11 July 2022 HINDI Murli Today | Brahma Kumaris
Read and Listen today’s Gyan Murli in Hindi
10 July 2022
Morning Murli. Om Shanti. Madhuban.
Brahma Kumaris
आज की शिव बाबा की साकार मुरली, बापदादा, मधुबन। Brahma Kumaris (BK) Murli for today in Hindi. Source: Official Murli blog to read and listen daily murlis. ➤ पढ़े: मुरली का महत्त्व
“मीठे बच्चे - शिवबाबा की नम्बरवन श्रीमत है कि सवेरे-सवेरे उठ मुझ बाप को याद करो तो तुम्हारा बेड़ा पार हो जायेगा''
प्रश्नः-
उदारचित बच्चों की निशानी क्या होगी?
उत्तर:-
वह औरों का भी कल्याण करते रहेंगे। दान करने का शौक होगा। इस समय जो दान करते हैं उन्हें ही पुण्य मिलता है। 2- उदारचित बच्चे भोलानाथ बाबा जैसे फ्राकदिल होंगे। वे यज्ञ में दधीचि ऋषि मिसल हड्डियां देंगे।
♫ मुरली सुने (audio)➤
गीत:-
कौन आया मेरे मन के द्वारे…
ओम् शान्ति। बच्चों के लिए कौन आया? कहते हैं सुबह का सांई क्योंकि वह रात को सुबह बनाने वाला है। रात का सांई है रावण। यह अच्छी तरह नोट करो तब बुद्धि में बैठेगा। बुद्धि में यह फर्क है ना। सतोप्रधान, सतो, रजो, तमो बुद्धि होती है। कोई तो इशारे से समझ जाते हैं। तुम समझते हो बरोबर सुबह का सांई है। रात को दिन बनाते हैं। तुमको अब दिन का मालिक अर्थात् नई दुनिया का मालिक बनाते हैं। मालिक बनेंगे तब जब श्रीमत पर चलते रहेंगे। सौदागर लोग जब सुबह को दुकान खोलते हैं तो पहले-पहले माथा टेकते हैं। मन्दिर में भी ऐसे करते हैं। दुकान के आगे नमस्कार कर फिर घुसते हैं क्योंकि आमदनी होती है ना। आमदनी के लिए कहते हैं सुबह का सांई बेड़ा बने लाई… ऐसे कहते हैं।
अभी तुम बच्चे जानते हो यह कौन है! उसको हमारी आत्मा जानती है वह हमारा बाबा है। सांई बाबा है, रात को दिन बनाने वाला। आजकल सांई बाबा भी अनेक निकल पड़े हैं। रात को दिन बनाने वाला सांई बाबा एक ही है और बहुत भोला है। नाम ही है भोलानाथ। भोली कन्याओं, माताओं पर ज्ञान का कलष रखते हैं। उन्हों को वर्सा दे विश्व का मालिक बनाते हैं। तुम अपने बाप को सवेरे उठकर याद करते रहो तो एकदम बेड़ा पार हो जाए। तुमको एकदम विश्व का मालिक बना देते हैं। मेहनत कुछ भी नहीं देते हैं। बस यही धन्धा करते रहो। सबको यही परिचय देते रहो। कहो रात को दिन बनाने वाला अथवा नर्क को स्वर्ग बनाने वाला कहते हैं मुझे याद करो तो विकर्म विनाश हो जायेंगे। पैगाम देना है, आगे भी सबको पैगाम दिया था। तुम समझा सकते हो, भगवान बाबा आया है वर्सा देने के लिए। बेहद का बाप जरूर स्वर्ग का ही वर्सा देंगे। सिर्फ बाप को याद करना है। भोली माताओं के लिए कितना सहज उपाय बताते हैं। मीठी-मीठी मातायें वा मीठी-मीठी कन्यायें। मीठे-मीठे बच्चे और कोई मेहनत नहीं देता हूँ। सिर्फ और सभी का संग छोड़ दो, भक्ति मार्ग में तुम गैरन्टी करते आये हो आप आयेंगे तो हम आपके ही बनेंगे। मेरा तो एक आप दूसरा न कोई। गिरधर गोपाल कहते हैं परन्तु यह तो बाप है। उन्होंने गोपाल कृष्ण को बना दिया है। वास्तव में यह हैं चैतन्य गऊयें, शिवबाबा ज्ञान की पालना करते हैं। ज्ञान घास खिलाते हैं। वह कृष्ण की आत्मा भी अभी बहुत जन्मों के अन्त में है। नाम रूप देश काल हर जन्म में फिरता रहता है। तुम शूद्र से ब्राह्मण फिर ब्राह्मण से देवता बनते हो। यह राधे-कृष्ण की वंशावली कहो वा विष्णु की वंशावली कहो। विष्णु की विजय माला वा राधे-कृष्ण की विजय माला तुम थे। फिर अब चक्र लगाकर वह बनते हो। अब तुम ब्राह्मण फिर देवता बनते हो। नम्बरवार पुरुषार्थ अनुसार – सूर्यवंशी राजा रानी प्रजा आदि सब होते हैं। बाप कहते हैं जितना जो श्रीमत पर चलता है। नम्बरवन श्रीमत मिलती है सवेरे उठ सांई भोलानाथ बाबा को याद करो। बाप कहते हैं तुम आत्मा हो ना, शरीर धारण कर पार्ट बजाती हो। ऊपर में तुम आत्मायें रहती हो। अब जानते हो हमारा बाबा हम आत्माओं को पढ़ा रहे हैं। कल्प-कल्प के संगम पर एक ही बार शिवबाबा आते हैं। कल्प के बाद ही तुमको फिर यह निश्चय करना होता है कि मैं आत्मा हूँ। बाप को याद करना है। जिन्न का मिसाल देते हैं ना – कहता था मुझे काम दो नहीं तो खा जाऊंगा। बाप कहते हैं अगर मुझे याद नहीं करेंगे तो जिन्न रूपी माया खा जायेगी। ऐसे भी नहीं कि तुम सदैव याद करेंगे। अभी पुरुषार्थी हो। यह है सहज राजयोग और ज्ञान। हेल्थ और वेल्थ दोनों मिलती हैं। मनमना-भव, मध्याजी भव। बाप कहते हैं मुझे याद करो और वर्से को याद करो। बस फिर क्यों अपना टाइम वेस्ट करना चाहिए। आधाकल्प भक्ति मार्ग में टाइम वेस्ट गंवाया है। आधाकल्प ब्रह्मा का दिन, आधाकल्प ब्रह्मा की रात। उन्होंने फिर लम्बी चौड़ी आयु दे दी है। कलियुग की इतने हजार वर्ष, सतयुग की इतनी। फिर आधा-आधा हो न सके। बाप बैठ समझाते हैं – पहले अव्यभिचारी भक्ति थी, फिर व्यभिचारी बन पड़ी है। भूत पूजा अर्थात् 5 तत्वों के शरीर की पूजा भी करने लगे हैं। बाबा का देखा हुआ है – गंगा के किनारे जाकर बैठते हैं, अपनी पूजा कराते हैं। सांई बाबा भी भिन्न-भिन्न प्रकार के बहुत हैं। यह बाबा तो कितना गुप्त है। उनको तुम्हारी दिल पहचानती है। बाबा कहते हैं मैं तुम आत्माओं का बाप हूँ, तुमको राजयोग सिखलाता हूँ। वह है ही हेविनली गॉड फादर, जरूर स्वर्ग ही स्थापन करेंगे। रावण आकर नर्क स्थापन करते हैं। यह समझ भी तुमको है। मनुष्य तो सिर्फ कहने मात्र कहते हैं। समझते कुछ भी नहीं हैं। यह भी कहते हैं उल्टा झाड़ है। कल्प वृक्ष भी कहते हैं। परन्तु उनकी आयु बता नहीं सकते। वृक्ष की आयु लाखों वर्ष तो हो न सके, इम्पासिबुल है। बाप कितना प्यार से बैठ समझाते हैं। मीठे-मीठे सिकीलधे बच्चों। जैसे लौकिक बाप प्यार से बैठ समझाते हैं ना – स्कूल में जाओ, यह करो। अभी तो तमोप्रधान हैं। जब रजोप्रधान होंगे तो टीचर भी अच्छी शिक्षा देते होगे। माँ बाप भी अच्छी शिक्षा देते हैं। बच्चों को सुख के लिए ही रचते हैं। कहते हैं एक बच्चा तो जरूर होना चाहिए। एक बच्चा मिला फिर कहेंगे एक बच्ची भी जरूर चाहिए। नहीं तो लक्ष्मी नहीं आयेगी। अभी तो क्या हाल है, बच्चे तो एकदम नाक में दम कर देते हैं। सतयुग में ऐसी बात ही नहीं। स्वर्ग फिर तो क्या।
तुम मीठे-मीठे बच्चे अब स्वर्ग की बादशाही ले रहे हो। तुम जानते हो कि मनुष्य तो कितने पत्थर बुद्धि बने हैं। बाप को ही नहीं जानते। तुम्हारे में भी नम्बरवार पुरुषार्थ अनुसार जानते हैं। बाप को याद करने की बड़ी मेहनत है। घड़ी-घड़ी भूल जाते हैं। आज तुम पहचानते हो फिर कल ऐसे नहीं कहना कि हम बच्चे नहीं हैं। कहेंगे कि तुम जैसे कपूत हो। कपूत को बाप कभी धन नहीं देते हैं। मनुष्य भक्ति में जो भी जप तप तीर्थ आदि करते हैं उनसे पतित ही बनते आये हैं। भक्ति तो बहुत करते हैं फिर भी ऐसी हालत क्यों? भारत में ही भक्ति अथाह है। बाप कहते हैं जो पुराने भगत हैं, जिन्होंने शुरू से शिवबाबा की पूजा की है, वही नीचे गिरते-गिरते पतित बने हैं। झाड़ में भी देखो पहले सूर्यवंशी चन्द्रवंशी फिर भक्ति मार्ग दिखाया है। फिर भक्ति का अन्त होता है तो काले हो जाते हैं। दुनिया काली आइरन एजड हो जाती है। ड्रामा का खेल है। आधाकल्प ज्ञान, आधाकल्प भक्ति जरूर चलनी है। अब तुम बच्चे ज्ञान लेते हो। सुबह का सांई ज्ञान देते हैं। दुनिया में तो अनेक भिन्न-भिन्न सांई लोग हैं। तुम दुनिया में बड़े-बड़े देशों में चक्कर लगाओ, जांच करो तो तुमको हर जगह से किसम-किसम के मिलेंगे। कहेंगे यह तो साक्षात् सांई बाबा है। फलाना है। सतगुरू है ही सद्गति के लिए। सतगुरू तुमको स्वर्ग का मालिक बनाते हैं। यह कौन समझाते हैं। आत्मा कहती है बाबा आप सत्य कहते हो। हम आपकी श्रीमत पर आपको याद करते हैं। कल्प-कल्प हम आपको याद कर आपसे वर्सा लेते हैं। अनेक बार आपसे वर्सा लिया है। अब फिर से ले रहे हैं। यह भी याद करो बरोबर हम बाप से वर्सा लेते हैं। फिर 5 हजार वर्ष के बाद ऐसे ही गंवायेंगे फिर आप आयेंगे हम वर्सा लेंगे। कितनी सहज बात है। पुराने घर में रहते नया घर बनाया जाता है। टाइम तो लगता है। तुम बच्चे जानते हो बाबा नया घर बना रहे हैं। पुराने घर से अब बुद्धियोग तोड़ना है। नया घर है सतयुग। वहाँ जाकर हम राजाई करेंगे। वह बेहद का नया घर, अभी यह सारी दुनिया है बेहद का पुराना घर, इससे तुम्हारा वैराग्य है बेहद का। पुराने कलियुगी छी-छी सम्बन्ध से निकल अभी हम सतयुगी गुल-गुल सम्बन्ध के लिए पुरुषार्थ कर रहे हैं। तो पुरुषार्थ भी अच्छा करना चाहिए। परमपिता परमात्मा से आत्माओं का कितना लव होना चाहिए। और सबसे लव हटाए एक से लव होना चाहिए। सभी द्रोपदियां पुकारती हैं – नंगन होने से बचाओ। बहुत अत्याचार करते हैं। बाप कहते हैं इतने पाप करेंगे तब ही पाप का घड़ा भरेगा और विनाश होगा। यह भी ड्रामा अनुसार उसमें जानवर पक्षी आदि जो कुछ भी हैं उनका पार्ट है। आज जो हुआ सो कल्प पहले हुआ था। एक अखबार में लिखते हैं – 100 वर्ष के अन्दर जो हुआ था.. सो तो सहज है। उन्हों के पास हिस्ट्री रहती है। मुख्य-मुख्य बातें लिखते हैं तुम भी लिख सकते हो कि हूबहू 5 हजार वर्ष पहले क्या हुआ था। अखबारों में तो बहुत बातें पढ़ते हैं ना। समझाना भी पड़े कि 5 हजार वर्ष पहले क्या हुआ था। दुनिया में जो कुछ भी हुआ है – बोलो 5 हजार वर्ष पहले यह सब हुआ था। मुख से कहते हैं भारत स्वर्ग था, तुम सिद्ध कर बतायेंगे। बोलो, अभी वही भारत कंगाल है। यह लड़ाई कोई नई नहीं है। कल्प-कल्प लगती रहती है। परन्तु तुम्हारी बात को कोई मानेंगे नहीं। हाँ कोई न कोई निकलेंगे जो समझेंगे यह बात तो ठीक है। यह भी समझते हैं मौत सामने खड़ा है। कोई हैं जो न चाहते भी यह बाम्ब्स आदि बनवाते रहते हैं। बिचारे बिल्कुल अन्धियारे में हैं। कुछ भी पता नहीं है जो आया सो कह देते हैं। अपने को बहुत अकलमंद समझते हैं। तुम जानते हो यह सब विनाश हो जायेंगे। बाबा कहते हैं हाहाकार के बाद फिर जय-जय कार होना है। फिर तो भगवान को ही याद करेंगे। जो जिसका ईष्ट होगा उनको ही याद करेंगे। भगवान को तो जानते ही नहीं। तुम तो जानते हो भगवान एक बिन्दी हैं। कितनी छोटी बिन्दी, कितना वन्डर है। तुम तो नहीं कहेंगे कि वह इतना बड़ा लिंग है। नहीं, तुम कहेंगे स्टार है। आत्मा भी स्टार है। उसमें 84 जन्मों का पार्ट भरा हुआ है। कितनी सूक्ष्म बातें हैं। फट से किसको सब बातें बताई नहीं जाती हैं। पहले-पहले तो समझाना है कि बाप को याद करो तो वर्सा मिलेगा। कितनी महीन बातें हैं, तब तो कहते हैं आज तुम्हें गुह्य बातें सुनाता हूँ। कैसे-कैसे युक्ति से समझाते रहते हैं। देखो बाबा ने रात को प्रश्न पूछा था कि विष्णु की नाभी से ब्रह्मा को निकलने में कितना समय लगता है फिर ब्रह्मा से विष्णु को निकलने में कितना समय लगता है? कल हम कितने अज्ञानी थे आज कितने नॉलेजफुल हैं। कितनी वन्डरफुल बातें हैं। सेन्सीबुल भी नम्बरवार बनते हैं।
तुम बच्चे टेप से भी बाबा की मुरली सुनते हो। बच्चे चाहते हैं टेप से हम अक्षर बाई अक्षर सुनें। जिनको शौक होगा, पैसे वाले होंगे, उदारचित होंगे तो औरों का भी कल्याण करेंगे। इस समय जो दान करते हैं, उनका ही पुण्य बनता है। बाकी कलियुग में जो दान-पुण्य करते हैं, उनसे तो पाप आत्मा ही बनते हैं। हमारा बाबा सांई कितना भोलानाथ फ्राकदिल है। तुमको भी फ्राकदिल बनना चाहिए। यज्ञ में दधीची ऋषि मिसल हड्डियाँ देनी होती हैं। बाप कहते हैं स्वीट लकीएस्ट चिल्ड्रेन इन दी वर्ल्ड तुम हो जो बाप से वर्सा ले रहे हो। अच्छा!
मीठे-मीठे सिकीलधे बच्चों प्रति मात-पिता बापदादा का याद-प्यार और गुडमार्निंग। रूहानी बाप की रूहानी बच्चों को नमस्ते।
धारणा के लिए मुख्य सार :
1) एक बाप से सच्चा-सच्चा लव रखना है। कलियुगी पतित सम्बन्धों से बुद्धियोग हटा देना है। इस पुरानी दुनिया से बेहद का वैराग्य रखना है।
2) हम सारे विश्व में लकीएस्ट बच्चे हैं, जो बाप से वर्सा लेते हैं, इसी नशे में रहना है। फ्राकदिल बनना है।
वरदान:-
यथार्थ चार्ट का अर्थ है हर सबजेक्ट में प्रगति और परिवर्तन का अनुभव करना। ब्राह्मण जीवन में प्रकृति, व्यक्ति अथवा माया द्वारा परिस्थितियां तो आनी ही हैं लेकिन स्व-स्थिति की शक्ति परिस्थिति के प्रभाव को समाप्त कर दे, परिस्थितियां मनोरंजन की सीन अनुभव हो। संकल्प में भी हलचल न हो। ऐसे विधि-पूर्वक चार्ट द्वारा वृद्धि का अनुभव करने वाले आज्ञाकारी बच्चों को सम्पूर्ण पास मार्क्स मिलती हैं।
स्लोगन:-
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Good morning Mere mithe pyare sikildhe ruhani Baba Om shanti ishwariy vaishwik daivikul bk pariwar.