आज की मुरली 2 Feb 2021- Brahma Kumaris Murli today in Hindi

February 1, 2021

Morning Murli. Om Shanti. Madhuban.

Brahma Kumaris

आज की शिव बाबा की साकार मुरली। Date: 2 February 2021 (Tuesday). बापदादा, मधुबन। Brahma Kumaris (BK) Murli for today in Hindi. Visit Official Murli blog to listen and read daily murlis.

➤ पढ़े: मुरली का महत्त्व

"मीठे बच्चे - खुदा तुम्हारा दोस्त है, रावण दुश्मन है, इसलिए तुम खुदा को प्यार करते और रावण को जलाते हो''

प्रश्नः-

किन बच्चों को अनेकों की आशीर्वाद स्वत: मिलती जाती है?

उत्तर:-

जो बच्चे याद में रह स्वयं भी पवित्र बनते और दूसरों को भी आप समान बनाते हैं। उन्हें अनेकों की आशीर्वाद मिल जाती है, वे बहुत ऊंच पद पाते हैं। बाप तुम बच्चों को श्रेष्ठ बनने की एक ही श्रीमत देते हैं – बच्चे किसी भी देहधारी को याद न कर मुझे याद करो।

♫ मुरली सुने ➤

गीत:-

आखिर वह दिन आया आज……..

ओम् शान्ति। ओम् शान्ति का अर्थ तो रूहानी बाप ने रूहानी बच्चों को समझाया है। ओम् माना मैं आत्मा हूँ और यह मेरा शरीर है। आत्मा तो देखने में नहीं आती है। आत्मा में ही अच्छे वा बुरे संस्कार रहते हैं। आत्मा में ही मन-बुद्धि है। शरीर में बुद्धि नहीं है। मुख्य है आत्मा। शरीर तो मेरा है। आत्मा को कोई देख नहीं सकते। शरीर को आत्मा देखती है। आत्मा को शरीर नहीं देख सकता। आत्मा निकल जाती है तो शरीर जड़ बन जाता है। आत्मा देखी नहीं जा सकती। शरीर देखा जाता है। वैसे ही आत्मा का जो बाप है, जिसको ओ गॉड फादर कहते हैं वह भी देखने में नहीं आते हैं, उनको समझा जाता है, जाना जाता है। हम आत्मायें सब ब्रदर्स हैं। शरीर में आते हैं तो कहेंगे यह भाई-भाई हैं, यह बहन-भाई हैं। आत्मायें तो सब भाई-भाई ही हैं। आत्माओं का बाप है – परमपिता परमात्मा। जिस्मानी भाई-बहिन एक-दो को देख सकते हैं। आत्माओं का बाप एक है, उनको देख नहीं सकते। तो अब बाप आये हैं, पुरानी दुनिया को नया बनाने। नई दुनिया सतयुग थी। अब पुरानी दुनिया कलियुग है, इनको अब बदलना है। पुरानी दुनिया तो खत्म होनी चाहिए ना। पुराना घर खत्म हो, नया घर बनता है ना, वैसे यह पुरानी दुनिया भी खलास होनी है। सतयुग के बाद फिर त्रेता, द्वापर, कलियुग फिर सतयुग आना जरूर है। वर्ल्ड की हिस्ट्री-जॉग्राफी रिपीट होनी है। सतयुग में होता है देवी-देवताओं का राज्य। सूर्यवंशी और चन्द्रवंशी, उनको कहा जाता है लक्ष्मी-नारायण की डिनायस्टी, राम-सीता की डिनायस्टी। यह तो सहज है ना। फिर द्वापर-कलियुग में और धर्म आते हैं। फिर देवतायें जो पवित्र थे वह अपवित्र बन जाते, इनको कहा जाता है रावण राज्य। रावण को वर्ष-वर्ष जलाते आते हैं परन्तु जलता ही नहीं फिर-फिर जलाते रहते हैं। यह है सबका बड़ा दुश्मन इसलिए उनको जलाने की रसम पड़ गई है। भारत का नम्बरवन दुश्मन कौन है? और फिर नम्बरवन दोस्त, सदा सुख देने वाला है खुदा। खुदा को दोस्त कहते हैं ना। इस पर एक कहानी भी है। तो खुदा है दोस्त, रावण है दुश्मन। खुदा जो दोस्त है, उनको कभी जलायेंगे नहीं। वह है दुश्मन इसलिए 10 शीश वाला रावण बनाए उनको वर्ष-वर्ष जलाते हैं। गांधी जी भी कहते थे हमको रामराज्य चाहिए। रामराज्य में सुख है, रावणराज्य में दु:ख है। अब यह कौन बैठ समझाते हैं? पतित-पावन बाप। शिवबाबा, ब्रह्मा है दादा। बाबा हमेशा सही भी करते हैं बापदादा। प्रजापिता ब्रह्मा भी तो सबका हो गया। जिसको एडम भी कहा जाता है। उनको ग्रेट-ग्रेट ग्रैन्ड फादर कहा जाता है। मनुष्य सृष्टि में प्रजापिता हुआ। प्रजापिता ब्रह्मा द्वारा ब्राह्मण रचे जाते हैं फिर ब्राह्मण सो देवता बनते हैं। देवतायें फिर क्षत्रिय, वैश्य, शूद्र बन जाते हैं। इनको कहा जाता है प्रजापिता ब्रह्मा, मनुष्य सृष्टि का बड़ा। प्रजापिता ब्रह्मा के कितने ढेर बच्चे हैं। बाबा-बाबा कहते रहते हैं। यह है साकार बाबा। शिवबाबा है निराकार बाबा। गाया भी जाता है प्रजापिता ब्रह्मा द्वारा नई मनुष्य सृष्टि रचते हैं। अब तुम्हारी यह पुरानी खाल है। यह है ही पतित दुनिया, रावण राज्य। अब रावण की आसुरी दुनिया खत्म हो जायेगी। उसके लिए ही यह महाभारत लड़ाई है। फिर सतयुग में इस रावण दुश्मन को कोई जलायेंगे ही नहीं। रावण होगा ही नहीं। रावण ने ही दु:ख की दुनिया बनाई है। ऐसे नहीं जिनके पास पैसे बहुत हैं, बड़े-बड़े महल हैं, वह स्वर्ग में हैं।

बाप समझाते हैं, भल किसके पास करोड़ हैं, परन्तु यह तो सब मिट्टी में मिल जाने वाले हैं। नई दुनिया में फिर नई खानियां निकलती हैं, जिससे नई दुनिया के महल आदि सारे बनाये जाते हैं। यह पुरानी दुनिया अब खत्म होनी है। मनुष्य भक्ति करते ही हैं सद्गति के लिए, हमको पावन बनाओ, हम विशश बन गये हैं। विशश को पतित कहा जाता है। सतयुग में है ही वाइसलेस, सम्पूर्ण निर्विकारी हैं। वहाँ बच्चे योगबल से पैदा होते हैं, विकार वहाँ होता ही नहीं। न देह-अभिमान, न काम, क्रोध…… 5 विकार होते नहीं इसलिए वहाँ कभी रावण को जलाते ही नहीं। यहाँ तो रावणराज्य है। अब बाप कहते हैं तुम पवित्र बनो। यह पतित दुनिया खत्म होनी है जो श्रीमत पर पवित्र रहते हैं वही बाप की मत पर चल विश्व की बादशाही का वर्सा पाते हैं। इन लक्ष्मी-नारायण का राज्य था ना। अभी तो रावण राज्य है जो खत्म होना है। सतयुगी रामराज्य स्थापन होना है। सतयुग में बहुत थोड़े मनुष्य रहते हैं। कैपीटल देहली ही रहती है। जहाँ लक्ष्मी-नारायण का राज्य होता है। देहली सतयुग में परिस्तान थी। देहली ही गद्दी थी। रावण राज्य में भी देहली कैपीटल है, रामराज्य में भी देहली कैपीटल रहती है। परन्तु रामराज्य में तो हीरों जवाहरातों के महल थे। अथाह सुख था। अभी बाप कहते हैं तुमने विश्व का राज्य गॅवाया है, मैं फिर तुमको देता हूँ। तुम मेरी मत पर चलो। श्रेष्ठ बनना है तो सिर्फ मुझे याद करो और किसी देहधारी को याद न करो। अपने को आत्मा समझ मुझ बाप को याद करो तो तमोप्रधान से सतोप्रधान बन जायेंगे। तुम मेरे पास चले आयेंगे। मेरे गले की माला बनकर फिर विष्णु की माला बन जायेंगे। माला में ऊपर में मैं हूँ फिर दो हैं ब्रह्मा-सरस्वती। वही सतयुग के महाराजा-महारानी बनते हैं। उन्हों की फिर सारी माला है जो नम्बरवार गद्दी पर बैठते हैं। मैं इस भारत को इन ब्रह्मा सरस्वती और ब्राह्मणों द्वारा स्वर्ग बनाता हूँ। जो मेहनत करते हैं उन्हों के ही फिर यादगार बनते हैं। वह है रूद्र माला और वह विष्णु की माला। रूद्र माला है – आत्माओं की और विष्णु की माला है मनुष्यों की। आत्माओं के रहने का स्थान वह निराकारी परमधाम है, जिसको ब्रह्माण्ड भी कहते हैं। आत्मा कोई अण्डे मिसल नहीं है, आत्मा तो बिन्दी मिसल है। हम सब आत्मायें वहाँ स्वीट होम में रहने वाली हैं। बाप के साथ हम आत्मायें रहती हैं। वह है मुक्तिधाम। मनुष्य सब चाहते हैं मुक्तिधाम में जायें परन्तु वापिस कोई एक भी जा नहीं सकते। सबको पार्ट में आना ही है, तब तक बाप तुमको तैयार कराते रहते हैं। तुम तैयार हो जायेंगे तो फिर जो भी आत्मायें हैं, वह सब आ जायेंगी। फिर खलास। तुम जाकर नई दुनिया में राज्य करेंगे फिर नम्बरवार चक्र चलेगा। गीत में सुना ना – आखिर वह दिन आया आज….. तुम जानते हो जो भारतवासी अब नर्कवासी हैं, वह फिर स्वर्गवासी बनेंगे। बाकी सब आत्मायें शान्तिधाम में चली जायेंगी। समझाना बहुत थोड़ा है। अल्फ बाबा, बे बादशाही। अल्फ को बादशाही मिल जाती है। अभी बाप कहते हैं – मैं वही राज्य फिर से स्थापन करता हूँ। तुम 84 जन्म भोग अब पतित बन गये हो। पतित बनाया है रावण ने। फिर पावन कौन बनाते हैं? भगवान जिसको पतित-पावन कहते हैं, तुम कैसे पतित से पावन, पावन से पतित बनते हो, वह सारी हिस्ट्री जॉग्राफी रिपीट होगी। यह विनाश है ही इसके लिए। कहते हैं ब्रह्मा की आयु शास्त्रों में 100 वर्ष है। यह जो ब्रह्मा है, जिसमें बाप बैठ वर्सा दिलाते हैं, उनका भी शरीर छूट जायेगा। आत्माओं को बैठ, आत्माओं का जो बाप है वह समझाते हैं। मनुष्य, मनुष्य को पावन बना न सकें। देवतायें कभी विकार से नहीं पैदा होते हैं। पुनर्जन्म तो सब लेते आते हैं ना। बाप कितना अच्छी तरह से समझाते हैं कि कहाँ तकदीर जग जाए। बाप आते ही हैं मनुष्य मात्र की तकदीर जगाने। सब पतित दु:खी हैं ना। त्राहि-त्राहि कर विनाश हो जायेंगे इसलिए बाप कहते हैं त्राहि-त्राहि करने के पहले मुझ बेहद के बाप से वर्सा ले लो। यह जो कुछ दुनिया में देखते हो, यह सब खत्म हो जाना है। फॉल ऑफ भारत, राइज़ ऑफ भारत, इसका ही खेल है। राइज़ ऑफ वर्ल्ड। स्वर्ग में कौन-कौन राज्य करते हैं, यह बाप ही बैठ समझाते हैं। राइज़ ऑफ भारत, देवताओं का राज्य, फॉल ऑफ भारत रावण राज्य। अभी नई दुनिया बन रही है। बाप से पढ़ रहे हो नई दुनिया का वर्सा लेने। कितना सहज है। यह है मनुष्य से देवता बनने की पढ़ाई। यह भी अच्छी रीति समझना है। कौन-कौन से धर्म कब आते हैं, द्वापर के बाद ही और-और धर्म आते हैं। पहले सुख भोगते हैं फिर दु:ख। यह सारा चक्र बुद्धि में बिठाना होता है। जिससे तुम चक्रवर्ती महाराजा-महारानी बनते हो। सिर्फ अल्फ और बे को समझना है। अब विनाश तो होना ही है। हंगामा इतना हो जायेगा जो विलायत से फिर आ भी नहीं सकेंगे इसलिए बाप समझाते हैं – भारत भूमि सबसे उत्तम है। जबरदस्त लड़ाई लगेगी फिर वहाँ के वहाँ ही रह जायेंगे। 50-60 लाख भी देंगे तो भी मुश्किल आ सकेंगे। भारत भूमि सबसे उत्तम है। जहाँ बाप आकर अवतार लेते हैं। शिव जयन्ती भी यहाँ मनाई जाती है। सिर्फ कृष्ण का नाम डालने से सारी महिमा ही खत्म हो गई है। सर्व मनुष्य मात्र का लिबरेटर यहाँ ही आकर अवतार लेते हैं। शिव जयन्ती भी यहाँ मनाते हैं। गॉड फादर ही हैं जो आकर लिबरेट करते हैं। तो ऐसे बाप को ही नमन करना चाहिए, उनकी ही जयन्ती मनाना चाहिए। वह बाप यहाँ भारत में आकर सबको पावन बनाते हैं। तो यह सबसे बड़ा तीर्थ ठहरा। सबको दुर्गति से छुड़ाए सद्गति देते हैं, यह ड्रामा बना हुआ है। अभी तुम आत्मायें जानती हो, हमारा बाबा हमको इस शरीर द्वारा यह राज़ समझा रहे हैं, हम आत्मा इस शरीर द्वारा सुनती हैं। आत्म-अभिमानी बनना है। अपने को आत्मा समझ बाप को याद करो तो कट निकलती जायेगी और प्योर बन तुम बाप के पास आ जायेंगे। जितना याद करेंगे उतना पवित्र बनेंगे। औरों को भी आपसमान बनायेंगे तो बहुतों की आशीर्वाद मिलेगी। ऊंच पद पा लेंगे इसलिए गाया जाता है सेकेण्ड में जीवनमुक्ति। अच्छा!

मीठे-मीठे सिकीलधे बच्चों प्रति मात-पिता बापदादा का याद-प्यार और गुडमॉर्निंग। रूहानी बाप की रूहानी बच्चों का नमस्ते।

धारणा के लिए मुख्य सार:-

1) श्रीमत पर पवित्र बन, हर कदम बाप की मत पर चल विश्व की बादशाही लेनी है। बाप के समान दु:ख हर्ता सुख कर्ता बनना है।

2) मनुष्य से देवता बनने की यह पढ़ाई सदा पढ़ते रहना है। सबको आप समान बनाने की सेवा करके आशीर्वाद प्राप्त करनी है।

वरदान:-

बाप को साथी बनाने का सहज तरीका है – अधिकारी पन की स्थिति। जब अधिकारी पन की स्थिति में स्थित रहते हो तब व्यर्थ संकल्प वा अशुद्ध संकल्पों की हलचल में वा अनेक रसों में बुद्धि डगमग नहीं होती। बुद्धि की एकाग्रता द्वारा सामना करने, परखने व निर्णय करने की शक्ति आ जाती है, जो सहज ही माया के अनेक प्रकार के वार से विजयी बना देती है।

स्लोगन:-

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