के द्वारा, जिसको ही गीता का भगवान् कहा जाता है। भगवान् तो एक है। कोई देवता या मनुष्य भगवान नहीं हो सकता। अब गॉडेज आफ नॉलेज है तो कौन-सी नॉलेज होगी? राजयोग की। इस सहज राजयोग की नॉलेज से गॉडेज आफ नॉलेज सरस्वती ही फिर गॉडेज आफ लक्ष्मी बनती है। गॉडेज आफ नॉलेज की महिमा है तो जरूर बच्चों की भी है। प्रजापिता की सब सन्तान ठहरे। मम्मा की सन्तान नहीं कहेंगे। प्रजापिता ब्रह्मा के मुख कमल की यह हैं सन्तान। तुम सब ईश्वरीय सन्तान निश्चय करते हो। ईश्वर बाप कहते हैं मैं बच्चों के ही सम्मुख होता हूँ। वो ही मुझे जानते हैं। तो जगत अम्बा है गॉडेज आफ नॉलेज। यह सहज राजयोग की नॉलेज है, न कि शास्त्रों की। गॉड ने इनको नॉलेज दी और यह गॉडेज कहलाई। जगत अम्बा तो माता ठहरी। फिर दूसरे जन्म में गॉडेज आफ वेल्थ, लक्ष्मी बनती है, जिससे मनुष्य भीख मांगते हैं। तो सिद्ध हुआ बाप द्वारा जगत अम्बा को राजयोग का वर्सा मिलता है। उनको गॉडेज आफ नॉलेज कहा जाता है। नॉलेज सोर्स आफ इनकम है। यह है सच्ची कमाई जो सच्चे बाप द्वारा होती है। तुम अब नम्बरवार पुरूषार्थ अनुसार सच्ची कमाई कर रहे हो। अगर पढ़ाई नहीं करते तो उनकी सच्ची कमाई नहीं होती। संग ठीक नहीं होगा तो पढ़ नहीं सकेंगे, उन्नति नहीं होगी। संग तारे कुसंग बोरे (डुबोये) संग खराब होगा, पढ़ेंगे नहीं, तो नापास हो पिछाड़ी में बैठे रहेंगे। टीचर जानता है इनका क्या कारण है। बाप नहीं जानता है। हाँ, इतना बाप जरूर समझेगा कि पढ़ाई कम की है, जरूर खराब संग है जिसके कारण नापास हो पड़ते हैं। समझो आपस में प्यार है, दोनों नहीं पढ़ते हैं तो एक-दो को रसातल में पहुँचा देंगे। बाप समझते हैं कि यह पढ़ते नहीं, इनको अलग करना चाहिए। पढ़ाई बिगर मनुष्य को कहा जाता है बेसमझ। पढ़ते हैं तो कहेंगे समझदार। भगवान् की मत पर नहीं चलते तो कहा जायेगा यह सौतेला बच्चा है। परन्तु वह अर्थ को नहीं जानते हैं। तुम जानते हो – कोई नहीं पढ़ते हैं तो फिर पतित के पतित ही रह जायेंगे, नापास हो भागन्ती हो जायेंगे। बाप कहते हैं – अहो रावण, तुम हमारे बच्चों को भी हप कर जाते हो। कितना शक्तिशाली हो। बच्चे शैतान की मत पर चल पड़ते हैं। श्रीमत पर नहीं चलते हैं। अपने साथ प्रण करना चाहिए – कदम-कदम हम बाबा की मत पर चलेंगे। जो श्रीमत पर नहीं चलते उनको आसुरी मत वाला कहेंगे। बाबा समझ जाते हैं यह इतना ऊंच पद पा नहीं सकेगा, किसको समझा नहीं सकेगा तो कहेंगे रावण के वश है। योग नहीं है जो बुद्धि शुद्ध हो जाए। बुद्धि का योग भी चाहिए। ईश्वरीय बच्चों की चलन बड़ी रॉयल होनी चाहिए। जमते जाम (जन्म लेते ही होशियार राजा) तो कोई हो नहीं सकता। इस कारण बाबा कहते हैं 5 विकार रूपी रावण पर जीत पानी है, श्रीमत पर। जो श्रीमत पर नहीं चलते तो बाबा कह देते यह आसुरी मत पर हैं। फिर उसमें कोई 5 परसेन्ट श्रीमत पर चलते, कोई 10 परसेन्ट चलते। वह भी हिसाब है।

तो जगत अम्बा एक ही है। जगत अम्बा है ब्रह्मा मुख वंशावली सरस्वती, यह उनका पूरा नाम है। सरस्वती को ही सितार देते हैं। यह है गॉडेज आफ नॉलेज, जरूर उनकी सन्तान भी होंगे। उनको भी तंबूरा होना चाहिए। देखो, झाड़ में यह सरस्वती बैठी है, राजयोग सीख रही है फिर यह जाकर लक्ष्मी बनती है, गॉडेज आफ वेल्थ। इसमें हेल्थ, वेल्थ, हैपीनेस सब आ जाती है। यह तो सिवाए परमपिता परमात्मा के कोई दे न सके। हेविनली गॉड फादर वह है। अब देखो, मम्मा सर्विस कर रही है। समझो, कहाँ मम्मा को निमंत्रण दें तो पहले मम्मा के आक्यूपेशन को जानें। पहले नॉलेज चाहिए – यह कौन है? दुनिया तो नहीं जानती। कहते हैं श्रीकृष्ण को गाली मिली। परन्तु यह तो हो नहीं सकता, इम्पासिबुल है। सबसे जास्ती गाली खाने वाला है शिवबाबा, सेकेण्ड नम्बर में गाली खाने वाला है ब्रह्मा। श्रीकृष्ण और ब्रह्मा। परन्तु श्रीकृष्ण को गाली दे न सकें। मनुष्यों को यह पता नहीं कि सरस्वती गॉडेज आफ नॉलेज भविष्य में राधे बनती है। स्वयंवर बाद लक्ष्मी बनती है, गॉडेज आफ वेल्थ। उनमें हेल्थ, वेल्थ, हैप्पी सब आ जाता है। तुमको समझाने का बड़ा नशा चाहिए। मम्मा कौन है – यह समझाना पड़े ना। यह है सरस्वती, ब्रह्मा की बेटी मुख वंशावली। भारतवासी कुछ भी जानते नहीं। नॉलेज है नहीं। अन्धश्रद्धा बहुत है। ब्लाइन्ड फेथ में भारतवासी बहुत हैं। पूजा किसकी करते हैं, यह भी नहीं जानते। क्रिश्चियन अपने क्राइस्ट को जानते हैं। सिक्ख लोग जानते हैं कि गुरूनानक ने सिक्ख धर्म स्थापन किया। अपने धर्म स्थापक को जानते हैं। सिर्फ भारतवासी हिन्दू नहीं जानते। अन्धश्रद्धा से पूजा करते रहते हैं, आक्यूपेशन का कुछ भी पता नहीं है। कल्प की आयु बड़ी करने से कुछ भी समझते नहीं। इस्लामी, बौद्धी आदि बाद में आये हैं। उन्हों के आगे जरूर यह देवतायें होंगे। उन्हों का भी इतना समय होगा। इतने और सब धर्मों को आधाकल्प लगता है तो इस एक धर्म को भी आधाकल्प देना पड़े। लाखों वर्ष तो कह नहीं सकते। तुम जगत अम्बा के मन्दिर में जाकर समझायेंगे – इस गॉडेज आफ नॉलेज को यह नॉलेज किसने दी? ऐसे तो नहीं कहेंगे श्रीकृष्ण ने जगत अम्बा को नॉलेज दी। परन्तु यह भी समझा वह सकेंगे जिनकी प्रैक्टिस अच्छी है। कोई-कोई को तो देह-अभिमान बहुत है। कोई न कोई मित्र सम्बन्धी आदि याद पड़ते रहते हैं। बाप कहते हैं औरों को याद करेंगे तो मेरी याद भूल जायेंगे। तुम गाते भी हो और संग तोड़ एक संग जोड़ेंगे। वह तो अब यहाँ बैठे हैं। बाबा हम आपके हैं, आपकी मत पर चलेंगे। ऐसा कोई कर्म नहीं करेंगे जिसमें नाम बदनाम हो। बहुत बच्चे ऐसे-ऐसे काम करते हैं, जिससे नाम बदनाम होता है। जब तक कोई समझे तब तक गाली देते रहते हैं। नाम भी तो बाला हुआ है। अहो, प्रभू तेरी लीला गाई है ना। परन्तु बच्चे समझ सकते हैं, और कोई जानते नहीं। बाप कहते हैं – बच्चे, मैं तो निष्काम सेवा करता हूँ। अपकारियों पर भी उपकार करता हूँ। भारत को ही सोने की चिड़िया बनाता हूँ। नम्बरवन उपकार करने वाला हूँ। परन्तु मनुष्य मुझे सर्वव्यापी कह बहुत गाली देते हैं। मैं तो तुम बच्चों को नॉलेज देता हूँ। तो इस ज्ञान यज्ञ में आसुरी सम्प्रदाय के विघ्न बहुत पड़ते हैं। बाप तो समझाते हैं जो बच्चे अच्छी तरह नहीं समझते हैं उनके कारण ही किचड़ा पड़ता है। ग्लानी कराते हैं। कई बच्चे तो बहुत अच्छी सर्विस करते हैं, कई डिससर्विस भी करते हैं। एक तरफ कई कन्स्ट्रक्शन करते हैं तो एक तरफ फिर डिस्ट्रक्शन भी करते हैं क्योंकि ज्ञान नहीं है। यह सूर्यवंशी, चन्द्रवंशी राजधानी स्थापन हो रही है। जो पूरी रीति नहीं समझते हैं उनको समझाना है। तरस तो पड़ता है ना। बाप का बनकर और वर्सा नहीं लिया तो वह क्या काम का रहा। बाप मिला है तो पूरा पुरूषार्थ कर वर्सा लेना चाहिए, श्रीमत पर चलना चाहिए। ऐसा कर्तव्य नहीं करना है जिससे बाप की ग्लानी हो। बाप जानते हैं काम, क्रोध यह महाशत्रु हैं। यह नाक-कान से पकड़ते रहते हैं। यह तो होगा। उनसे पार जाना है। कोई तो नाम-रूप में फंस पड़ते हैं। सब बच्चे तो एक जैसे नहीं होते। बाप फिर भी सावधान करते हैं – खबरदार रहना! ऐसे अकर्तव्य कार्य कर अगर निंदा करायेंगे तो पद भ्रष्ट हो पड़ेंगे। रूस्तम के साथ माया भी रूस्तम हो लड़ती है। बाप को याद करते-करते माया का तूफान कहाँ ले जाता है। बच्चे कोई सच बताते नहीं है। राय भी नहीं लेते हैं। अविनाशी सर्जन से कुछ भी छिपाना नहीं है। अगर बताते नहीं हैं तो और ही गन्दे हो जाते हैं। ऐसे नहीं, बाबा जानी जाननहार है, सब समझते हैं। नहीं, तुम जो अवज्ञा करते हो वह आकर बताओ – शिवबाबा मेरे से यह भूल हुई है, क्षमा चाहता हूँ। क्षमा नहीं लेते तो भूलें होती रहेंगी। गोया अपने सिर पर पाप चढ़ाते रहते हो। बाप तो समझाते हैं कल्प-कल्पान्तर के लिए अपने पद को भ्रष्ट न करो। अगर अभी ऊंच पद नहीं बनायेंगे तो कल्प-कल्पान्तर ऐसा हाल होगा। यह नॉलेज है। बाबा जानता है कल्प पहले मुआफिक राजाई स्थापन हो रही है। बापदादा जास्ती समझ सकते हैं। यह फिर भी मुरब्बी बच्चा है। माताओं की महिमा बढ़ानी है, माताओं को आगे रखा जाता है। गोपों को समझाते हैं उनको आगे ले आओ। गोप भी बहुत सर्विस कर सकते हैं। चित्र लेकर समझाओ – ऊंच ते ऊंच यह भगवान् है। फिर है त्रिमूर्ति – ब्रहमा-विष्णु-शंकर। उनमें भी ऊंच कौन है, किसका नाम है? सब कहेंगे प्रजापिता ब्रह्मा, जिसके द्वारा वर्सा मिलता है। शंकर वा विष्णु को पिता नहीं कहेंगे। उनसे कोई वर्सा नहीं मिलता है। प्रजापिता ब्रह्मा इनको कहा जाता है, इनसे क्या वर्सा मिलता है? ब्रह्मा है शिव-बाबा का बच्चा। शिवबाबा है ज्ञान का सागर, हेविन स्थापन करने वाला। तो जरूर हेविन के लिए शिक्षा मिलती है। यह राजयोग के लिए मत है। ब्रह्मा द्वारा बाप श्रीमत देते हैं। यह है देवता बनने के लिए। ब्रह्माकुमारी सो श्री लक्ष्मी गॉडेज आफ वेल्थ। वह ब्राह्मण, वह देवी-देवता। निराकारी दुनिया में सब आत्मायें हैं। बच्चों को समझाते तो बहुत हैं, परन्तु समझने वाले कोई समझें। मनुष्य तो ब्लाइन्ड फेथ से संन्यासी गुरू के फालोअर्स बनते हैं। उनसे क्या मिलेगा, यह भी नहीं जानते हैं। टीचर तो फिर भी जानते हैं कि पदवी पायेंगे। बाकी जिसके फालोअर्स बनते हैं उनसे क्या प्राप्ति है, कुछ भी नहीं जानते। यह है अन्धश्रद्धा, फालोअर्स तो है ही नहीं। न वह बनाते और न तुम उनके जैसा बनते हो। एम आब्जेक्ट क्या है – कुछ भी नहीं जानते। अच्छा!

मीठे-मीठे सिकीलधे बच्चों प्रति मात-पिता का याद-प्यार और गुडमॉर्निंग। रूहानी बाप की रूहानी बच्चों को नमस्ते।

धारणा के लिए मुख्य सार :

1) संग दोष से सदा बचे रहना है। सच्ची पढ़ाई पढ़कर सच्ची कमाई का स्टॉक जमा करना है।

2) कदम-कदम पर बाबा की श्रीमत पर चलेंगे – यह अपने साथ प्रण करना है।

वरदान:-

जैसे आत्मा और शरीर कम्बाइन्ड है तो जीवन है, ऐसे कर्म और योग कम्बाइन्ड हो। 2-3 घण्टा योग लगाने वाले योगी नहीं, लेकिन योगी जीवन वाले। उनका योग स्वत: और सहज होता है, उनका योग टूटता ही नहीं जो मेहनत करनी पड़े। उन्हें कोई भी फरियाद करने की आवश्यकता नहीं। याद में रहने से सब कार्य स्वत: सफल हो जाते हैं। फाइन बनने वाले के सब फाइल खत्म हो जाते हैं, क्योंकि योगी जीवन सर्व प्राप्तियों की जीवन है।

स्लोगन:-

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