13 May 2024 HINDI Murli Today | Brahma Kumaris
Read and Listen today’s Gyan Murli in Hindi
12 May 2024
Morning Murli. Om Shanti. Madhuban.
Brahma Kumaris
आज की शिव बाबा की साकार मुरली, बापदादा, मधुबन। Brahma Kumaris (BK) Murli for today in Hindi. Source: Official Murli blog to read and listen daily murlis. ➤ पढ़े: मुरली का महत्त्व
“मीठे बच्चे - तुम यहाँ मनुष्य से देवता बनने की ट्यूशन लेने आये हो, कौड़ी से हीरा बन रहे हो''
प्रश्नः-
तुम बच्चों को इस पढ़ाई में कोई भी खर्चा नहीं लगता है – क्यों?
उत्तर:-
क्योंकि तुम्हारा बाप ही टीचर है। बाप बच्चों से खर्चा (फी) कैसे लेगा। बाप का बच्चा बनें, गोद में आये तो वर्से के हकदार बनें। तुम बच्चे बिना खर्चे कौड़ी से हीरे जैसा देवता बनते हो। भक्ति में तीर्थ करेंगे, दान-पुण्य करेंगे तो खर्चा ही खर्चा। यहाँ तो बाप बच्चों को राजाई देते हैं। सारा वर्सा मुफ्त में देते हैं। पावन बनो और वर्सा लो।
♫ मुरली सुने (audio)➤
ओम् शान्ति। बच्चे समझते हैं कि हम स्टूडेन्ट हैं। बाप के स्टूडेन्ट क्या पढ़ रहे हो? हम मनुष्य से देवता बनने की ट्युशन ले रहे हैं। हम आत्मायें परमपिता परमात्मा से ट्युशन ले रहे हैं। अभी समझ गये कि जन्म बाई जन्म अपने को देह समझते थे, न कि आत्मा। वह लौकिक बाप फिर ट्युशन के लिए और जगह भेज देते हैं, सद्गति के लिए और जगह भेज देते हैं। बाप बुढ़ा हुआ तो फिर उनको वानप्रस्थ में जाने की दिल होती है। परन्तु वानप्रस्थ के अर्थ को कोई जानते नहीं हैं। वाणी से परे हम कैसे जा सकते हैं? बुद्धि में नहीं बैठता है। अभी तो हम पतित हैं। जहाँ से हम आत्मायें आई हैं, वहाँ तुम पावन थे। यहाँ आकर पार्ट बजाते-बजाते पतित बने हैं। अब फिर पावन कौन बनाये? पुकारते भी हैं हे पतित-पावन। गुरू को तो कोई पतित-पावन कह नहीं सकते। गुरू करते हैं फिर भी एक में पूरा निश्चय नहीं बैठता है इसलिए जांच करते हैं, ऐसा कोई गुरू मिले जो हमको अपने घर अथवा वानप्रस्थ अवस्था में पहुँचाये, उसके लिए बहुत युक्तियां रचते हैं। जहाँ सुना फलाने की बहुत महिमा है, वहाँ जायेंगे। जो इस झाड़ का सैपलिंग है, उनको तुम्हारे ज्ञान का तीर लग जाता है। समझते हैं यह तो क्लीयर बात है। बरोबर तुम वानप्रस्थ अवस्था में जाते हो ना। कोई बड़ी बात नहीं है। टीचर के लिए स्कूल में पढ़ाना कोई बड़ी बात नहीं है। भक्तों को क्या चाहिए? यह भी किसको पता नहीं है। अभी तुम बच्चे इस ड्रामा के चक्र को अच्छी तरह से जान गये हो। तुम समझते हो बरोबर बाप ने ही वर्सा दिया था, जो अब दे रहे हैं फिर उसी अवस्था में आयेंगे, सो तो तुम बच्चे समझते हो। पहली मुख्य बात है पावन बनने के लिए बाप को याद करना। लौकिक बाप तो सबको याद है। पारलौकिक बाप को जानते ही नहीं हैं। अभी तुम समझते हो अपने को आत्मा समझ बाप को याद करना सहज ते सहज भी है, डिफीकल्ट ते डिफीकल्ट भी है।
आत्मा इतना छोटा सितारा है। बाप भी सितारा है। वह सम्पूर्ण पवित्र आत्मा और यह सम्पूर्ण अपवित्र। सम्पूर्ण पवित्र का संग तारे.. सो तो एक का ही संग मिल सकता है। संग चाहिए जरूर। फिर कुसंग भी मिलता है 5 विकार रूपी रावण का। उनको कहा ही जाता है रावण सम्प्रदाय। तुम अभी बन रहे हो राम सम्प्रदाय। तुम राम सम्प्रदाय बन जायेंगे फिर यह रावण सम्प्रदाय नहीं रहेगा। यह बुद्धि में ज्ञान है। राम कहेंगे भगवान् को। भगवान ही आकर रामराज्य स्थापन करते हैं अर्थात् सूर्यवंशी राज्य स्थापन करते हैं। रामराज्य भी नहीं कहेंगे, परन्तु समझाने में सहज होता है – रामराज्य और रावण राज्य। वास्तव में है सूर्यवंशी राज्य। तुम्हारा एक छोटा पुस्तक है – हीरे जैसा जीवन कैसे बनें। अब हीरे जैसा जीवन किसको कहा जाता है – मनुष्य क्या जानें, सिवाए तुम्हारे। लिखना चाहिए हीरे जैसा देवताई जीवन कैसे बनें? देवता अक्षर एड होना चाहिए। तुम फील करते हो हम हीरे जैसा जीवन यहाँ बना रहे हैं। सिवाए बाप के और कोई बना न सके। किताब है अच्छा, उसमें यह अक्षर सिर्फ एड करो। तुम आसुरी कौड़ी जैसे जन्म से देवताई हीरे जैसा जन्म सेकण्ड में प्राप्त कर सकते हो, बिगर कौड़ी खर्चा। बच्चा बाप के पास जन्म लेता है और वर्से का हकदार बनता है। बच्चे को खर्चा लगता है क्या? गोद में आया और वर्से का हकदार बना। खर्चा तो बाप करते हैं, न कि बच्चा। अभी तुमने क्या खर्चा किया है? बाप का बनने में कोई खर्चा लगता है क्या? नहीं। जैसे लौकिक बाप का बनने में खर्चा नहीं आता, वैसे पारलौकिक बाप का बनने में भी कोई खर्चा नहीं लगता। यह तो बाप बैठ पढ़ाते हैं, पढ़ाकर तुमको देवता बनाते हैं। तुम कोई छोटे बच्चे तो नहीं हो, बड़े हो। बाप का बनने से बाप राय देते हैं, तुमको अपनी राजधानी स्थापन करनी है। इसमें पवित्र जरूर बनना है। खर्चा तो कुछ भी नहीं लगता। गंगा पर जाते हैं, तीर्थों पर स्नान करने जाते हैं, खर्चा तो करेंगे ना। तुमको बाप पर निश्चय हुआ, खर्चा लगा क्या? तुम्हारे पास सेन्टर्स पर आते हैं। तुम उनको कहते हो अब बेहद के बाप का वर्सा लो, बाप को याद करो। बाप है ना। बाप खुद कहते हैं मेरा वर्सा तुमको चाहिए तो पतित से पावन बनो, तब पावन विश्व के मालिक बन सकेंगे। यह भी जानते हो बाप बैकुण्ठ स्थापन करते हैं। समझदार बच्चे अच्छी रीति समझते हैं। उस पढ़ाई में खर्चा कितना होता है, यहाँ खर्चा कुछ भी नहीं। आत्मा कहती है हम अविनाशी हैं, यह शरीर विनाश हो जायेगा। बाल बच्चे आदि सब विनाश हो जायेंगे। अच्छा, फिर इतने पैसे जो इकट्ठे किये हैं वह क्या करेंगे? ख्याल तो होगा ना। कोई साहूकार भी होंगे, समझो उनको कोई है नहीं, ज्ञान मिलता है तो समझते हैं इस हालत में पैसा क्या करेंगे? पढ़ाई तो है सोर्स ऑफ इनकम। बाबा ने बताया था एक इब्राहम लिंकन था, बहुत गरीब था। रात को जागकर पढ़ता था। पढ़-पढ़ कर इतना होशियार हो गया जो प्रेज़ीडेन्ट बन गया। खर्चा लगता है क्या? कुछ भी नहीं। बहुत हैं जो गरीब होते हैं, उनसे गवर्मेन्ट पैसे नहीं लेती है पढ़ने के। ऐसे बहुत पढ़ते हैं, तो वह भी बिगर फी प्रेज़ीडेन्ट बन गया। कितना बड़ा पद पा लिया। यह गवर्मेन्ट भी कुछ खर्चा नहीं लेती। समझती है दुनिया में सब गरीब हैं। भल कितने भी साहूकार, लखपति, करोड़पति हैं, वह भी कहेंगे गरीब हैं। हम उनको साहूकार बनाते हैं। भल धन कितना भी हो, तुम जानते हो, बाकी थोड़े दिन के लिए है। यह सब मिट्टी में मिल जायेगा। तो गरीब ठहरे ना। सारा मदार है पढ़ाई पर। बाप बच्चों से पढ़ाई का क्या लेंगे? बाप तो विश्व का मालिक है, बच्चे जानते हैं हम भविष्य में यह बनेंगे। मैं आया हूँ, यह स्थापना करने। बैज में भी यह समझानी है। नई-नई इन्वेन्शन निकलती रहती है। शिवबाबा कहते हैं हमारी जो आत्मा है उनमें सारा पार्ट नूँधा हुआ है। जो विकारी पतित बने हैं, उनको बाप आकर पावन बनाते हैं। यह तो जानते हो 5 हज़ार वर्ष पहले बाप से विश्व की बादशाही ली थी। मुख्य बात, बाप कहते हैं मामेकम् याद करो। सम्मुख कहते हैं। रथ मिल गया तो बाप भी आ गये। रथ तो जरूर एक फिक्स होगा ना। यह बना-बनाया ड्रामा है। चेंज हो नहीं सकता। कहते हैं यह जौहरी कैसे प्रजापिता ब्रह्मा बनेगा। समझते हैं यह जौहरी था। जवाहरात एक होती है इमीटेशन, एक रीयल। इसमें भी रीयल जवाहरात बाप देते हैं तो फिर वह क्या काम आयेगी। यह हैं ज्ञान रत्न। इनके सामने उस जवाहरात की कोई कीमत नहीं। जब यह रत्न मिले तो समझा यह जवाहरात का धंधा तो कोई काम का नहीं। यह अविनाशी ज्ञान रत्न एक-एक लाखों रूपयों का है। कितने तुमको रत्न मिलते हैं। यह ज्ञान रत्न ही सच्चे बन जाते हैं। तुम जानते हो बाप यह रत्न देते हैं झोली भरने के लिए। यह मुफ्त में मिलते हैं। खर्चा कुछ भी नहीं। वहाँ तो दीवारों, छतों में भी हीरे जवाहर लगे रहते हैं। उनकी वैल्यु क्या होगी। वैल्यु बाद में होती है। वहाँ तो हीरे जवाहर भी तुम्हारे लिए कुछ नहीं हैं। यह तो बच्चों को निश्चय होना चाहिए।
बाप ने समझाया है यह रूप भी है, बसन्त भी है। बाबा का छोटा-सा रूप है। उनको ज्ञान सागर कहा जाता है। यह ज्ञान रत्न हैं जिससे तुम बहुत धनवान बनेंगे। बाकी कोई अमृत वा पानी आदि की बरसात नहीं है। पढ़ाई में पानी की बात नहीं होती। पावन बनने में खर्चे की बात ही नहीं। तुमको अब विवेक मिला है। समझते हो पतित-पावन तो एक ही बाप है। तुम अपने योगबल से पावन बन रहे हो। जानते हो पावन बन पावन दुनिया में चले जायेंगे। अब राइट यह है या वह? इन सब बातों में बुद्धि चलनी चाहिए। ड्रामा में यह भक्ति का पार्ट भी होने का ही है। बाप कहते हैं अब तुमको पावन बन पावन दुनिया में चलना है। जो पावन बनेगा वह जायेगा। जो यहाँ की सैपलिंग होंगे वह निकल आयेंगे। बाकी थोड़ेही समझेंगे। वह तो दुबन में फँसे ही रहेंगे। जब सुनेंगे तब पिछाड़ी में कहेंगे – अहो प्रभू, तेरी लीला…. आप पुरानी दुनिया को नई कैसे बनाते हो। तुम्हारा यह ज्ञान अखबारों में बहुत-बहुत पड़ जायेगा। खास यह चित्र अखबार में रंगीन डाल दो। और लिख दो – शिवबाबा प्रजापिता ब्रह्मा द्वारा पढ़ाकर स्वर्ग का मालिक यह (लक्ष्मी-नारायण) बनाते हैं। कैसे? याद की यात्रा से। याद करते-करते तुम्हारी कट उतर जायेगी। तुम खड़े-खड़े सबको यह रास्ता बता सकते हो कि बाप कहते हैं मामेकम् याद करो, अपने को आत्मा समझो। घड़ी-घड़ी यह याद दिलाकर फिर देखो उनका चेहरा कुछ बदलता है? नैन पानी से भीगते हैं? तब समझो कुछ बुद्धि में बैठता है। पहले-पहले यह एक बात ही समझानी है। 5 हज़ार वर्ष पहले भी बाप ने कहा है मामेकम् याद करो। शिवबाबा आया था तब तो शिव जयन्ती मनाते हैं ना। भारत को स्वर्ग बनाने के लिए यही समझाया था कि मामेकम् याद करो तो तुम पावन बन जायेंगे। छोटी-छोटी बच्चियां भी ऐसे बैठ समझायें। बेहद का बाप शिवबाबा ऐसे समझाते हैं। ‘बाबा’ अक्षर बहुत मीठा है। बाबा और वर्सा। इतना निश्चय में बच्चों को रहना है। यह है ही मनुष्य से देवता बनने का विद्यालय। देवतायें होते ही हैं पावन। अब बाप कहते हैं अपने को आत्मा समझ मुझे याद करो, मनमनाभव। अक्षर सुने हैं, न सुने हो तो बाप सुनाते हैं। बाप कहते है मैं ही पतित-पावन हूँ, मुझे याद करो तो तुम्हारी खाद निकल जाये और सतोप्रधान बन जायेंगे। मेहनत ही यह है। ज्ञान के लिए तो सब कह देते हैं, बहुत अच्छा है, फर्स्ट-क्लास ज्ञान है परन्तु प्राचीन योग की बात कोई जानते ही नहीं हैं। पावन होने की बात तुम सुनाते हो तो भी समझते नहीं। बाप कहते हैं तुम सब पतित तमोप्रधान बन गये हो। अब अपने को आत्मा समझ मुझे याद करो। असुल तुम आत्मायें मेरे साथ थी ना। मुझे तुम बुलाते भी हो ओ गॉड फादर आओ। अब मैं आया हूँ, तुम मेरी मत पर चलो। यह है ही पतित से पावन होने की मत। मैं हूँ सर्वशक्तिमान्, एवर पावन। अब तुम मुझे याद करो। इनको ही प्राचीन राजयोग कहा जाता है। तुम धन्धे आदि में भी भल रहो, बाल बच्चे आदि भी भल सम्भालो, सिर्फ बुद्धियोग और सबसे हटाकर मेरे साथ लगाओ। यह है सबसे मुख्य बात। यह न समझा तो गोया कुछ भी नहीं समझा। ज्ञान के लिए तो कहते हैं बहुत अच्छा ज्ञान देते हो, पवित्रता भी अच्छी है, परन्तु हम पवित्र कैसे बनें? हमेशा के लिए यह बात समझते नहीं। देवतायें हमेशा पवित्र थे ना, वह कैसे बनें? यह बात पहले-पहले समझानी है। बाप कहते हैं मुझे याद करो। याद से ही पाप मिट जायेंगे और तुम देवता बन जायेंगे। अच्छा!
मीठे-मीठे सिकीलधे बच्चों प्रति मात-पिता बापदादा का याद-प्यार और गुडमॉर्निंग। रूहानी बाप की रूहानी बच्चों को नमस्ते।
धारणा के लिए मुख्य सार :
1) स्वयं को गरीब से साहूकार बनाने के लिए बाप से अविनाशी ज्ञान रत्न लेने हैं, यह एक-एक रत्न लाखों रूपयों का है, इनकी वैल्यु जानकर पढ़ाई पढ़नी है। यह पढ़ाई ही सोर्स ऑफ इनकम है, इसी से ऊंच पद पाना है।
2) राम सम्प्रदाय में आने के लिए सम्पूर्ण पवित्र जो एक बाप है, उसका ही संग करना है। कुसंग से सदा दूर रहना है। सबसे बुद्धियोग हटाकर एक बाप में लगाना है।
वरदान:-
आपकी याद इतनी शक्तिशाली हो जो एक सेकण्ड की याद से पदमों की कमाई जमा हो जाए। जिनके हर कदम में पदम हों तो कितने पदम जमा हो जायेंगे इसीलिए कहा जाता है पदमापदम भाग्यशाली। जब किसी की अच्छी कमाई होती है तो उसके चेहरे की फलक ही और हो जाती है। तो आपकी शक्ल से भी पदमों की कमाई का नशा दिखाई दे। ऐसा रूहानी नशा, रूहानी खुशी हो जो अनुभव करें कि यह न्यारे लोग हैं।
स्लोगन:-
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