11 Feb 2024 HINDI Murli Today | Brahma Kumaris

Read and Listen today’s Gyan Murli in Hindi

10 February 2024

Morning Murli. Om Shanti. Madhuban.

Brahma Kumaris

आज की शिव बाबा की साकार मुरली, बापदादा, मधुबन।  Brahma Kumaris (BK) Murli for today in Hindi. SourceOfficial Murli blog to read and listen daily murlis. पढ़े: मुरली का महत्त्व

बाप से, सेवा से और परिवार से मुहब्बत रखो तो मेहनत से छूट जायेंगे

♫ मुरली सुने (audio)➤

आज चारों ओर के बच्चे अपने बाप की जयन्ती मनाने के लिए आये हैं। चाहे सम्मुख बैठे हैं, चाहे आकारी रूप में बाप के सामने हैं। बाप सभी बच्चों को देख रहे हैं – एक तरफ मिलन मनाने की खुशी है दूसरे तरफ सेवा का उमंग-उत्साह है कि जल्दी से जल्दी बापदादा को प्रत्यक्ष करें। बापदादा चारों ओर के बच्चों को देखते हुए अरब-खरब गुणा मुबारक दे रहे हैं। जैसे बच्चे बाप की जयन्ती मनाने के लिए कोने-कोने से, दूर-दूर से आये हैं, बापदादा भी बच्चों का जन्म दिन मनाने आये हैं। सबसे दूर देश वाले कौन? बाप या आप? आप कहेंगे – हम बहुत दूर से आये हैं लेकिन बाप कहते हैं मैं आपसे भी दूरदेश से आया हूँ। लेकिन आपको समय लगता है, बाप को समय नहीं लगता है। आप सबको प्लैन या ट्रेन लेनी पड़ती है, बाप को सिर्फ रथ लेना पड़ता है। तो ऐसे नहीं कि सिर्फ आप बाप का मनाने आये हैं लेकिन बाप भी आदि साथी ब्राह्मण आत्मायें, जन्म के साथी बच्चों का बर्थ डे मनाने आये हैं क्योंकि बाप अकेला अवतरित नहीं होते लेकिन ब्रह्मा ब्राह्मण बच्चों के साथ दिव्य जन्म लेते अर्थात् अवतरित होते हैं। सिवाए ब्राह्मणों के यज्ञ की रचना अकेला बाप नहीं कर सकता। तो यज्ञ रचा, ब्रह्मा द्वारा ब्राह्मण रचे तब आप सब पैदा हुए हैं। तो चाहे दो वर्ष वाले हो, दो मास वाले हो लेकिन आप सभी को भी दिव्य ब्राह्मण जन्म की मुबारक है। कितना यह दिव्य जन्म श्रेष्ठ है। बाप भी हर एक दिव्य जन्मधारी ब्राह्मण आत्माओं के भाग्य का सितारा चमकता हुआ देख हर्षित होते हैं। और सदा यही गीत गाते रहते – “वाह हीरे तुल्य जीवन वाले ब्राह्मण बच्चे वाह”। वाह-वाह हो ना? बाप ने वाह-वाह बच्चे बना दिया। यह अलौकिक जन्म बाप का भी न्यारा है तो आप बच्चों का भी न्यारा और प्यारा है। यह एक ही बाप है जिसका ऐसा जन्म वा जयन्ती है जो और किसी का भी ऐसे जन्म दिन न हुआ है, न होना है। निराकार और फिर दिव्य जन्म; और सभी आत्माओं का जन्म अपने-अपने साकार शरीर में होता है लेकिन निराकार बाप का जन्म परकाया प्रवेश से होता है। सारे कल्प में ऐसा इस विधि से किसका जन्म हुआ है? एक ही बाप का ऐसा न्यारा जन्म दिन होता है जिसको शिव जयन्ती के रूप में भगत भी मनाते आते हैं इसलिए इस दिव्य जन्म के महत्व को आप जानते हो, भगत भी जानते नहीं हैं लेकिन जो सुना है उसी प्रमाण ऊंचे ते ऊंचा समझते हुए मनाते आते हैं। आप बच्चे सिर्फ मनाते नहीं हो लेकिन मनाने के साथ स्वयं को बाप समान बनाते भी हो। अलौकिक दिव्य जन्म के महत्व को जानते हो। और किसी भी बाप के साथ बच्चे का, साथ-साथ जन्म नहीं होता लेकिन शिव जयन्ती अर्थात् बाप के दिव्य जन्म के साथ बच्चों का भी जन्म है, इसलिए डायमण्ड जुबली मनाई ना। तो बाप के साथ बच्चों का भी दिव्य जन्म है। सिर्फ इसी जयन्ती को हीरे तुल्य जयन्ती कहते हो लेकिन हीरे तुल्य जयन्ती मनाते स्वयं भी हीरे तुल्य जीवन में आ जाते हो। इस रहस्य को सभी बच्चे अच्छी तरह से जानते भी हो और औरों को भी सुनाते रहते हो। बापदादा समाचार सुनते रहते हैं, देखते भी हैं कि बच्चे बाप के दिव्य जन्म का महत्व कितना उमंग-उत्साह से मनाते रहते हैं। बापदादा चारों ओर के सेवाधारी बच्चों को हिम्मत के रिटर्न में मदद देते रहते हैं। बच्चों की हिम्मत और बाप की मदद है।

आजकल बापदादा के पास सभी बच्चों का एक ही स्नेह का संकल्प बार-बार आता है कि अब बाप समान जल्दी से जल्दी बनना ही है। बाप भी कहते हैं हे मीठे बच्चे बनना ही है। हर एक को यह दृढ़ निश्चय है और भी अण्डरलाइन कर दो कि हम नहीं बनेंगे तो और कौन बनेगा। हम ही थे, हम ही हैं और हम ही हर कल्प में बनते रहेंगे। यह पक्का निश्चय है ना?

डबल विदेशी भी शिव जयन्ती मनाने आये हैं? अच्छा है, हाथ उठाओ डबल विदेशी। बापदादा देख रहे हैं कि डबल विदेशियों को सबसे ज्यादा यही उमंग-उत्साह है कि कोई भी विश्व का कोना रह नहीं जाये। भारत को तो काफी समय सेवा के लिए मिला है और भारत ने भी गांव-गांव में सन्देश दिया है। लेकिन डबल विदेशियों को भारत से सेवा का समय कम मिला है। फिर भी उमंग-उत्साह के कारण बापदादा के सामने सेवा का सबूत अच्छा लाया है और लाते रहेंगे। भारत में जो वर्तमान समय वर्गीकरण की सेवायें आरम्भ हुई हैं, उसके कारण भी सभी वर्गों को सन्देश मिलना सहज हो गया है क्योंकि हर एक वर्ग अपने वर्ग में आगे बढ़ना चाहते हैं तो यह वर्गीकरण की इन्वेन्शन अच्छी है। इससे भारत की सेवा में भी विशेष आत्माओं का आना अच्छी रौनक लग जाती है। अच्छा लगता है ना! वर्गीकरण की सेवा अच्छी लगती है? विदेश वाले भी अपने अच्छे-अच्छे ग्रुप ले आते हैं, रिट्रीट कराते हैं, तरीका अच्छा रखा है। जैसे भारत में वर्गीकरण से सेवा में चांस मिला है, वैसे इन्हों की भी यह विधि बहुत अच्छी है। बापदादा को दोनों तरफ की सेवा पसन्द है, अच्छा है। जगदीश बच्चे ने इन्वेन्शन अच्छी निकाली है और विदेश में यह रिट्रीट, डायलॉग किसने शुरू किया? (सभी ने मिलजुलकर किया) भारत में भी मिलजुलकर तो किया है फिर भी निमित्त बने हैं। अच्छा है हर एक को अपने हमजिन्स के संगठन में अच्छा लगता है। तो दोनों तरफ की सेवा में अनेक आत्माओं को समीप लाने का चांस मिलता है। रिजल्ट अच्छी लगती है ना? रिट्रीट की रिजल्ट अच्छी रही? और वर्गीकरण की भी रिजल्ट अच्छी है, देश-विदेश कोई न कोई नई इन्वेन्शन करते रहते हैं और करते रहेंगे। चाहे भारत में, चाहे विदेश में सेवा का उमंग अच्छा है। बापदादा देखते हैं जो सच्ची दिल से नि:स्वार्थ सेवा में आगे बढ़ते जाते हैं, उन्हों के खाते में पुण्य का खाता बहुत अच्छा जमा होता जाता है। कई बच्चों का एक है अपने पुरुषार्थ के प्रालब्ध का खाता, दूसरा है सन्तुष्ट रह सन्तुष्ट करने से दुआओं का खाता और तीसरा है यथार्थ योगयुक्त, युक्तियुक्त सेवा के रिटर्न में पुण्य का खाता जमा होता है। यह तीनों खाते बापदादा हर एक का देखते रहते हैं। अगर कोई का तीनों खाते में जमा होता है तो उसकी निशानी है – वह सदा सहज पुरुषार्थी अपने को भी अनुभव करते हैं और दूसरों को भी उस आत्मा से सहज पुरुषार्थ की स्वत: ही प्रेरणा मिलती है। वह सहज पुरुषार्थ का सिम्बल है। मेहनत नहीं करनी पड़ती, बाप से, सेवा से और सर्व परिवार से मुहब्बत है तो यह तीनों प्रकार की मुहब्बत मेहनत से छुड़ा देती है।

बापदादा सभी बच्चों से यही श्रेष्ठ आशा रखते हैं कि सभी बच्चे सहज पुरुषार्थी सदा रहो। 63 जन्म भक्ति में, उलझनों में भटकने की मेहनत की है, अब यह एक ही जन्म है मेहनत से छूटने का। अगर बहुतकाल से मेहनत करते रहेंगे तो यह संगमयुग का वरदान मुहब्बत से सहज पुरुषार्थी का कब लेंगे? युग समाप्त, वरदान भी समाप्त। तो सदा इस वरदान को जल्दी से जल्दी ले लो। कोई भी बड़े ते बड़ा कार्य हो, कोई भी बड़े ते बड़ी समस्या हो लेकिन हर कार्य, हर समस्या ऐसे पार हो जैसे आप लोग कहते हो माखन से बाल निकल गया। कई बच्चों का थोड़ा-थोड़ा बापदादा खेल देखते हैं, हर्षित भी होते हैं और बच्चों को देखकर रहम भी आता है। जब कोई समस्या या कोई बड़ा कार्य भी सामने आता है तो कभी-कभी बच्चों के चेहरे पर थोड़ा सा समस्या वा कार्य की लहर दिखाई देती है। थोड़ा सा चेहरा बदल जाता है। फिर अगर कोई कहता है क्या हुआ? तो कहते हैं काम ही बहुत है ना! विघ्न-विनाशक के आगे विघ्न न आवे तो विघ्न-विनाशक टाइटल कैसे गाया जायेगा? थोड़ा सा चेहरे पर थकावट या थोड़ा सा मूड बदलने के चिन्ह नहीं आने चाहिए। क्यों? आपके जड़ चित्र जो आधाकल्प पूजे जायेंगे उसमें कभी थोड़ा सा भी थकावट या मूड बदलने के चिन्ह दिखाई देते हैं क्या? जब आपके जड़ चित्र सदा मुस्कराते रहते हैं तो वह किसके चित्र हैं? आपके ही हैं ना? तो चैतन्य का ही यादगार चित्र है इसलिए थोड़ा सा भी थकावट वा जिसको कहते हो चिड़चिड़ापन, वह नहीं आना चाहिए। सदा मुस्कराता चेहरा बापदादा को और सभी को भी पसन्द आता है। अगर कोई चिड़चिड़ेपन में है तो उसके आगे जायेंगे? सोचेंगे अभी कहें या नहीं कहें। तो आपके जड़ चित्रों के पास तो भगत बहुत उमंग से आते हैं और चैतन्य में कोई भारी हो जाए तो अच्छा लगता है? अभी बापदादा सभी बच्चों के चेहरे पर सदा फरिश्ता रूप, वरदानी रूप, दाता रूप, रहमदिल, अथक, सहज योगी वा सहज पुरुषार्थी का रूप देखने चाहते हैं। यह नहीं कहो बात ही ऐसी थी ना। कैसी भी बात हो लेकिन रूप मुस्कराता हुआ, शीतल, गम्भीर और रमणीकता दोनों के बैलेन्स का हो। कोई भी अचानक आ जाए और आप समस्या के कारण वा कार्य के कारण सहज पुरुषार्थी रूप में नहीं हो तो वह क्या देखेगा? आपका चित्र तो वही ले जायेगा। कोई भी समय, कोई भी किसी को भी चाहे एक मास का हो, दो मास का हो, अचानक भी आपके फेस का चित्र निकाले तो ऐसा ही चित्र हो जो सुनाया। दाता बनो। लेवता नहीं, दाता। कोई कुछ भी दे, अच्छा दे वा बुरा भी दे लेकिन आप बड़े ते बड़े बाप के बच्चे बड़ी दिल वाले हो अगर बुरा भी दे दिया तो बड़ी दिल से बुरे को अपने में स्वीकार न कर दाता बन आप उसको सहयोग दो, स्नेह दो, शक्ति दो। कोई न कोई गुण अपने स्थिति द्वारा गिफ्ट में दे दो। इतनी बड़ी दिल वाले बड़े ते बड़े बाप के बच्चे हो। रहम करो। दिल में उस आत्मा के प्रति और एक्स्ट्रा स्नेह इमर्ज करो। जिस स्नेह की शक्ति से वह स्वयं परिवर्तित हो जाए। ऐसे बड़ी दिल वाले हो या छोटी दिल है? समाने की शक्ति है? समा लो। सागर में कितना किचड़ा डालते हैं, डालने वाले को, वह किचड़े के बदले किचड़ा नहीं देता। आप तो ज्ञान के सागर, शक्तियों के सागर के बच्चे हो, मास्टर हो।

तो सुना बापदादा क्या देखने चाहते हैं? मैजारिटी बच्चों ने लक्ष्य रखा है कि इस वर्ष में परिवर्तन करना ही है। करेंगे, सोचेंगे नहीं, करना ही है। करना ही है या वहाँ जाकर सोचेंगे? जो समझते हैं करना ही है वह एक हाथ की ताली बजाओ। (सभी ने हाथ हिलाया) बहुत अच्छा। सिर्फ यह हाथ नहीं उठाना, मन से दृढ़ संकल्प का हाथ उठाना। यह हाथ तो सहज है। मन से दृढ़ संकल्प का हाथ सदा सफलता स्वरूप बनाता है। जो सोचा वह होना ही है। सोचेंगे तो पॉजिटिव ना! निगेटिव तो सोचना नहीं है। निगेटिव सोचने का सदा के लिए रास्ता बन्द। बन्द करना आता है या खुल जाता है? जैसे अभी तूफान लगा ना तो दरवाजे आपेही खुल गये, ऐसे तो नहीं होता? आप समझते हो बन्द करके आ गये, लेकिन तूफान खोल दे, ऐसा ढीला नहीं करना। अच्छा।

डबल विदेशियों का उत्सव अच्छा हुआ ना! (10 वर्षों से अधिक समय से ज्ञान में चलने वाले करीब 400 डबल विदेशी भाई-बहिनों का सम्मान-समारोह मनाया गया) अच्छा लगा? जिसने मनाया और अच्छा लगा वह हाथ उठाओ। पाण्डव भी हैं। इसका महत्व क्या है? मनाने का महत्व क्या है? मनाना अर्थात् बनना। सदा ऐसे ताजधारी, स्व पुरुषार्थ और सेवा की जिम्मेवारी क्या कहें, मौज ही कहें, सेवा के मौज मनाने का ताज सदा ही पड़ा रहे। और गोल्डन चुन्नी भी सभी ने पहनी ना! तो गोल्डन चुन्नी किसलिए पहनाई? सदा गोल्डन एजेड स्थिति, सिल्वर नहीं, गोल्डन। और फिर दो-दो हार भी पहने थे। तो दो हार कौन से पहनेंगे? एक तो सदा बाप के गले का हार। सदा, कभी गले से निकालना नहीं, गले में ही पिरोये रहें और दूसरा सदा सेवा द्वारा औरों को भी बाप के गले का हार बनाना, यह डबल हार है। तो बहुत अच्छा मनाने वाले को भी लगा और देखने वाले को भी लगा। तो इस उत्सव मनाने का, सदा के उत्सव का रहस्य बताया। और साथ-साथ यह भी मनाना अर्थात् और उमंग-उत्साह बढ़ाना। सभी के अनुभव बापदादा ने तो देख लिए। अच्छे अनुभव रहे। खुशी और नशा सभी के चेहरों में दिखाई दे रहा था। बस ऐसा ही अपना शक्तिशाली, मुस्कराता हुआ रमणीक और गम्भीर स्वरूप सदा इमर्ज रखते चलो क्योंकि आजकल के समय के हालतों के प्रमाण ज्यादा सुनने वाले, समझने वाले कम हैं, देखकर अनुभव करने वाले ज्यादा हैं। आपकी सूरत में बाप का परिचय, सुनाने के बजाए दिखाई दे। तो अच्छा किया। बापदादा भी देख-देख हर्षित हो रहे हैं। इस वर्ष को वा इस सीजन को विशेष उत्सव की सीजन मनाई है। हर समय एक जैसा नहीं होता है।

(ड्रिल) सभी में रूलिंग पॉवर है? कर्मेन्द्रियों के ऊपर जब चाहो तब रूल कर सकते हो? स्व-राज्य अधिकारी बने हो? जो स्व-राज्य अधिकारी हैं वही विश्व के राज्य अधिकारी बनेंगे। जब चाहो, कैसा भी वातावरण हो लेकिन अगर मन-बुद्धि को ऑर्डर दो स्टॉप, तो हो सकता है या टाइम लगेगा? यह अभ्यास हर एक को सारे दिन में बीच-बीच में करना आवश्यक है। और कोशिश करो जिस समय मन-बुद्धि बहुत व्यस्त है, ऐसे समय पर भी अगर एक सेकेण्ड के लिए स्टॉप करने चाहो तो हो सकता है? तो सोचो स्टॉप और स्टॉप होने में 3 मिनट, 5 मिनट लग जाएं, यह अभ्यास अन्त में बहुत काम में आयेगा। इसी आधार पर पास विद ऑनर बन सकेंगे। अच्छा।

सदा दिल के उमंग-उत्साह का उत्सव मनाने वाले स्नेही आत्मायें, सदा हीरे तुल्य जीवन का अनुभव करने वाले, अनुभव के अथॉरिटी वाले विशेष आत्मायें, सदा अपने सूरत से बाप का परिचय देने वाले बाप को प्रत्यक्ष करने वाले सेवाधारी आत्मायें, सदा गम्भीर और रमणीक दोनों का साथ में बैलेन्स रखने वाले सबके ब्लैसिंग के अधिकारी आत्मायें, ऐसे चारों ओर के देश-विदेश के बच्चों को शिव रात्रि की मुबारक, मुबारक हो। साथ-साथ बापदादा का दिलाराम का दिल व जान सिक व प्रेम से यादप्यार और नमस्ते।

वरदान:-

सदा इसी स्मृति में रहो कि मैं पूज्य आत्मा औरों को देने वाली दाता हूँ, लेवता नहीं, देवता हूँ। जैसे बाप ने आप सबको आपेही दिया है ऐसे आप भी मास्टर दाता बन देते चलो, मांगो नहीं। अपने राज्य अधिकारी वा पूज्य स्वरूप की स्मृति में रहो। आज तक आपके जड़ चित्रों से जाकर मांगनी करते हैं, कहते हैं हमको बचाओ। तो आप बचाने वाले हो, बचाओ-बचाओ कहने वाले नहीं। परन्तु दाता बनने के लिए याद से, सेवा से, शुभ भावना, शुभ कामना से सर्व खजानों में सम्पन्न बनो।

स्लोगन:-

 दैनिक ज्ञान मुरली पढ़े

रोज की मुरली अपने email पर प्राप्त करे Subscribe!

Leave a Comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Scroll to Top
Scroll to Top