11 February 2021 HINDI Murli Today – Brahma Kumaris

February 10, 2021

Morning Murli. Om Shanti. Madhuban.

Brahma Kumaris

आज की शिव बाबा की साकार मुरली, बापदादा, मधुबन। Brahma Kumaris (BK) Murli for today in Hindi. This is the Official Murli blog to read and listen daily murlis.
पढ़े: मुरली का महत्त्व

“मीठे बच्चे - प्राणेश्वर बाप आया है तुम बच्चों को प्राणदान देने, प्राणदान मिलना अर्थात् तमोप्रधान से सतोप्रधान बनना''

प्रश्नः-

ड्रामा के हर राज़ को जानने के कारण कौन-सी सीन तुम्हारे लिए नई नहीं है?

उत्तर:-

इस समय जो सारी दुनिया में हंगामें हैं, विनाश काले विपरीत बुद्धि बन अपने ही कुल का खून करने लिए अनेक साधन बनाते जाते हैं। यह कोई नई बात नहीं क्योंकि तुम जानते हो यह दुनिया तो बदलनी ही है। महाभारत लड़ाई के बाद ही हमारी नई दुनिया आयेगी।

♫ मुरली सुने (audio)➤

गीत:-

यह कौन आज आया…….          Play Now 

ओम् शान्ति। सवेरे-सवेरे यह कौन आकर मुरली बजाते हैं? दुनिया तो बिल्कुल ही घोर अन्धियारे में है। तुम अभी मुरली सुन रहे हो। ज्ञान सागर, पतित-पावन प्राणेश्वर बाप से। वह है प्राण बचाने वाला ईश्वर। कहते हैं ना – हे ईश्वर इस दु:ख से बचाओ। वह हद की मदद मांगते हैं। अभी तुम बच्चों को मिलती है बेहद की मदद क्योंकि बेहद का बाप है ना। तुम जानते हो – आत्मा भी गुप्त है। बच्चों का शरीर प्रत्यक्ष है। तो बाप की श्रीमत है बच्चों प्रति। सर्व शास्त्रमई शिरोमणी गीता मशहूर है। सिर्फ उनमें नाम डाल दिया है श्रीकृष्ण का। अब तुम जानते हो श्रीमत भगवानुवाच है। यह भी समझ गये कि भ्रष्टाचारी को श्रेष्ठाचारी बनाने वाला एक ही बाप है। वही नर से नारायण बनाते हैं। कथा भी है सत्य नारायण की। गाया जाता है अमरकथा। अमरपुरी का मालिक बनाने अथवा नर से नारायण बनाने की बात एक ही है। यह है मृत्युलोक। भारत ही अमरपुरी था। यह किसको भी पता नहीं है। यहाँ ही अमर बाबा ने पार्वतियों को सुनाया है। एक पार्वती वा एक द्रोपदी नहीं थी। यह तो बहुत बच्चे सुन रहे हैं। शिवबाबा सुनाते हैं ब्रह्मा द्वारा। बाप कहते हैं मैं ब्रह्मा द्वारा मीठे-मीठे बच्चों को समझाता हूँ।

बाप ने समझाया है बच्चों को आत्म-अभिमानी जरूर बनना है। बाप ही बना सकते हैं। दुनिया में एक भी मनुष्य मात्र नहीं जिसको आत्मा का ज्ञान हो। आत्मा का ही ज्ञान नहीं है तो परमात्मा का ज्ञान कैसे हो सकता है। कह देते हैं हम आत्मा सो परमात्मा। कितनी भारी भूल में सारी दुनिया फँसी हुई है। बिल्कुल ही पत्थर बुद्धि हैं। विलायत वाले भी पत्थरबुद्धि कम नहीं हैं, यह बुद्धि में नहीं आता है कि हम यह जो बॉम्ब्स आदि बना रहे हैं, यह तो अपना भी खून, सारी दुनिया का भी खून करने के लिए बना रहे हैं। तो इस समय बुद्धि कोई काम की नहीं रही है। अपने ही विनाश के लिए सारी तैयारी कर रहे हैं। तुम बच्चों के लिए यह कोई नई बात नहीं है। जानते हो ड्रामा अनुसार उन्हों का भी पार्ट है। ड्रामा के बंधन में बांधे हुए हैं। पत्थरबुद्धि न हों तो ऐसे काम कर सकते हैं क्या? सारे कुल का विनाश कर रहे हैं। वन्डर है ना – क्या कर रहे हैं। बैठे-बैठे आज ठीक चल रहा है, कल मिलेट्री बिगड़ी तो प्रेजीडेंट को भी मार देते। ऐसे-ऐसे इत़फाक होते रहते हैं। किसको भी सहन नहीं करते हैं। पावरफुल हैं ना। आजकल की दुनिया में हंगामा बहुत है, पत्थरबुद्धि भी अथाह हैं। अभी तुम बच्चे जानते हो विनाश काले जो बाप से विपरीत बुद्धि हैं, उनके लिए विनशन्ती गाया हुआ है। अभी इस दुनिया को बदलना है। यह भी जानते हो बरोबर महाभारत लड़ाई लगी थी। बाप ने राजयोग सिखाया था। शास्त्रों में तो टोटल विनाश दिखा दिया है। परन्तु टोटल विनाश तो होता नहीं है फिर तो प्रलय हो जाए। मनुष्य कोई भी न रहें, सिर्फ 5 तत्व रह जाएं। ऐसे तो हो नहीं सकता। प्रलय हो जाए तो फिर मनुष्य कहाँ से आये। दिखाते हैं श्रीकृष्ण अंगूठा चूसता हुआ पीपल के पत्ते पर सागर में आया। बालक ऐसे आ कैसे सकता? शास्त्रों में ऐसी-ऐसी बातें लिख दी हैं जो बात मत पूछो। अभी तुम कुमारियों द्वारा इन विद्वानों, भीष्म पितामह आदि को भी ज्ञान बाण लगते हैं। वह भी आगे चलकर आयेंगे। जितना-जितना तुम सर्विस में जोर भरेंगे, बाप का परिचय सबको देते रहेंगे उतना तुम्हारा प्रभाव बढ़ेगा। हाँ विघ्न भी पड़ेंगे। यह भी गाया हुआ है आसुरी सम्प्रदाय के इस ज्ञान यज्ञ में बहुत विघ्न पड़ते हैं। बिचारे पत्थरबुद्धि मनुष्य कुछ नहीं जानते कि यह क्या है? कहते हैं इन्हों का तो ज्ञान ही न्यारा है। यह भी तुम समझते हो नई दुनिया के लिए नई बातें हैं। बाप कहते हैं यह राजयोग तुमको और कोई सिखला नहीं सकेंगे। ज्ञान और योग बाप ही सिखला रहे हैं। सद्गति दाता एक ही बाप है, वही पतित-पावन है तो जरूर पतितों को ही ज्ञान देंगे ना। तुम बच्चे समझते हो – हम पारसबुद्धि बन पारसनाथ बनते हैं। मनुष्यों ने मन्दिर कितने ढेर बनाये हैं। परन्तु वह कौन हैं, क्या करके गये हैं, अर्थ कुछ भी नहीं समझते। पारसनाथ का भी मन्दिर है, परन्तु किसको भी पता नहीं है। भारत पारसपुरी था, सोने हीरे-जवाहरातों के महल थे। कल की बात है। वह तो लाखों वर्ष कह देते हैं सिर्फ एक सतयुग को। और बाप कहते हैं सारा ड्रामा ही 5 हज़ार वर्ष का है इसलिए कहा जाता है – आज का भारत क्या है! कल का भारत क्या था! लाखों वर्ष की तो किसको स्मृति रह न सके। तुम बच्चों को अब स्मृति मिली है। जानते हो बाबा हर 5 हज़ार वर्ष बाद आकर हमको स्मृति दिलाते हैं। तुम बच्चे स्वर्ग के मालिक थे। 5 हज़ार वर्ष की बात है। कोई से भी पूछा जाए, इन लक्ष्मी-नारायण का राज्य कब था? कितने वर्ष हुए? तो लाखों वर्ष कह देंगे। तुम समझा सकते हो यह तो 5 हज़ार वर्ष की बात है। कहते भी हैं क्राइस्ट से इतना समय पहले पैराडाइज़ था। बाप आते ही हैं भारत में। यह भी बच्चों को समझाया है – बाबा की जयन्ती मनाते हैं तो जरूर कुछ करने आया होगा। पतित-पावन है तो जरूर आकर पावन बनाता होगा। ज्ञान सागर है तो जरूर ज्ञान देंगे ना। योग में बैठो, अपने को आत्मा समझ बाप को याद करो, यह ज्ञान हुआ ना। वह तो हैं हठयोगी। टांग-टांग पर चढ़ाकर बैठते हैं। क्या-क्या करते हैं। तुम मातायें तो ऐसे कर न सको। बैठ भी न सको। बाप कहते हैं मीठे बच्चे, यह कुछ करने की तुमको दरकार नहीं है। स्कूल में स्टूडेन्ट कायदेसिर तो बैठते हैं ना। बाप तो वह भी नहीं कहते हैं। जैसे चाहे वैसे बैठो। बैठकर थक जाओ तो अच्छा सो जाओ। बाबा कोई बात में मना नहीं करते हैं। यह तो बिल्कुल सहज समझने की बात है, इसमें कोई तकलीफ की बात नहीं। भल कितना भी बीमार हो। पता नहीं सुनते-सुनते शिवबाबा की याद में रहते-रहते और प्राण तन से निकल जाएं। गाया जाता है ना – गंगा का तट हो, गंगा जल मुख में हो तब प्राण तन से निकलें। वह तो सब हैं भक्ति मार्ग की बातें। वास्तव में है यह ज्ञान अमृत की बात। तुम जानते हो – सचमुच ऐसे ही प्राण निकलने हैं। तुम बच्चे आते हो परमधाम से। हमको छोड़कर जाते हो। बाप कहते हैं मैं तो तुम बच्चों को साथ ले जाऊंगा। मैं आया हूँ तुम बच्चों को घर ले जाने के लिए। तुमको न अपने घर का पता है, न आत्मा का पता है। माया ने बिल्कुल ही पंख काट डाले हैं, इसलिए आत्मा उड़ नहीं सकती क्योंकि तमोप्रधान है। जब तक सतोप्रधान बने तब तक शान्तिधाम में जा कैसे सकती। यह भी जानते हैं – ड्रामा प्लैन अनुसार सबको तमोप्रधान बनना ही है। इस समय सारा झाड़ बिल्कुल तमोप्रधान जड़-जड़ीभूत हो गया है। बच्चे जानते हैं सब आत्मायें तमोप्रधान हैं। नई दुनिया में होती हैं सतोप्रधान। यहाँ किसकी सतोप्रधान अवस्था हो न सके। यहाँ आत्मा पवित्र बन जाए तो फिर यहाँ ठहरे नहीं, एकदम भाग जाए। सब भक्ति करते ही हैं मुक्ति के लिए अथवा शान्तिधाम में जाने के लिए। परन्तु कोई भी वापिस जा नहीं सकते। लॉ नहीं कहता। बाप यह सब राज़ बैठ समझाते हैं धारण करने लिए, फिर भी मुख्य बात है बाप को याद करना, स्वदर्शन चक्रधारी बनना। बीज को याद करने से सारा झाड़ बुद्धि में आ जायेगा। झाड़ पहले छोटा होता है फिर बड़ा होता जाता है। अनेक धर्म हैं ना। तुम एक सेकेण्ड में जान लेते हो। दुनिया में किसको भी पता नहीं है। मनुष्य सृष्टि का बीजरूप सबका एक बाप है। बाप कभी सर्वव्यापी थोड़ेही हो सकता। बड़े ते बड़ी भूल है यह। तुम समझाते भी हो मनुष्य को कभी भगवान नहीं कहा जाता है। बाप बच्चों को सब बातें सहज करके समझाते हैं फिर जिनकी तकदीर में है, निश्चय है तो वह जरूर बाप से वर्सा लेंगे। निश्चय नहीं होगा तो कभी भी नहीं समझेंगे। तकदीर ही नहीं तो फिर तदबीर भी क्या करेंगे। तकदीर में नहीं है तो वह बैठते ही ऐसे हैं जो कुछ भी समझते नहीं। इतना भी निश्चय नहीं कि बाप आये हैं बेहद का वर्सा देने। जैसे कोई नया आदमी मेडिकल कॉलेज में जाकर बैठे तो क्या समझेंगे? कुछ भी नहीं। यहाँ भी ऐसे आकर बैठते हैं। इस अविनाशी ज्ञान का विनाश नहीं होता है। यह भी बाप ने समझाया है – राजधानी स्थापन होती है ना। तो नौकर चाकर प्रजा, प्रजा के भी नौकर चाकर सब चाहिए ना। तो ऐसे भी आते हैं। कोई को तो बहुत अच्छी रीति समझ में आ जायेगा। ओपीनियन भी लिखते हैं ना। आगे चल कुछ चढ़ने की कोशिश करेंगे। परन्तु उस समय है मुश्किल क्योंकि उस समय तो बहुत हंगामा होगा। दिन-प्रतिदिन तूफान बढ़ते जाते हैं। इतने सेन्टर्स हैं। अच्छी रीति समझेंगे भी। यह भी लिखा हुआ है – ब्रह्मा द्वारा स्थापना। विनाश भी सामने देखते हैं। विनाश तो होना ही है। गवर्नमेन्ट कहती है जन्म कम हों, परन्तु इसमें कर ही क्या सकेंगे? झाड़ की वृद्धि तो होनी है। जब तक बाप है तब तक सब धर्मों की आत्माओं को यहाँ रहना ही है। जब जाने का समय होगा तब आत्माओं का आना बन्द होगा। अभी तो सबको आना ही है। परन्तु यह बातें कोई समझते नहीं हैं। बापू जी भी कहते थे रावण राज्य है, हमको रामराज्य चाहिए। कहते हैं फलाना स्वर्गवासी हुआ तो इसका मतलब यह नर्क है ना। मनुष्य इतना भी समझते नहीं। स्वर्गवासी हुआ तो अच्छा है ना। जरूर नर्कवासी था। बाबा समझाते हैं मनुष्यों की सूरत मनुष्य की, सीरत बन्दर की है। सब गाते रहते हैं पतित-पावन सीता-राम। हम पतित हैं, पावन बनाने वाला है बाप। वह सब हैं भक्ति मार्ग की सीतायें, बाप है राम। किसको सीधा कहो तो मानते नहीं। राम को बुलाते हैं। अभी तुम बच्चों को बाप ने तीसरा नेत्र दिया है। तुम जैसे अलग दुनिया के हो गये हो। पुरानी दुनिया में क्या-क्या करते रहते हैं। अभी तुम समझते हो। तुम बच्चे बेसमझ से समझदार बने हो। रावण ने तुमको कितना बेसमझ बना दिया है। बाप समझाते हैं इस समय सभी मनुष्य तमोप्रधान बन गये हैं, तब तो बाप आकर सतोप्रधान बनाते हैं। बाप कहते हैं भल तुम बच्चे अपनी सर्विस भी करते रहो सिर्फ एक बात याद रखो – बाप को याद करो। तमोप्रधान से सतोप्रधान बनने का रास्ता और कोई बता नहीं सकता। सर्व का रूहानी सर्जन एक ही है। वही आकर आत्माओं को इन्जेक्शन लगाते हैं क्योंकि आत्मा ही तमोप्रधान बनी है। बाप को अविनाशी सर्जन कहा जाता है। अभी आत्मा सतोप्रधान से तमोप्रधान बनी है, इनको इन्जेक्शन चाहिए। बाप कहते हैं – बच्चे, अपने को आत्मा निश्चय करो और अपने बाप को याद करो। बुद्धियोग ऊपर में लगाओ। जीते जी फाँसी पर लटक जाओ अर्थात् बुद्धियोग स्वीट होम में लगाओ। हमको स्वीट साइलेन्स होम में जाना है। निर्वाणधाम को स्वीट होम कहा जाता है। अच्छा!

मीठे-मीठे सिकीलधे बच्चों प्रति मात-पिता बापदादा का याद-प्यार और गुडमॉर्निंग। रूहानी बाप की रूहानी बच्चों को नमस्ते।

धारणा के लिए मुख्य सार :

1) यह पुरानी दुनिया विनाश हुई पड़ी है इसलिए इससे अपने आपको अलग समझना है। झाड़ की वृद्धि के साथ-साथ जो विघ्नों रूपी तूफान आते हैं, उनसे डरना नहीं है, पार होना है।

2) आत्मा को सतोप्रधान बनाने के लिए अपने को ज्ञान-योग का इन्जेक्शन देना है। अपना बुद्धियोग स्वीट होम में लगाना है।

वरदान:-

सदा वाह मेरा भाग्य और वाह भाग्य विधाता! इस मन के सूक्ष्म आवाज को सुनते रहो और खुशी में नाचते रहो। जानना था वो जान लिया, पाना था वो पा लिया – इसी अनुभवों में रहो तो सर्व उलझनों से मुक्त हो जायेंगे। अब उलझी हुई आत्माओं को निकालने का समय है इसलिए मास्टर सर्वशक्तिमान हूँ, मास्टर रचयिता हूँ – इस स्मृति से बचपन की छोटी-छोटी बातों में समय नहीं गंवाओ।

स्लोगन:-

Daily Murlis in Hindi: Brahma Kumaris Murli Today in Hindi

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