12 Dec 2023 HINDI Murli Today | Brahma Kumaris

Read and Listen today’s Gyan Murli in Hindi

December 11, 2023

Morning Murli. Om Shanti. Madhuban.

Brahma Kumaris

आज की शिव बाबा की साकार मुरली, बापदादा, मधुबन।  Brahma Kumaris (BK) Murli for today in Hindi. SourceOfficial Murli blog to read and listen daily murlis. पढ़े: मुरली का महत्त्व

“मीठे बच्चे - ज्ञान और योग के साथ-साथ तुम्हारी चलन भी बहुत अच्छी चाहिए, कोई भी भूत अन्दर न हो क्योंकि तुम हो भूतों को निकालने वाले''

प्रश्नः-

सपूत बच्चों को कौन-सा नशा स्थाई रह सकता है?

उत्तर:-

बाबा से हम डबल सिरताज, विश्व के मालिक बनने का वर्सा ले रहे हैं। यह नशा सपूत बच्चों को ही स्थाई रह सकता है। परन्तु काम-क्रोध का भूत अन्दर होगा तो यह नशा नहीं रह सकता। ऐसे बच्चे फिर बाप का रिगार्ड भी नहीं रख सकते इसलिए पहले भूतों को भगाना है। अपनी अवस्था मजबूत बनानी है।

♫ मुरली सुने (audio)➤

गीत:-

कौन आया मेरे मन के द्वारा…

ओम् शान्ति। इसका अर्थ तो कोई समझ न सके सिवाए तुम बच्चों के। सो भी नम्बरवार पुरुषार्थ अनुसार क्योंकि परमपिता परमात्मा का स्थूल या सूक्ष्म चित्र तो है नहीं। सूक्ष्म हैं देवतायें, वह तो सिर्फ 3 हैं। उनसे भी अति सूक्ष्म है परमात्मा। अब हे परम-पिता परमात्मा – यह कौन कहते हैं? आत्मा। परमपिता परमात्मा को परम आत्मा कहते हैं। लौकिक बाप को आत्मा परमपिता नहीं कह सकती है। जब पारलौकिक परमपिता परमात्मा को याद करते हैं तो उसको देही-अभिमानी कहा जाता है। जब देह अभिमान में हैं तो देह के साथ सम्बन्ध रखने वाला बाबा याद आ जाता है। वह फिर है आत्मा के साथ सम्बन्ध रखने वाला बाबा। वह अब आये हुए हैं। आत्मा बुद्धि से जानती है, आत्मा में बुद्धि है ना। तो परमपिता परमात्मा जरूर पारलौकिक पिता ठहरा। उनको ईश्वर कहा जाता है। अब बाबा ने यह प्रश्नावली बनाई है। इस पर तुम बच्चों को समझाने में सहज होगा। जैसे फॉर्म भराया जाता है वैसे प्रश्न भी पूछ सकते हो। जरूर जो पूछते हैं वह नॉलेजफुल है तो जरूर टीचर ही ठहरा। आत्मा ही शरीर धारण करती है और आरगन्स से समझाती है। तो बच्चों को सहज कर समझाने के लिए यह बनाया गया है। परन्तु ज्ञान सुनाने वाले बच्चों की अवस्था भी बहुत अच्छी चाहिए। भल किसमें ज्ञान बहुत अच्छा हो, योग भी अच्छा हो परन्तु साथ-साथ चलन भी अच्छी चाहिए। दैवी चलन उनकी होगी जिनमें काम, क्रोध, लोभ, मोह, अहंकार का भूत नहीं होगा। यह बड़े-बड़े भूत हैं। तुम बच्चों में कोई भी भूत नहीं होना चाहिए। हम हैं भूत निकालने वाले। वह अशुद्ध आत्मायें जो भटकती हैं उन्हें भूत कहा जाता है। उस भूत को निकालने वाले भी उस्ताद होते हैं। यह जो 5 विकारों रूपी भूत हैं यह तो परमपिता परमात्मा के सिवाए कोई निकाल न सके। सर्व के भूतों को निकालने वाला एक। सर्व की सद्गति करने वाला एक। रावण से लिबरेट कराने वाला भी एक। यह हैं बड़े भूत। कहा भी जाता है इसमें क्रोध का भूत है, इसमें मोह का और अशुद्ध अहंकार का भूत है। सभी को इन भूतों से छुड़ाने वाला लिबरेटर, परमपिता परमात्मा एक ही है। तुम जानते हो इस समय सबसे पावरफुल यह क्रिश्चियन लोग हैं। उनकी अंग्रेजी भाषा के अक्षर भी बहुत अच्छे हैं। जो राजायें होते हैं वह अपनी भाषा चलाते हैं। देवताओं की भाषा कोई जानते नहीं। हमारी बच्चियाँ आगे सब कुछ आकर बतलाती थी। दो-चार दिन ध्यान में रहती थी। अब कोई बुद्धिवान सन्देशी हो जो वहाँ की भाषा देखकर सुनाये।

तुम बच्चे सबको भारत की कहानी सुनाओ। भारत सतोप्रधान था, अभी तमोप्रधान, पूज्य से पुजारी बना है। भारत में देवताओं के चित्र बहुत हैं, अन्धश्रद्धा से पूजते हैं। बायोग्राफी को जानते नहीं। हम सब एक्टर हैं तो ड्रामा के डायरेक्टर आदि का मालूम होना चाहिए इसलिए प्रश्नावली बनाई है। पोप को भी लिखना चाहिए, तुम फालोअर्स को कह रहे हो यह विनाश की चीज़ें बन्द करो, फिर तुम्हारा यह सब मानते क्यों नहीं हैं? तुम तो सबके गुरू हो, तुम्हारी तो बहुत महिमा है फिर भी यह मानते क्यों नहीं हैं? कारण तुम नहीं जानते हो तो हम आपको बताते हैं। यह कोई तुम्हारी मत पर नहीं हैं। यह ईश्वरीय मत पर बना रहे हैं। स्वर्ग की स्थापना एडम-ईव द्वारा हो रही है। नॉलेजफुल गॉड है, वह है गुप्त। जरूर उनकी सेना, उनकी मत पर चलने वाली होगी। ऐसे-ऐसे समझाना चाहिए। परन्तु बच्चे इतना विशाल बुद्धि नहीं हैं, इसलिए स्क्रू को टाइट करना पड़ता है। जैसे इंजन ठण्डी होती है तो उसे तेज करने के लिए कोयले डालते हैं। यह भी ज्ञान के कोयले हैं। परमपिता परमात्मा सबसे बड़ा है, सब उनको सलाम करने आयेंगे। पोप को भी सब पॉवरफुल समझते हैं। पोप को जितना मान देते हैं उतना और किसी को नहीं देते। बाप को जानते नहीं। वह तो है गुप्त। उनको सिर्फ बच्चे ही जानते हैं और मर्तबा देते हैं। परन्तु माया ऐसी है जो बच्चों को भी ऐसे बाप का रिगार्ड रखने नहीं देती है। बाबा विश्व का मालिक बनाते हैं, यह नशा बाहर निकलने से खत्म हो जाता है। हम बाबा से डबल सिरताज का वर्सा क्यों नहीं लेंगे, यह है सपूत बच्चों का नशा। परन्तु बहुत बच्चे ऐसे हैं जिन्हें काम, क्रोध, लोभ का भूत आ जाता है। बाबा मुरली चलाते हैं तो अन्दर आता है कि अभी तक हमारे में काम का हल्का नशा है। अगर एक तरफ मजबूत है तो कुछ हो नहीं सकता। कहाँ स्त्री मजबूत रहती हैं, कहाँ पुरुष। बाबा के पास सब किस्म के समाचार आते हैं। कोई सच्ची दिल से लिखते हैं, अन्दर-बाहर बड़ी सफाई चाहिए। कोई बाहर के सच्चे, अन्दर के झूठे हैं। तूफान बहुतों को आता है। लिखते हैं बाबा आज मेरे को काम का तूफान आया परन्तु बच गया। अगर नहीं लिखते तो एक दण्ड दूसरा आदत बढ़ती जायेगी। आखिर गिर पड़ेंगे। बाबा की बच्चों में उम्मीदें तो रहती हैं ना। थोड़ी ग्रहचारी होती है तो वह उतर जाती है। कई हैं जो आज अच्छे चल रहे हैं, कल मूर्छित हो जाते हैं वा गला घुट जाता है। जरूर कोई अवज्ञा करते हैं। हर बात में सच्चा रहना चाहिए तब ही सचखण्ड के मालिक बनेंगे। झूठ बोलेंगे तो बीमारी वृद्धि को पाते नुकसान कर देगी।

बच्चों को बड़ी युक्ति से प्रश्नावली लिखना चाहिए – परमपिता परमात्मा से तुम्हारा क्या सम्बन्ध है? जब पिता है तो सर्वव्यापी की बात नहीं। वह सर्व का सद्गति दाता है, पतित-पावन है, गीता का भगवान् है तो जरूर कभी आकर ज्ञान दिया होगा। अगर यह बात है तो उनकी जीवन कहानी को जानते हो? नहीं जानते तो वर्सा मिल न सके। पिता से जरूर वर्सा मिलेगा। फिर दूसरा प्रश्न पूछो – प्रजापिता ब्रह्मा और उनकी मुख वंशावली को जानते हो? जिसका नाम सरस्वती है, वह है ज्ञान ज्ञानेश्वरी। उनको गॉडेज ऑफ नॉलेज कहते हैं। यह है जगत अम्बा। तो जरूर उनके बच्चे भी होंगे। बाप भी होगा। नॉलेज देने वाला तो वह ठहरा। अब यह प्रजापिता और जगत अम्बा कौन है? उनको धन लक्ष्मी भी कहते हैं, तब ज्ञान ज्ञानेश्वरी नहीं है। यह ब्रह्मा-सरस्वती राज-राजेश्वरी बनते हैं। तो उनके बच्चे भी जरूर स्वर्ग के मालिक बनते होंगे। अब यह है संगम, कुम्भ। उस कुम्भ के मेले में देखो क्या होता है, भक्ति मार्ग के अर्थ और इसमें रात-दिन का फर्क है। वह है पानी की नदी और सागर का मेला। यह हैं ह्युमन गंगायें जो ज्ञान सागर से निकलती हैं, उनका मेला। यह प्रश्न भी पूछा जाता है पतित से पावन बनाने वाला कौन है? यह तो जानने की बातें है ना तब तो पूछते हैं। इस मात-पिता के ज्ञान से तुम राज राजेश्वरी बन सकते हो। ईश्वर सर्वव्यापी कहने से मुख क्या मीठा होगा? अभी तुम्हें भक्ति का फल ज्ञान मिलता है। अभी भगवान पढ़ाते हैं तो धक्का खाना बन्द हो जाता है। बाबा कहते हैं – बच्चे, अशरीरी भव। आत्मा को ज्ञान मिला, अब आत्मा कहती है – हमको वापिस जाना है बाबा के पास। फिर है प्रालब्ध। राजधानी स्थापन हो जाती है। कितनी समझने की बाते हैं। यह प्रश्नावली बहुत अच्छी है। सबके पॉकेट में पड़ी रहे, सर्विसएबुल बच्चे ही इन बातों पर गौर करेंगे। बच्चों के लिए बाबा को कितनी मेहनत करनी पड़ती है। बाबा कहते हैं – बच्चे, अपना भविष्य ऊंच बनाओ। नहीं तो कल्प-कल्प पद कम हो जायेगा। जैसे यह बाबा महाराजा-महारानी बनते हैं ऐसे बच्चे भी बनें। परन्तु अपने में निश्चय होना चाहिए। राजा में भी बहुत ताकत रहती है। वहाँ तो है सुख ही सुख। और जो राजा बनते हैं वह भी ईश्वर अर्थ दान-पुण्य करने से। राजा के ऑर्डर में सारी प्रजा चलती है। इस समय तो भारतवासियों का कोई राजा नहीं, पंचायती राज्य है, तो कितने कमजोर बने हैं।

बाबा जानते हैं बहुत बच्चों को तूफान आता है परन्तु समाचार नहीं देते। बाबा को लिखना चाहिए कि ऐसे तूफान आते हैं, आप राय बताओ। बाबा परिस्थिति देख राय बतायेंगे। लिखते नहीं हैं, न कोई उनका साथी ही समाचार देते हैं कि बाबा हमारे साथी का यह हाल है। बाबा को तो समाचार देना चाहिए। अच्छा।

मीठे-मीठे सिकीलधे बच्चों प्रति मात-पिता बापदादा का याद-प्यार और गुडमॉर्निंग। रूहानी बाप की रूहानी बच्चों को नमस्ते।

रात्रि क्लास 11.1.69

बेहद का बाप आकर समझाते हैं, अपना बनाते हैं, राजाई पद के लिए शिक्षा देते हैं, पवित्र भी बनाते हैं। बाप बड़ा सहज रीति अपना और वर्से का परिचय समझाते हैं। आपेही समझ नहीं सकेंगे। बेहद के बाप से जरूर बेहद का वर्सा मिलेगा – यह भी अच्छे बुद्धिवान ही समझेंगे। बाप क्या वर्सा देते हैं? घर का, पढ़ाई का और स्वर्ग की बादशाही का वर्सा दे देते हैं। जो पवित्र दैवी सम्प्रदाय बनते हैं वही राजधानी में आते हैं। जो जितना पढ़ेंगे, पढ़ायेंगे वही ऊंच पद पायेंगे। इतने बच्चे हैं, बाप से वर्सा लेते हैं। बाप स्वर्ग का मालिक, नर से नारायण बनाते हैं। यह राजाई के मालिक हैं। तो बेहद का बाप जो स्वर्ग का रचयिता है हम उनके बच्चे स्वर्ग की बादशाही लेंगे, यथा राजा रानी तथा प्रजा.. जितना पुरूषार्थ करेंगे उतना ही ऊंच पद पायेंगे। यह राजाई के लिए पुरूषार्थ है। सतयुग की राजाई सभी को नहीं मिलनी है। जितना जो पुरूषार्थ करेंगे उतना ही ऊंच पद पायेंगे। पुरूषार्थ पर प्रारब्ध का मदार रहता है। यह तो बच्चे जानते हैं जितना पुरूषार्थ करेंगे। पुरुषार्थ से ही बादशाही मिलती है। अपने को आत्मा समझ बाप को याद करेंगे तो तमोप्रधान से सतोप्रधान, प्युअर सोना बन जायेंगे। राजाई भी मिलेगी। जैसे यहाँ कहते हैं भारत के हम मालिक हैं। मालिक तो सभी बनेंगे। फिर पद क्या पायेंगे? पढ़ाई के बाद स्वर्ग में हमारा पद क्या रहेगा। तुम अभी संगम पर पढ़ते हो, सतयुग में राजाई करेंगे। बाप योग भी सिखलाते हैं, पढ़ाते भी हैं। तुम समझते हो हम राजयोग सीखते हैं। बाप की याद से पावन भी बनते हैं। फिर हमारा पुनर्जन्म रावण राज्य में नहीं, राम राज्य में होगा। अभी हम पढ़ रहे हैं – मन्मनाभव, मध्याजीभव। अभी कलियुग का अन्त है, फिर सतयुग स्वर्ग जरूर आयेगा। बाप संगमयुग पर ही आकर बेहद का स्कूल खोलते हैं, जहाँ बेहद की पढ़ाई है, बेहद की बादशाही पाने लिए। तुम जानते हो हम अभी नई दुनिया के मालिक बनेंगे। नई दुनिया को स्वर्ग कहा जाता है, खुमारी चढ़ती है ना। बरोबर पुरानी दुनिया के बाद है नई दुनिया। बच्चों को याद आता है। सभी बच्चों के दिल में है – स्वर्ग का मालिक बनाने के लिए हमको परमपिता परमात्मा पढ़ाते हैं। बच्चों को यह याद रहे हमको भगवान पढ़ाते हैं, ऊंच ते ऊंच सतयुग के राजा-रानी बनते हैं। राजयोग द्वारा राजाई मिलती है, उसमें पवित्रता, सुख, शान्ति सब है। इस बाबा में अभी शिवबाबा पधारे हैं। वह है ऊंच ते ऊंच। आत्मा अनुभव लेती जाती है। वहाँ जायेंगे तो वहाँ की बैठक ऊंची होगी। स्टूडेन्टस सभी की बैठक अपनी-अपनी होगी। एक की जगह दूसरा नहीं बैठ सकता। एक का पार्ट दो से मिल नहीं सकता। बाप ने समझाया है आत्मा में रिकार्ड भरा हुआ है। ड्रामा के प्लैन अनुसार हमारा पुरूषार्थ चल रहा है, कोई राजा कोई रानी बनेंगे। अन्त में पुरूषार्थ की रिजल्ट निकलेगी, जो फिर माला बनेगी। ऊंच नम्बर वाले को जरूर मालूम पड़ेगा। मरने के बाद समझा जाता है – आत्मा जाकर कर्मों अनुसार दूसरा शरीर लेगी। अच्छे कर्म वालों को अच्छा जन्म मिलेगा, योगबल से। पुरूषार्थ नहीं करते हैं तो कम पद पायेंगे। ऐसे-ऐसे विचार करने से खुशी होगी। जो जैसा महारथी होगा उनकी ऐसी महिमा होगी। सभी की मुरली भी एक जैसी नहीं चलती। हरेक की मुरली भी अलग-अलग; यह बना बनाया खेल है ना। अभी बच्चों का कर्मों पर ध्यान है। बाप या माँ जैसे करेंगे बच्चे सीखेंगे। अभी तुम श्रेष्ठ कर्म करते हो। सर्विस से मालूम पड़ता है, महारथियों की मेहनत छिपी नहीं रहती है। समझ सकते हैं कौन ऊंच पद पाने की मेहनत कर रहे हैं। सभी बच्चों को चान्स भी है। ऊंच पद पाने के लिए मन्मनाभव का लेसन अर्थ सहित मिला हुआ है। बच्चे समझते हैं यह गीता का ज्ञान नॉलेजफुल बाप खुद आकर देते हैं तो जरूर एक्युरेट नॉलेज ही देंगे। फिर मदार है धारणा पर, जो सुनते हो वह प्रैक्टिकल में आता रहे। डिफीकल्ट नहीं है। बाप को याद करना और चक्र को जानना है। यह है अन्तिम जन्म की पढ़ाई, जो पास करके नई दुनिया सतयुग में चले जायेंगे।

गायन है निश्चय में विजय। तो प्रीत बुद्धि बच्चों ने समझा है – हमको भगवान पढ़ाते हैं। बच्चे जानते हैं हमारी आत्मा धारणा करती है। आत्मा इस शरीर द्वारा पढ़ती है, नौकरी करती है। यह समझने की बातें हैं। बाप को याद करते हैं फिर माया रावण बुद्धि का योग तोड़ देती है, माया से सावधान रहना है। जितना आगे जायेंगे उतना तुम्हारा प्रभाव भी निकलेगा और खुशी का पारा भी चढ़ेगा। नया जन्म लेंगे तो बहुत शो करेंगे। अच्छा – मीठे-मीठे रूहानी बच्चों को रूहानी बापदादा का याद-प्यार गुडनाईट।

धारणा के लिए मुख्य सार :

1) अन्दर-बाहर साफ रहना है। सच्ची दिल से बाप को अपना समाचार देना है, कुछ भी छिपाना नहीं है।

2) अब वापस जाना है इसलिए अशरीरी बनने का अभ्यास करना है, चुप रहना है।

वरदान:-

यह विनाशी तन और धन, पुराना मन मेरा नहीं, बाप को दे दिया। पहला संकल्प ही यह किया कि सब कुछ तेरा ..इसमें बाप का फ़ायदा नहीं, आपका फ़ायदा है क्योंकि मेरा कहने से फंसते हो और तेरा कहने से न्यारे हो जाते हो। मेरा कहने से बोझ वाले बन जाते और तेरा कहने से डबल लाइट, ट्रस्टी बन जाते। जब तक कोई हल्का नहीं बनते तब तक ऊंची स्थिति तक पहुंच नहीं सकते। हल्का रहने वाले ही उड़ती कला द्वारा आनंद की अनुभूति करते हैं। हल्का रहने में ही मजा है।

स्लोगन:-

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